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जानिए कौन था मेजर जनरल कासिम सुलेमानी, अमेरिका के लिए कैसे बन गया था खतरा

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तेहरान: एलिट फोर्स के जनरल कासिम सुलेमानी (Qassem Soleimani) की बरसी हुए हुए दोहरे बम धमाके में ईरान में 100 से अधिक लोगों की मौत हुई। अमेरिका ने साल 2020 में बगदाद एयरपोर्ट पर एयर स्ट्राइक कर ईरान की एलिट फोर्स के जनरल Qassem Soleimani को मार गिराया था। उस एयर स्ट्राइक में 6 अन्य लोग भी मारे गए थे।

तब कहा गया था कि Qassem Soleimani अमेरिका के लिए खतरा बन गया था। कुछ लोगों ने उनकी तुलना शीत युद्ध पर जॉन लेक्रेज के लिखे उपन्यासों में कट्टर काल्पनिक रूसी जासूस कार्ला से की भी थी। यहां जानिए कौन था Qassem Soleimani और अमेरिका के लिए कैसे बन गया था खतरा…

ईरान रिवॉलूशनरी गार्ड्स के प्रमुख कासिम सुलेमानी विदेशों में काम करने वाली यूनिट का भी जिम्मा संभालते थे। अमेरिका और ईरान के बीच की लड़ाई में अमेरिका के लिए सुलेमान एक मजबूत दीवार की तरह खड़े थे। वह ईरान के सर्वोच्च नेता से सीधे आदेश लेते थे और उन्हें ही रिपोर्ट करते थे। सुलेमानी को देश में सेलेब्रिटी की तरह देखा जाता था। सीरिया और ईराक में रिवॉलूशनरी गार्ड्स की विदेशी शाखा में उनकी अहम भूमिका थी।

पश्चिम एशिया के ज्यादातर मिशन को सुलेमान ही अंजाम देते थे। पिछले एक दशक में मिडिल ईस्ट में ईरान की तरफ से सुलेमानी के बढ़ते कद के लेकर अमेरिका नाराज था। अमेरिका नहीं चाहता था कि सुलेमानी अपनी जड़ें दूसरे देशों में भी फैलाए। सुलेमानी की मजबूती का फायदा ईरान को मिल रहा था। इससे इजरायल और सऊदी अरब भी चिंतित थे। बीते दो दशकों में इजरायल, सऊदी और पश्चिमी देशों की तरफ से उसकी हत्या के कई प्रयास किए गए थे, लेकिन सुलेमान हर बार इससे बच गए।

पिछले 16 वर्षों में, कुद्स फोर्स ने मध्य पूर्वी राज्यों के पतन, इराक पर अमेरिकी आक्रमण और पूरे क्षेत्र में प्रॉक्सी ईरानी सेना बनाने के लिए यमन और सीरिया में भड़के गृहयुद्धों का फायदा उठाया है। ईरान इन ताकतों का इस्तेमाल सुन्नी-अरब राज्यों और इजराइल को धमकाने और हमला करने के साथ ही महाशक्ति बनने के अपने लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए कर रहा था, जो अमेरिका को मंजूर नहीं था।

लेबनान में कुद्स फोर्स ने दुनिया की सबसे मजबूत आतंकी सेना हिज्बुल्लाह को समर्थन दिया था। हिजबुल्ला के 130,000 रॉकेट और मिसाइल के शस्त्रागार सीधे इजरायली शहरों और रणनीतिक स्थलों पर तैनात हैं। इसमें अधिकांश मारक क्षमता नाटो सेनाओं की तुलना में अधिक है।

कुर्द और शिया मिलिशिया को किया एकजुट

इस्लामिक स्टेट जैसे खूंखार आतंकी संगठन को इराक से खत्म करने के लिए सुलेमानी ने कुर्द लड़ाकों और शिया मिलिशिया को एकजुट किया था। ईरान के समर्थन से उन्होंने इराक में पॉप्युलर मोबिलाइजेशन फोर्स को तैयार किया था। सुलेमानी ने आतंकी संगठन हिजबुल्लाह और हमास को भी समर्थन दिया था।

1980 के दशक में ईरान और इराक के बीच खूनी जंग में सुलेमानी ने काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस युद्ध में अमेरिका ने इराकी तानाशाह सद्दाम हुसैन का साथ दिया था। तब से ही अमेरिका और सुलेमानी के बीच दुश्मनी छिड़ी हुई थ।हालांकि, बाद में सद्दाम और अमेरिका के बीच रिश्ते खराब हो गए थे और अमेरिका ने इराकी तानाशाह सद्दाम हुसैन को आखिरी में फांसी पर लटका दिया था।

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