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जानें क्या है पंचवटी के कालाराम मंदिर का पौराणिक महत्व, प्रभु राम ने यहां बिताया था वनवास का अधिकांश समय

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इंदौर। अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होगी और इसे लेकर पूरे देश में उत्साह का माहौल है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी ने आज से 11 दिवसीय विशेष अनुष्ठान शुरू किया है, जिसकी शुरुआत नासिक में पंचवटी स्थित श्री कालाराम मंदिर से करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी आज श्री कालाराम मंदिर के दर्शन करने जाएंगे। यहां जानें श्री कालाराम मंदिर का पौराणिक महत्व।

पंचवटी में बिताया था वनवास का समय

महाराष्ट्र के नासिक शहर के पास स्थित पंचवटी तीर्थ स्थल में ही प्रभु श्री राम ने वनवास का अधिकांश समय बिताया था। इसी स्थान पर वन में कुटिया बनाकर राम भगवान सीता और भाई लक्ष्मण के साथ रहते थे। इसको लेकर एक पौराणिक कथा भी है कि यहीं पर लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक काटी थी, इसलिए यहां शहर का नाम नासिक पड़ा। पंचवटी में 5 बरगद के पेड़ों का समूह है, जहां भगवान राम ने माता सीता और लक्ष्मण जी के साथ अपने वनवास का कुछ समय व्यतीत किया था। पंचवटी में प्रमुख आकर्षण का केंद्र कालाराम मंदिर और माता सीता की वह गुफा है, जहां वे निवास करती थी।

वाल्मीकि रामायण भी भी जिक्र

वाल्मीकि रामायण के अरण्यकांड में पंचवटी का मनोरम वर्णन किया गया है। पंचवटी का वर्णन ‘रामचरितमानस’, ‘रामचन्द्रिका’, ‘साकेत’, ‘पंचवटी’ एवं ‘साकेत-संत जैसे कई काव्य ग्रंथों में किया गया है। इनमें बताया गया है कि वनवास के दौरान श्री राम, सीता और लक्ष्मण पंचवटी क्षेत्र में पर्णकुटी बनाकर रहने लगे थे। पंचवटी का पूरा क्षेत्र गोदावरी नदी के किनारे मनोरम स्थान है। इसी स्थान पर राम और लक्ष्मण का खर और दूषण के साथ युद्ध हुआ था और इसके बाद जब माता सीता का हरण हुआ था तो पंचवटी के मार्ग पर राम को विशालकाय गिद्ध जटायु मिले थे।

कालाराम मंदिर की खासियत

पंचवटी में स्थित श्री कालाराम मंदिर धार्मिक आस्था का केंद्र है। यह मंदिर काले पत्थरों से निर्मित है। कालाराम मंदिर में भगवान राम की काली मूर्ति स्थापित है। मंदिर में माता सीता, लक्ष्मण जी और हनुमान जी प्रतिमा स्थापित है।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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