भोपाल। मध्य प्रदेश के जंगलों में कोर क्षेत्र के अलावा अब बफर क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए राज्य सरकार अलग से बजट उपलब्ध कराएगी। अब तक नेशनल पार्कों एवं टाइगर रिजर्व की गेट मनी से मिलने वाली राशि विकास निधि से ही बफर क्षेत्रों में विकास कार्यों होते हैं, लेकिन यह राशि पर्याप्त नहीं हो पाती है।
इसीलिए वन विभाग के वार्षिक बजट में बफर क्षेत्रों के विकास के लिए भी अलग से बजट लाइन बनेगी। जंगलों के बफर क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियां होती हैं और वन एवं राजस्व ग्राम स्थित रहते हैं। इनमें सड़कें, पुल-पुलियां, रपटें और अन्य सार्वजनिक निर्माण कार्य होते हैं।
बजट लाइन बनने से इनके लिए पर्याप्त बजट उपलब्ध हो सकेगा। इसके अलावा केंद्र सरकार ने बाघ एवं हाथी के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए दो अलग-अलग बजट लाइनों को मर्ज कर दिया है, जिससे अब हाथियों के लिए भी बाघों की बजट लाइन से ही राज्यों को सहायता मिलेगी।
इसी तर्ज पर अब मध्य प्रदेश का वन विभाग भी अपने बजट में इन दोनों ही मदों को मर्ज कर करेगा और बाघ संरक्षण का एक ही मद रहेगा। इसी मद से हाथियों के प्रबंधन के लिए भी धनराशि दी जाएगी।