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पौष अमावस्या पर इस तरह करें भगवान शिव का अभिषेक, प्राप्त होगा दोगुना फल

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इंदौर। हर माह कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या मनाई जाती है। पौष अमावस्या 11 जनवरी को पड़ रही है। यह दिन पितरों को समर्पित माना जाता है। अमावस्या तिथि पर पितरों को तर्पण और पिंडदान किया जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, पितरों की नाराजगी के कारण व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। विशेष तिथियों (पूर्णिमा, अमावस्या) पर पितरों के लिए पूजा करनी चाहिए। अमावस्या और पूर्णिमा तिथि पर भगवान शिव और विष्णु की पूजा करने से अशुभ ग्रहों के प्रभाव और दोषों से राहत मिलती है। अगर आप भी अपने जीवन में सफलता पाना चाहते हैं, तो पौष पूर्णिमा पर इन 3 चीजों से भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए।

गंगाजल

शिव पुराण में कहा गया है कि भगवान शिव जलाभिषेक से ही प्रसन्न हो जाते हैं। इस कारण भक्त सोमवार सहित सभी शुभ अवसरों पर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। भगवान स्नान-ध्यान के बाद गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करें, ऐसा करने से महादेव का आशीर्वाद प्राप्त होगा। आप भगवान शिव का अभिषेक गंगाजल में काले तिल, बेलपत्र और सफेद फूल मिलाकर भी कर सकते हैं। ऐसा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

ज्योतिषियों के अनुसार, मनोकामना पूर्ति के लिए भगवान शिव का शुद्ध घी से अभिषेक करना चाहिए। मनोवांछित फल पाने के लिए या किसी विशेष कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए पौष अमावस्या के दिन स्नान-ध्यान के बाद शुद्ध घी से भगवान शिव का अभिषेक करें। इस उपाय को करने से महादेव प्रसन्न होते हैं। इससे कुंडली में चंद्रमा और शुक्र दोनों ग्रह मजबूत हैं।

पंचामृत

भगवान शिव को पंचामृत अत्यंत प्रिय है। पौष अमावस्या के दिन नित्यकर्म से निवृत्त होकर गंगाजल युक्त जल से स्नान करें। इस समय प्रणाम करें और सफेद वस्त्र धारण करें। इसके बाद विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करें। भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में खुशियां आती हैं। साथ ही मनोकामना भी पूरी होती है।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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