इंदौर। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गीता जयंती मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इस अवसर पर पूजा और व्रत करने से साधक शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। इसके अलावा भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद भी मिलता है। इस साल गीता जयंती 22 दिसंबर को मनाई जाएगी। गीता जयंती के दिन विधि पूर्वक पूजा करना चाहिए। आइए, जानें गीता जयंती पर किस तरह पूजा करना चाहिए।
गीता जयंती पूजा विधि
- गीता जयंती के दिन सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर पीले वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद मंदिर को साफ करें और भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें।
- इस अवसर पर श्रीमद् भागवत गीता का पाठ करना शुभ होता है।
- अक्षत और पुष्प से ग्रंथों का पूजन करें और पाठ आरंभ करें। भगवान कृष्ण की भी पूजा करें। इस दिन गीता ग्रंथ का दान करना चाहिए।
- श्रद्धानुसार फल, मिठाई, पैसे और गर्म कपड़ों का दान करना चाहिए। इस कार्य को करने से भगवान कृष्ण प्रसन्न होते हैं।
गीता जयंती महत्व
सनातन धर्म में गीता जयंती का विशेष महत्व है। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। यह मनुष्य के उत्थान के लिए प्रमुख स्तोत्र माना जाता है। इसी दिन मोक्षदा एकादशी भी होती है। भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है।
गीता के श्लोक
1. कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।।
2. चिन्तया जायते दुःखं नान्यथेहेति निश्चयी।
तया हीनः सुखी शान्तः सर्वत्र गलितस्पृहः॥
3. श्रद्धावान्ल्लभते ज्ञानं तत्पर: संयतेन्द्रिय:।
ज्ञानं लब्ध्वा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति॥
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