gupt Navratri 2024: नवरात्रि हिंदुओं का एक मुख्य त्यौहार है, साल में चारों नवरात्रि ऋतु परिवर्तन के समय यानि चैत्र, माघ, आषाढ़, आश्विन माह में मनाई जाती हैं. इस बार साल की पहली गुप्त नवरात्रि 10 फरवरी 2024 से शुरू होगी. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि की पूजा प्रत्यक्ष नवरात्रि से अलग होती है. गुप्त नवरात्रि के नाम में ही इसका अर्थ छुपा है तो आइए जानते है कि आखिर माघ और आषाढ़ में आने वाली नवरात्रि को गुप्त क्यों कहा जाता है. आखिर इसके पीछे क्या रहस्य है?
गुप्त नवरात्रि का अर्थ
माना जाता है आषाढ़ और माघ में आने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि नाम इसलिए दिया गया है, क्योकि इसमें गुप्त विद्याओं की सिद्धि के लिए साधना की जाती है. गुप्त नवरात्रि में तंत्र साधनाओं का महत्व होता है जिन्हें गुप्त रूप से किया जाता है इसलिए यह गुप्त नवरात्रि कहलाती हैं. इसमें अघोरी तांत्रिक गुप्त महाविद्याओं को सिद्ध करने लिए विशेष पूजा करते है साथ ही यह मोक्ष की कामना के लिए भी यह महत्वपूर्ण मानी जाती है.
दस देवियों की जाती है पूजा
मान्यता के अनुसार, चैत्र और शारदीय नवरात्रि में जहां नौ शक्तियों की पूजा की जाती है वहीं गुप्त नवरात्रि में दस देवियों का पूजा की जाती है. इन दस देवियों के नाम इस प्रकार है माता कालिके, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, माता भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, माता त्रिपुर भैरवी, माँ धूमावती, माता बगलामुखी, माता मातंगी, माता कमला देवी हैं.
गुप्त और प्रत्यक्ष नवरात्रि में हैं यह अंतर
माना जाता है गुप्त नवरात्रि गृहस्थ लोग नहीं मनाते हैं यह सिर्फ उन लोगों के लिए होती है जो तंत्र साधना और वशीकरण में विश्वास रखते है. इसलिए गृहस्थ लोगों को गुप्त नवरात्री में भी नवदुर्गा की पूजा करनी चाहिए. प्रत्यक्ष नवरात्रि में जहां सात्विक साधना, नृत्य, उत्सव मनाया जाता है वहीं गुप्त नवरात्रि में ऐसा नहीं किया जाता.
प्रत्यक्ष नवरात्रि सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति के लिए मनाया जाता है लेकिन गुप्त नवरात्रि में इच्छाओं की पूर्ति और मोक्ष की कामना को सिद्ध करने के लिए पूजा की जाती है. मान्यता यह भी हैं कि प्रत्यक्ष नवरात्रि वैष्णवों की हैं और गुप्त नवरात्रि शेव और शाक्तों की मानी जाती हैं. प्रत्यक्ष नवरात्रि की देवी मां पार्वती मानी जाती है और गुप्त नवरात्रि की देवी मां काली हैं.