इंदौर। हिंदू धर्म में 16 संस्कार होते हैं। इनमें एक व्यक्ति के मरने के बाद परिवार करता है, जिसे हम अंतिम संस्कार कहते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि अंतिम संस्कार के समय किन नियमों का पालन करना चाहिए। पुराणों में साफ बताया गया है कि शब को घर लाते समय किन नियमों का ध्यान रखें। मृतक के घर वाले इस बीच एक काम करते हैं। यह हमने भी कई बार देखा होगा कि मरने वाले व्यक्ति के नाक में रूई लगा दी जाती है। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें इसके पीछे का महत्व बताया है।
मृतक की नाक में रूई लगाने के पीछे का महत्व
कान में रूई लगाने के पीछे एक कहानी सबसे ज्यादा प्रचलित है कि पौराणिक काल में मृतक की आत्मा को शांति मिले, इसलिए उसके शरीर के खुले हिस्सों में सोना भरा जाता था। अब यह टुकड़े गिर ना पड़े, इसलिए रूई लगाकर उन्हें रोका जाता था। नाक में भी रूई लगाने का यही कारण है।
अब इस कहानी सच्च मानने का कोई पुख्ता तथ्य नहीं है, क्योंकि गरुण पुराण में भी साफ लिखा हुआ है कि मरने के बाद व्यक्ति का सांसारिक वस्तुओं से कोई मतलब नहीं रह जाता है। ऐसे में सोने के टुकड़ों को आत्मा की शांति के लिए शरीर के हिस्सों में भरना ठीक नहीं लगता है।
नाक या कान में रूई डालने के कारण का पता लगाने के लिए एक और कथा है। व्यक्ति की मौत के बाद यमराज उसकी आत्मा को लेने के लिए आते हैं। ऐसे में आत्मा शरीर में दुबारा से प्रवेश करने के रास्ते तलाशती है। नाक और कान में रूई लगाने से उसके लिए वह रास्ते बंद हो जाते हैं।
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