ऐश वेडनेसडे इस साल 14 फरवरी वैलेंटाइन डे के दिन मनाया जाएगा. दुनियाभर के ईसाई लोग ऐश वेडनेसडे से 40 दिन के उपवास पर्व जिसे लेंट कहा जाता है, उसकी शुरुआत करते हैं. ऐश वेडनेसडे को लेंट डे भी कहा जाता है. ईसाई धर्म के लोग इसे दुख भोग के रूप में मनाते हैं. इन 40 दिनों तक ईसाई लोग रोजा या व्रत रखते हैं और ईसा मसीह से प्रार्थना करते हैं. लेंट के दौरान लोग प्रभु ईशु के बलिदान को याद करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि ईसा मसीह ने 40 दिन का व्रत रखा था जिसके बाद से 40 दिन के व्रत को त्याग, बलिदान के रूप में मनाया जाता है.
कब है ऐश वेडनेसडे 2024?
हर साल ऐश बुधवार (Ash Wednesday)लेंट की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है. 2024 में ऐश बुधवार 14 फरवरी को होगा. ऐश बुधवार आमतौर पर पश्चाताप और प्रार्थना पर केंद्रित है. ऐश बुधवार हमेशा ईस्टर से 40 दिन पहले पड़ता है. लेंट के ये 40 दिन पश्चाताप, व्रत, चिंतन और उत्सव ईस्टर की तैयारी का समय होता है.
क्यों मनाते हैं ऐस वेडनसडे?
ऐश बुधवार ईसाई धर्म के लोगों के लिए प्रार्थना, उपवास और पश्चाताप का एक पवित्र दिन है. इस दिन से ही लेंट की शुरुआत होती है, जो ईस्टर तक चलता है. ऐश बुधवार का पश्चिमी ईसाई परंपरा है, जिसमें रोमन कैथोलिक संप्रदाय भी शामिल हैं. लेंट के इन 40 दिनों में लोग ईसा मसीह द्वारा दिए गए बलिदान को याद करते हैं. इस दिन का मकसद प्रभु ईसा मसीह पर भरोसा करना, त्याग और मंथन करना है. इन 40 दिनों के दौरान ईसाई लोग मांस खाना कम कर देते हैं और अपने अहंकार को दूर करते हैं. ऐश वेडनेसडे पर लोग दान करना काफी अच्छा मानते हैं.
क्या है लेंट 2024?
लेंट सीजन ईसाई धर्म के लिए एक आध्यात्मिक समय होता है. जैसे मुस्लिमों के लिए रमजान का महीना होता है, वैसे ही रमजान की तरह ईसाई धर्म में लेंट होता है. लेंट (Lent 2024) की शुरुआत ऐश वेडनेसडे से होती है जो पूरे 40 दिनों तक चलता है और आखिर में ईस्टर संडे पर जाकर खत्म होता है. लेंट के 40 दिनों के दौरान ईसाई धर्म के लोग प्रभु यीशु से प्रार्थना करते हुए माफी मांगते हैं.
ऐश वेडनेसडे पर क्या करते हैं ईसाई?
ऐश बुधवार के दिन ईसाई धर्म में माथे पर राख से क्रॉस बनवाने की प्रथा है. इस दिन माथे पर राख लगाने का मकसद ये होता है कि याद रखें कि आप मिट्टी हो और एक दिन मिट्टी में ही लौट जाओगे. इसके साथ ही लोग अपनी गलती स्वीकार कर अहंकार छोड़ने की प्रार्थना करते हैं.
ऐश बुधवार ईसाइयों के लिए अपने जीवन पर चिंतन करने, अपने पापों को स्वीकार करने, पश्चाताप करने का समय है. यह पवित्र दिन विनम्रता, नश्वरता और मानवीय कमजोरी को स्वीकार करने का प्रतीक है. ऐसी मान्यता है कि कई ईसाई लोग लेंटेन सीजन के दौरान उपवास रखकर ईसा मसीह के प्रति अपनी आस्था को दिखाते हैं और 40 दिनों तक मांसाहार को त्याग देते हैं.