मंदसौर। करीब 20 साल पहले उजागर हुए सार्वजनिक वितरण प्रणाली के गेहूं में हेराफेरी के मामले में विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम किशोर कुमार गेहलोत ने पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष व भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेंद्रसिंह गौतम सहित 11 दोषियों को सजा सुनाई हैं।
इनमें चार पुरुषों को पांच-पांच साल और सात महिलाओं को चार-चार साल सश्रम कारावास दिया है। सभी पर 4.51 लाख-4.51 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
मामले को 24 जुलाई 2002 को शहर कोतवाली पुलिस ने उजागर किया था और इसमें सभी आरोपित जिला सहकारी थोक उपभोक्ता भंडार के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, प्रबंधक व संचालक मंडल में शामिल थे।
बाद में इसकी जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू ) को सौंप दी थी। ईओडब्ल्यू के अधिकारियों ने जांच के दौरान करीब 35 लाख 83 हजार रुपये का गबन पाया था।
इसके अलावा आडिट रिपोर्ट में भी कुछ करोड़ रुपये की अनियमितता के आरोप संस्था पदाधिकारियों पर लगे थे। लगभग 20 साल तक कोर्ट में चले मामले में सोमवार को फैसला सुनाया गया था। 16 आरोपितों में से कुछ की मृत्यु हो गई थी और अब बचे हुए 11 दोषियों को सजा सुनाई गई है।
इनमें संस्था के तत्कालीन अध्यक्ष व भाजपा नेता राजेंद्र सिंह गौतम, उनकी पत्नी व उपाध्यक्ष योगेश देवी गौतम, कांग्रेस नेता हेमंत हिंगड़ व उनकी पत्नी हेमा हींगड़, संस्था के तत्कालीन सीईओ मेहमूद मंसूरी सहित 11 दोषी शामिल हैं।