लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) द्वारा किए गए निरीक्षण एवं मूल्यांकन में ‘ए प्लस‘ ग्रेड प्राप्त होने पर बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। ज्ञातव्य है कि नैक मूल्यांकन में ‘ए प्लस प्लस‘ सर्वोच्च ग्रेड है और ‘ए प्लस‘ का शुमार भी उच्चतम ग्रेड में ही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर ने अपने प्रयासों में सर्वोच्च ग्रेड से मात्र ‘0.22‘ अंकों से ही पीछे रहते हुए ये उच्चतम ग्रेड प्राप्त किया है। नैक के उच्चतम ग्रेड प्राप्त विश्वविद्यालयों में शुमार होने के साथ ही वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय देश के प्रमुख शीर्ष संस्थानों में भी शामिल हो गया है।
इससे पूर्व विश्वविद्यालय वर्ष 2004 में नैक का ‘‘बी” ग्रेड तथा वर्ष 2016 में नैक का ‘‘बी प्लस” ग्रेड प्राप्त कर चुका है और अब तीसरी बार के मूल्यांकन में सर्वोच्च ग्रेड के निकटतम सीजीपीए हासिल करते हुए श्ए प्लसश् ग्रेड प्राप्त किया है। बी प्लस ग्रेड से ‘ए प्लस‘ ग्रेड तक के इस सफर में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल द्वारा निरंतर मार्गदर्शन, अनवरत समीक्षा बैठकों के माध्यम से विश्वविद्यालय में अकादमिक एवं व्यवस्थागत सुधार कराते हुए नैक के लिये प्रस्तुत की जाने वाली सेल्फ स्टडी रिपोर्ट को बेहतर कराने के लिये युद्धस्तर पर कार्य करने के साथ-साथ इस कार्य में लगे प्राध्यापकों तथा अन्य सदस्यों को भी बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
उन्होंने विश्वविद्यालय की नैक टीम को हर बिन्दु पर शत्-प्रतिशत् तैयारी के लिए जोर देते हुए कड़ी मेहनत के साथ सुधार करते हुए प्रत्येक मानक को अंतररष्ट्रीय स्तर की गुणवत्ता पर ले जाने के लिए मार्ग दर्शन भी किया। निरंतर कड़ी मेहनत के परिणाम स्वरुप आज विश्वविद्यालय को ये उपलब्धि हासिल हो सकी है। इस उपलब्धि के लिए बधाई देते हुए राज्यपाल ने प्रदेश के उच्च शिक्षा संस्थानों द्वारा राष्ट्रीय एवं अंतररष्ट्रीय स्तर पर मूल्यांकनों में प्राप्त हो रही उल्लेखनीय सफलताओं पर हर्ष व्यक्त किया है। उन्होंने कहा है कि प्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थानों को ऐसी उपलब्धियां प्राप्त होने से प्रदेश के विद्यार्थियों को राष्ट्रीय और अंतररष्ट्रीय स्तर की शिक्षा के लिए प्रदेश और देश के बाहर नहीं जाना पड़ेगा। इसका सबसे बड़ा लाभ प्रदेश के उन विद्यार्थियों को होगा जो आर्थिक कारणों से बाहर जाकर शिक्षा ग्रहण करने में असमर्थ हैं।