ग्वालियर। भाजपा के पार्षदों को जनहित के मुद्दों पर अफसरों की अनदेखी और अनसुनी का सामना करना पड़ रहा है। नगर निगम परिषद की बैठक में धरना देना पड़ रहा है। सदन से वाकआउट तक की स्थिति बन गई है। सोमवार को जलविहार स्थित परिषद सभागृह में विपक्षी (भाजपा) पार्षदों द्वारा बुलाई गई अभियाचित बैठक में ऐसा ही नजारा देखने को मिला। यह स्थिति तब है जब प्रदेश में भाजपा की सरकार है। पार्षद संख्या अधिक होने से सभापति भी खुद की पार्टी का है। ऐसे में एक दिन पहले पांच पार्षद गंवा चुकी कांग्रेस की महापौर और उनकी पार्टी के पार्षद यह नजारा देखकर मंद मंद मुस्करा रहे थे।
नगर निगम परिषद की अभियाचित बैठक में सोमवार को अधिकारियों की मनमानी के मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ। बैठक में नगर निगम आयुक्त हर्ष सिंह के न पहुंचने पर पार्षदों ने हंगामा किया। पैनल सभापति और वार्ड 29 के पार्षद गिर्राज कंसाना ने अपर आयुक्त विजय राज पर अमर्यादित भाषा में बात करने का आरोप लगाते हुए धरना देना शुरू कर दिया। नेता प्रतिपक्ष हरिपाल सहित विपक्ष के अन्य पार्षद भी धरने पर बैठ गए, इसके चलते चार बार परिषद की बैठक को स्थगित किया गया। इसके बाद गिर्राज कंसाना के समर्थन में विपक्षी पार्षदों ने वाकआउट कर दिया। बाद में सभी पार्षद मिलकर अपर आयुक्त के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग का ज्ञापन देने के लिए निगम मुख्यालय पहुंचे, लेकिन यहां आयुक्त के मौजूद न रहने और पार्षदों को देखकर भी अपर आयुक्त आरके श्रीवास्तव के चले जाने से नाराज पार्षद निगमायुक्त के चैंबर से भी लौटकर चले गए। बैठक की शुरूआत में जैसे ही पार्षदों ने निगमायुक्त की सीट पर अपर आयुक्त को बैठे देखा, वैसे ही उन्होंने कहना शुरू कर दिया कि जनता के मुद्दों पर चर्चा और निर्णय करने के लिए जब निगमायुक्त ही मौजूद नहीं हैं तो बात कहने से क्या फायदा।
इसके बाद सभापति मनोज सिंह तोमर ने एजेंडा के अनुसार स्वच्छता के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए कहा। इस पर पार्षद देवेंद्र राठौर ने कहा कि मैंने उपायुक्त अमरसत्य गुप्ता के खिलाफ अपर आयुक्त के पास अपील की थी। अपर आयुक्त ने इस अपील को वापस अमरसत्य गुप्ता को भेज दिया और उन्होंने अपने खिलाफ की गई शिकायत को निराकृत कर दिया। निगम में ऐसी मनमानी चल रही है, इसके बाद पैनल सभापति व पार्षद गिर्राज कंसाना ने कहा कि मेरे वार्ड में 62 सफाई कर्मचारी हैं। कई कर्मचारी काम करने के बजाय हाजिरी भरकर चले जाते हैं। जब मैंने काम न करने वाले कर्मचारियों को हटाने के लिए कहा तो कोई कार्रवाई नहीं की गई। जब मैंने इस संबंध में अपर आयुक्त विजय राज से बात की तो उन्होंने मुझसे अभद्रता से बात की और कहा कि मैं अपने हिसाब से देख लूंगा। पार्षद ने आरोप लगाए कि अधिकारी दादागीरी पर उतारू हैं। इसके साथ ही उन्होंने धरना शुरू कर दिया। उनके साथ अन्य पार्षदधरने पर बैठ गए। हालांकि सभापति ने कहा कि वे अपनी बात लेटरपैड पर लिखकर दें। सभापति ने आयुक्त के सामने मुद्दों पर चर्चा के लिए बैठक को मंगलवार दोपहर तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।