इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर में फर्जी सर्टिफिकेट बनवाकर 40 साल से एक व्यक्ति पुलिस की नौकरी कर रहा था। रिटायरमेंट से पहले उसकी पोल खुल गई। 1983 में सत्यनारायण वैष्णव नाम का व्यक्ति आरक्षक के तौर पर भर्ती हुआ था। 2006 में पुलिस को सत्यनारायण के खिलाफ एक शिकायत मिली थी। यह शिकायत इंदौर के ग्वालटोली थाना में हुई। शिकायत में लिखा गया था कि सत्यनारायण नाम का जो शख्स 23 सालों से पुलिस की नौकरी कर रहा है उसने फर्जी तरीके से पुलिस की नौकरी हासिल की है।
सत्यनारायण की 23 साल की नौकरी के बाद पहली शिकायत पुलिस को मिली। लोक अभियोजन अधिकारी संजीव श्रीवास्तव ने बताया कि पुलिस विभाग में कार्यरत सत्यनारायण वैष्णव के खिलाफ फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाकर पुलिस में नौकरी करने का आरोप लगा था। सिपाही के कारनामे से पुलिस डिपार्टमेंट भी सोच में पड़ गया। सत्यनारायण ब्राह्मण समुदाय का था और कोरी समाज की जाति का सर्टिफिकेट बनवाकर उसने पुलिस की नौकरी हासिल की थी।
शिकायत मिलने के बाद पुलिस इस मामले की जांच कर रही थी। भोपाल पुलिस विभाग से सत्यनारायण की जाति प्रमाण पत्र की जांच की गई जिसमें पाया गया कि यह जाति प्रमाण पत्र फर्जी तरीके से बनवाया गया है। पुलिस ने इस मामले की जांच के बाद 2013 में पूरा केस कोर्ट में पेश किया। इस मामले की सुनवाई कोर्ट में हुई जिसके बाद कोर्ट ने सत्यनारायण को रिटायरमेंट से पहले 10 साल की सजा सुना दी है।