भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के चुनाव के बाद बजरंग पुनिया ने अपना पद्मश्री अवार्ड लौटाने का ऐलान कर दिया है। पुनिया का यह फैसला साक्षी मलिक के कुश्ती छोड़ने के एक दिन बाद आया है। पुनिया ने कहा, “मैं अपना पद्मश्री पुरस्कार प्रधानमंत्री जी को वापस लौटा रहा हूँ।” उन्होंने कहा कि चुनाव में फिर बृजभूषण शरण सिंह का कब्जा हो गया है। इस वजह से साक्षी मलिक को सन्यास लेना पड़ा। पुनिया ने कहा कि कुश्ती संघ के नतीजों से हम दुखी हैं। दरअसल, भारतीय कुश्ती संघ के लिए करीब 8 महीने बाद गुरूवार को चुनाव हुए। चुनाव में बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह को जीत मिली है। इसके बाद साक्षी मलिक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में रोते हुए कुश्ती छोड़ने का ऐलान कर दिया।
बता दें कि आंखों में आंसू लिये रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक ने गुरुवार को यहां बृज भूषण शरण सिंह के विश्वासपात्र संजय सिंह की भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष पद के चुनाव में जीत का विरोध करते हुए अपने कुश्ती के जूते टेबल पर रखे और कुश्ती से संन्यास लेने की घोषणा की। डब्ल्यूएफआई के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण के करीबी संजय गुरुवार को यहां हुए चुनाव में डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बने और उनके पैनल ने 15 में से 13 पद पर जीत हासिल की
इस नतीजे से तीन शीर्ष पहलवान मलिक, विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया को काफी निराशा हुई जिन्होंने महासंघ में बदलाव लाने के लिए काफी जोर लगाया था। इन शीर्ष पहलवानों ने साल के शुरू में बृजभूषण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू किया था जिन पर उन्होंने महिला पहलवानों के यौन शोषण का आरोप लगाया था और यह मामला अदालत में चल रहा है।
टेबल पर अपने जूते रखकर साक्षी ने नाटकीय अंदाज में संन्यास की घोषणा की। साक्षी की आंखों में आंसू थे, उन्होंने कहा, ‘‘हमने दिल से लड़ाई लड़ी लेकिन बृजभूषण जैसा आदमी, उसका बिजनेस साझीदार और करीबी सहयोगी डब्ल्यूएफआई का अध्यक्ष चुना गया है तो मैं कुश्ती छोड़ती हूं। आज के बाद आप मुझे मैट पर नहीं देखोगे। ”
राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता 31 वर्षीय साक्षी ने कहा, ‘‘हम एक महिला अध्यक्ष चाहते थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ” साक्षी के 13 साल के करियर का आकर्षण 2016 रियो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतना रहा, उन्होंने अपने करियर में राष्ट्रमंडल खेलों में तीन पदक जीते जिसमें 2022 चरण का स्वर्ण पदक शामिल है। इसके अलावा उन्होंने एशियाई चैम्पियनशिप में भी चार पदक अपने नाम किये। वह ओलंपिक पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला पहलवान बनी थीं।