कंठ में करुणा, नयन में अश्रु, अंजुरि में उल्लास, चित्त है भावविभोर… मध्यप्रदेश By Ajay Kumar Dubey On Jan 22, 2024 इंदौर। भारत की पवित्र भूमि ने पथराई आंखों से जिस क्षण की प्रतीक्षा पांच सौ वर्षों तक की, आज वही मंगल क्षण अयोध्या में घटित होने जा रहा है। यह प्रतीक्षा केवल अयोध्या की नहीं थी, बल्कि अटक से कटक और लद्दाख से लक्षद्वीप तक समूचे भारत ने एक साथ की। इन प्रतीक्षाओं में हमारे इंदौर, भोपाल, उज्जैन, जबलपुर, ग्वालियर सरीखे उदारमना शहर भी साझीदार रहे। जब-जब राष्ट्र ने पुकारा, तब-तब मध्य प्रदेश के जन-जन ने अपना रक्त, प्राण, मज्जा, समय आदि सबकुछ समर्पित किया। उसी समर्पण का प्रतिफल है कि साकेतधाम अवधपुरी में रणरंगधीर श्रीराम का नव्य-भव्य मंदिर बनकर तैयार है और आज प्रभु श्रीराम वहां अपने विग्रह में प्रतिष्ठित होंगे। आज यह केवल सनातन धर्म का उत्सव नहीं बल्कि देश के प्रत्येक जन का, मन का, तन का और जीवन का उत्सव है। इसी उत्सवी उल्लास में आज सज गए हैं इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर सहित समूचे मध्य प्रदेश के प्रत्येक गांव और नगर के गली-मोहल्ले। आज हर कोना-कंगूरा रामनाम के दीपक से प्रज्वलित हो उठेगा। आज अंधकार परास्त होगा, उजास की पुन: विजय होगी और आज घर-घर में पुन: दीपावली मनाई जाएगी। आज हम सबके मन में बस यही गूंज रहा है- अर्थात : हे करुणानिधान, हे करुणा के स्वरूप श्री रामचंद्र, संपूर्ण लोकों में सबसे सुंदर व कमल नयन वाले रघुवंश नायक प्रभु श्रीराम, मैं आपकी शरण में हूं। मग्न, मस्त, तल्लीन, मत्त… हर शख्स बना अब रामभक्त मर्यादा का पुण्य सिखाने वाले श्रीराम की स्तुति में आज धरती का कण-कण और समय का क्षण-क्षण विनत है। अपने प्रभु की नवधा भक्ति में लीन रहने वाले भक्त आज मस्त हैं, मगन हैं, तल्लीन हैं और मत्त हैं। गोया हर व्यक्ति आज अपना परिचय भूलकर केवल और केवल रामभक्त हो चला है। पद, मद और कद के सारे पैमाने ध्वस्त हो गए हैं। गरीब से लेकर अमीर तक के कंठ एक स्वर में श्रीराम का गौरव गान कर रहे हैं। मोहल्लों से लेकर मल्टियों तक में रामधुन बज रही है। महल अटारियों से लेकर बस्ती-कालोनियों तक के हर घर पर भगवा ध्वज लहरा रहा है। यह सनातन के नव-सूर्य का उदय है। यह सनातन की नव-विजय का उद्घोष है। बीते करीब 1000 वर्षों से दुर्दांत विधर्मियों के प्राणघातक हमले झेल रही भारतभूमि आज प्रसन्न है। वह अपनी देह पर विधर्मियों के खंजर से बने घावों पर भक्ति का लेपन करके अब आगे बढ़ आ चुकी है। अंधकार का कालखंड अब पीछे छूट चला। भारत का धराधाम अब जाकर वह उत्सव देख रहा है, जिसे देखने के लिए हजारों धर्मालुजनों ने अपने प्राण दिए। उनके संघर्ष और प्राणों के उत्सर्ग की भावभूमि पर चलकर ही यह महान अवसर आया है, जिसका उत्सव आज हम सब भारतवर्षी मना रहे हैं। यह अधर्म पर धर्म की विजय का भी क्षण है और गहन अंधकार पर उजास के उत्सव का भी समय है। आज इस उत्सव के लिए इंदौर सहित समूचे मध्य प्रदेश और भारतवर्ष की तैयारियां देखकर लगता है कि इस धरती ने बीते एक हजार वर्षों से ऐसा उत्सव न देखा होगा, जैसा कि आज भारत में घटित होने वाला है। आइए, आज मन के सारे मलाल को मोम की तरह पिघलाकर धर्म-राष्ट्र के इस उत्सव में निर्मल मन से सम्मिलित हों। आइए, इस राष्ट्र की परम चेतना अर्थात प्रभु श्रीराम का अपने-अपने मन में स्वागत करें तथा उनके एक विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा अपने-अपने ह्रदय में भी करें। Share