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करारी हार के कारण अब प्रदेश से राज्यसभा में एक ही सदस्य भेज पाएगी कांग्रेस

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भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बहुमत प्राप्त कर सत्ता में वापसी की आस लगाए कांग्रेस को परिणामों से कई झटके लगे हैं। एक तो अब वह अगले पांच वर्ष विपक्ष में रहेगी और राज्यसभा में उसके सदस्यों के समीकरण भी गड़बड़ा गए हैं। दो अप्रैल को मध्य प्रदेश से राज्यसभा की पांच सीटें सदस्यों का कार्यकाल खत्म होने से खाली हो रही हैं। भाजपा की प्रचंड जीत से अब उसके चार सदस्य मध्य प्रदेश से राज्यसभा जाएंगे।

कांग्रेस का एक ही सदस्य चुना जा सकेगा। बता दें, 230 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 163 और कांग्रेस के 66 विधायक हैं। राज्यसभा का एक सदस्य को चुनने के लिए 39 विधायकों के वोट की आवश्यकता होती है। इस प्रकार भाजपा के चार सदस्य चुने जा सकते हैं। बता दें, राज्यसभा में मध्य प्रदेश से 11 सदस्य होते हैं। विधानसभा में दलीय स्थिति स्पष्ट होने के कारण मतदान की स्थिति बनने की संभावना भी नहीं है।

पार्टी जिसे प्रत्याशी बनाएगी, उसका समर्थन करने वाले विधायकों से ही तस्वीर स्पष्ट हो जाएगी। उधर, कांग्रेस में राज्यसभा भेजे जाने वाले नाम को लेकर खींचतान मच सकती है। पार्टी ने ओबीसी कार्ड के तहत राजमणि पटेल को राज्यसभा भेजा था।

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यह स्थान भाजपा के थावरचंद गेहलोत द्वारा त्यागपत्र दिए जाने से 27 सितंबर, 2021 को रिक्त हुआ था और उपचुनाव हुआ था। अब विधानसभा चुनाव हो चुके हैं और परिणाम कांग्रेस के अनुकूल नहीं रहे हैं। मई में लोकसभा का चुनाव भी होना है, इसलिए सभी समीकरणों को देखते हुए प्रत्याशी का चयन किया जाएगा।

उधर, विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह का कहना है कि राज्यसभा के रिक्त स्थानों की पूर्ति के लिए भारत निर्वाचन आयोग चुनाव की घोषणा करेगा। मार्च में यह प्रक्रिया की जाएगी।

इनका कार्यकाल हो रहा है समाप्त

भाजपा- अजय प्रताप सिंह, कैलाश सोनी, धर्मेंद्र प्रधान और डा. एल.मुरुगन। कांग्रेस- राजमणि पटेल।

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