भोपाल। जीवन में हार-जीत तो आती जाती रहती है, लेकिन हौसला बना रहना चाहिए। परिणाम नहीं, प्रयास महत्वपूर्ण होता है। परिणाम बदलते रहते हैं। आप में से हर खिलाड़ी अपने आप में विजेता है, जिन्होंने अपनी जिद और जुनून से अपनी शारीरिक कमजोरियों को हराया है। आपका जोश, जज्बा और हुनर भावी पीढ़ी और संपूर्ण समाज के लिए प्रेरणा का पुंज है। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने शुक्रवार सुबह कैंपियन स्कूल के खेल मैदान में यह उद्गार व्यक्त किए। वह यहां अस्थिबाधित क्रिकेट टूर्नामेंट का शुभारंभ करने पहुंचे थे। राज्यपाल ने क्रिकेट टूर्नामेंट की पहली गेंद खेलकर प्रतियोगिता का उद्घाटन किया और दिव्यांग खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन किया। इस टूर्नामेंट में कुल 8 राज्यों की टीमें भाग ले रही हैं। प्रतियोगिता में पुरुष वर्ग में 6 राज्यों मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान और आंध्र प्रदेश की टीमें शामिल हैं। महिला वर्ग में 4 राज्यों महाराष्ट्र, झारखंड, जम्मू-कश्मीर और मध्य प्रदेश की टीमें भाग ले रही हैं।
दिव्यांगों के स्वावलंबन और दृढ़ इच्छाशक्ति को सलाम
इस मौके पर राज्यपाल ने दिव्यांग खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए कहा कि शारीरिक चुनौतियों के बीच स्वरोजगार और रोजगार की विभिन्न गतिविधियों के साथ ही खेलों में भी सक्रिय भागीदारी, स्वाभिमान और स्वावलंबन की दृढ़ इच्छाशक्ति और सामर्थ्य को मैं सलाम करता हूं। उन्होंने कहा कि उनके संघर्ष, एकाग्रता, दृढ़ संकल्प और आत्म विश्वास से समाज को प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि दिव्यांग खिलाड़ियों ने साबित किया है कि कोई भी कमजोरी हौसलों से बड़ी नहीं हो सकती है। जीवन में हौसले, हुनर और हिम्मत से सब कुछ पाया जा सकता है।
पीएम मोदी ने नि:शक्तों को दिव्यांग नाम देकर व्यक्त की भावना
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मानते है कि एक अंग की कमजोरी व्यक्ति की कमजोरी नहीं होती। पीएम मोदी ने नि:शक्तजन को दिव्यांगजन नाम देकर उनके प्रति सरकार के भाव और भावना को स्पष्ट किया है। सरकार ने दिव्यांगजनों के हितार्थ स्वावलंबन, पुनर्वास की अनेक कल्याणकारी और दिव्यांगजन सहयोगी योजनाएं और एक्सेसिबल इंडिया कैंपेन चलाया है।
ये खिलाड़ी देश की प्रेरणा – किशन सूर्यवंशी
शुभारंभ कार्यक्रम में नगर निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी भी शामिल हुए। किशन सूर्यवंशी ने कहा कि प्रतियोगिता में शामिल सभी खिलाड़ी देश की प्रेरणा हैं। उन्होंने देश में विशिष्ट पहचान बनाई है, क्योंकि उन्होंने अपनी कमियों पर नहीं, अपनी विशिष्टताओं पर ध्यान दिया है। उसे अपनी शक्ति बनाया है।