इंदौर। समुद्र की विशालता हम सभी को बहुत पसंद आती है, लेकिन अक्सर लोगों का यही सवाल रहता है कि आखिर समुद्र का पानी खारा क्यों होता है। दरअसल समुद्र के पानी के खारेपन के पीछे कई कहानियां हैं, जिन्हें जानकर आप हैरान रह जाएंगे। इन्हीं में से एक पौराणिक कथा हम आपको विस्तार से बताने जा रहे हैं।
समुद्र का पानी खारा क्यों होता है?
शिव पुराण के अनुसार एक समय था, जब माता पार्वती ने भगवान शिव को वापस पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। उसी दौरान समुद्र देव की नजर माता पार्वती पर पड़ी और वह उन्हें देखकर उन पर मोहित हो गए। माता पार्वती की तपस्या पूरी होने पर उन्होंने विवाह करने की इच्छा व्यक्त की। लेकिन देवी शक्ति ने उनके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया और कहा कि मैं भगवान शंकर को अपना स्वामी मान चुकी हूं।
इस बात से समुद्र देव क्रोधित हो गए और माता पार्वती से बोले, ‘आखिर उस शंभू में ऐसा क्या है, जो मुझमें नहीं है? मैं सभी मनुष्यों की प्यास बुझाता हूं। मेरा किरदार दूध सा सफेद है। हे पार्वती! मेरा विवाह प्रस्ताव स्वीकार करें। इस पर माता अत्यंत क्रोधित हो गईं और समुद्र देव को श्राप देते हुए कहा, “जिस मीठे पानी पर तुम्हें इतना घमंड है, वह हमेशा के लिए खारा हो जाएगा, इस पानी को कोई नहीं पी पाएगा।”
ऐसा कहा जाता है कि उस दिन से समुद्र का पानी हमेशा के लिए खारा हो गया। यह भी कहा जाता है कि समुद्र मंथन के प्रभाव से समुद्र का पानी खारा हो गया था।
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