जबलपुर। दो माह से चल रही विधानसभा चुनाव की तैयारियों के रविवार को परिणाम सामने आ गए। इस चुनावी महायज्ञ में उम्मीदवारों की किस्मत का मतदाताओं ने अपने मतों से फैसला कर दिया। जीतने वालों के चेहरे खिल उठे तो वहीं हारने वालों ने इस विश्वास से हार स्वीकार कर ली कि वे फिर अपनी विधानसभा में जनता के बीच जाकर उनकीे उम्मीदारों पर खरा उतरने का प्रयास करेंगे। 8 हजार से ज्यादा कर्मचारी और दो हजार से ज्यादा सुरक्षा जवानों के बीच 83 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला कर दिया गया है। जवाहरलाल नेहरू कृषि विवि में बनाए गए मतगणना केंद्र में नए प्रशासनिक भवन और कृषि इंजीनियरिंग कालेज में चार-चार विधानसभा की वोटों की गिनती हुई। 2132 ईवीएम ने खुलते ही आठ विधानसभा के आठ प्रत्याशियों की जीत तय करना शुरू कर दिया।
पहले पाबंदी, फिर मिली राहत
जिला निर्वाचन अधिकारी व कलेक्टर सौरभ सुमन ने पहले ही प्रशासनिक अमले और पुलिस के जवानों को यह स्पष्ट कर दिया था कि रविवार को सुबह 8 बजे मतपत्रों की गिनती शुरू होते ही मतगणना केंद्र में प्रवेश पर रोक लगा दी जाए। इस डर से अधिकांश प्रत्याशियों के एजेंट से लेकर मीडियाकर्मी समेत अन्य लोग समय पर यहां पहुंच गए। हालांकि वाहन पार्किंग मतगणना से लगभग एक किमी दूर होने की वजह से लोगों को पैदल चलकर यहां पहुंचना पड़ा। हालांकि जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया, प्रशासन ने अपनी व्यवस्थाओं में शिथिलता शुरू कर दी। इस बीच अव्यवस्थाओं ने भी लोगों को परेशान किया। शौचालय और पीने के पानी के लिए लोग परेशान थे।
एक वोट से राजेश रहे आगे
पनागर विधानसभा में इस बार भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर होने का अनुमान लगाया गया था। ईवीएम खुलते ही कांग्रेस ने पहले कुछ राउंड में टक्कर भी दी, लेकिन जैसे-जैसे मतगणना के राउंड की संख्या बढ़ती, सुशील तिवारी को मिलने वाले वोटों की संख्या बढ़ गई। एक राउंड में कांग्रेस के राजेश पटेल ने भाजपा के सुशील तिवारी को एक वोट की लीड भी दी। हालांकि 18 राउंड की गिनती में सुनील तिवारी को 57.33 प्रतिशत मत मिले तो वहीं कांग्रेस के राजेश पटेल को 37.81 वोट से ही संतुष्ठ करना पड़ा। हालांकि पनागर विधानसभा से खड़े 10 दावेदार में सबसे कम 309 वोट निर्दलीय प्रत्याशी अनिल कुमार अहिरवार को मिले।
पहले आए और फिर गायब हो गए
मतगणना केंद्र में पहले राउंड शुरू होने के कुछ देर पर कुछ पार्टी के प्रत्याशी यहां आए, लेकिन अधिकांश ने यहां से दूरी बनाकर रखी। वे समर्थकों से मोबाइल पर ही पल-पल की अपडेट ले रहे थे। इस बीच उनके शुभचिंतकों ने उन्हें पहले ही बता दिया था कि उन्हें कब आना है और कब नहीं। सबसे पहले उत्तर विधानसभा से कांग्रेस के प्रत्याशी विनय सक्सेना है। वे अपनी जीत को लेकर कोई आत्मविश्वास से भरे थे। इस बीच उन्होंने शुरूआती राउंड में बढ़त भी बनाई, लेकिन जैसे ही उनकी बढ़त घटती गई, वो मतगणना स्थल से रवाना हो गए। इसके बाद भाजपा के प्रत्याशियों ने आना शुरू किया। पहले सांसद राकेश सिंह फिर लखन घनघोरिया, अजय विश्नोई, अशोक रोहाणी, इंदु तिवारी, अभिलाष पांडे, नीरज सिंह और संतोष बड़कड़े पहुंचे।
कर्मचारी का कांग्रेस पर भरोसा
आठ विधानसभा में डाले गए डाक पत्र में भाजपा की बजाए कांग्रेस को ज्यादा वाेट मिले, जिससे यह साफ हो गया कि शासकीय कर्मचारियों ने ओल्ड पेंशन स्क्रीम की चाहत में पाला बदला, लेकिन उसके इस कदम के बाद भी कांग्रेस के हाथ जीत तक नहीं पहुंच सके। सबसे ज्यादा मत पश्चिम में कांग्रेस को मिले, जो 1188 थे वहीं सबसे कम मत बरगी में भाजपा को मिले, जो 426 थे।
डाक पत्र पर नजर
भाजपा कांग्रेस
पाटन- 488 817
बरगी- 426 636
पूर्व- 455 712
उत्तर- 674 805
केंट- 783 920
पश्चिम- 887 1188
पनागर- 598 858
सिहोरा- 440 845
सिहोरा में सबसे ज्यादा नोटा की दबी बटन
मतदाताओं ने अपने पसंदीदा उम्मीदवारों को वोट दिए तो इस बीच उन्हें नपसंद करने वालों ने वोट देने की बजाए नोटा की बटन दबाकर अपनी नाराजगी बयां की। इनमें सबसे ज्यादा नपसंद करने वालों की मतदाताओं की संख्या सिहोरा विधानसभा से रही। यहां पर 3033 मतदाताओं ने ईवीएम के जरिए नोटा की बटन दबाकर उम्मीदवारों के प्रति अपनी नराजगी बयां की। वहीं सबसे कम पाटन में रहीं । यहां पर 541 लोगों ने ही नोटा की बटन का उपयोग किया। वहीं अन्य विधानसभा की बात करें तो बरगी में 1836, पूर्व में 1444, उत्तर में 1418, कैंट में 1329, पश्चिम में 1445, पनागर में 1812 लोगों ने नोटा की बटन दबाई।