बालाघाट: रोजी-रोटी की तलाश में पलायन करने वाला 37 वर्षीय युवक ब्रजलाल 15 सालों बाद अपनों के बीच लौट आया है और अब उसकी उम्र 52 वर्ष की हो चुकी है। यह वही ब्रजलाल है जिसे उसके अपनों ने मृत समझकर अंतिम कार्यक्रम तक कर दिया था। लेकिन परिजनों के उस समय होश फाख्ता हो गए, जब मालूम हुआ कि ब्रजलाल जिंदा है। कहानी बेशक एकदम फिल्मों जैसी जरूर है, लेकिन 15 साल बाद ब्रजलाल के जिंदा लौट आने की सच्चाई अब सबके सामने है।
यह कहानी है बालाघाट जिले के नक्सल प्रभावित इलाके पाथरी के सेमटोला गांव के रहने वाले ब्रजलाल की। जो आज से लगभग 15 साल पहले परिवार के भरण-पोषण और रोजी-रोटी की तलाश में महाराष्ट के नागपुर पलायन कर चुका था। कुछ दिन काम करने के बाद जब घर की याद आई तो उसने गांव लौटने का मन बनाया और निकल पड़ा। लेकिन ब्रजलाल अशिक्षित होने के कारण नागपुर शहर की चकाचौंध में भटक गया और घर लौटकर नहीं आ सका। जिसके बारे में किसी को कोई खबर भी नहीं थी।
लंबा वक्त गुजरा तो परिवारजनों ने अपने नजदीकी रिश्तेदारियों में पूछताछ की, फिर भी कोई पता नहीं चला। जिसकी तलाश में हताश हुए परिवार वालों ने अंत में यह मान लिया कि ब्रजलाल शायद अब इस दुनिया में नहीं है और उसके नाम से अंतिम क्रिया करवाकर गंगभोज कार्यक्रम भी करवा दिया। वक्त बितता गया और परिवार जनों की नजर में ब्रजलाल के मृत हुए 15 साल बीत गए। लेकिन एक दिन अचानक सामाजिक संगठन के पदाधिकारियों के जरिए खबर मिली कि ब्रजलाल जिंदा है और इस वक्त वह झारखंड के जमशेदपुर में हैं।
फिर क्या था, परिवार जनों व समाज के सदस्यों ने ब्रजलाल के घर वापसी के लिए जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई गई और आज प्रशासन की मदद से ब्रजलाल घर लौट आया है। जिसका गर्मजोशी से स्वागत किया गया। ब्रजलाल ने लड़खड़ाते लब्जों में दर्द भरी कहानी सुनाई और कहा कि वह अपने से मिलकर बहुत खुश है, अब कभी बाहर नहीं जाऊंगा।