इन दिनों दुनियाभर में खाने पीने को लेकर अलग अलग ट्रेंड देखने को मिल रहे हैं. लोग वीगन डाइट, नॉन एलकोहोलिक खाने की तरफ बढ़ रहे हैं. भारत में भी कई लोग आपको वीगन डाइट का समर्थन करते मिल जाएंगे. और सिर्फ भारत में नहीं अब तो इस्लामिक देशों में भी इसका चलन बढ़ रहा है. यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि दुबई के सबसे बड़े फूड फेयर्स में से एक गल्फ फूड के एक्सपर्टस का कहना है. पिछले कुछ सालों में वीगन डाइट बेहद लोकप्रिय हुए हैं. कुछ दुकाने भी खुल गई हैं जो प्लांट बेस्ड शावरमा मीट बेचते हैं. आइए जानते हैं कि आखिर इस डाइट के पीछे क्यों भाग रहे हैं, इसके फायदे नुकसान क्या हैं?
वीगन डाइट क्या है?
यह एक तरह की वेजिटेरियन डाइट ही नहीं है, बल्कि उससे भी एक कदम आगे है. वीगन डाइट का मतलब है- बिना मांस, पोल्ट्री, मछली, डेयरी, अंडा और शहद के खाना. इसमें लोग सभी तरह के डेयरी उत्पाद यानी दूध, दही, मक्खन, घी और छाछ भी छोड़ देते हैं. इस डाइट में सिर्फ अनाज, सब्जियां, फल और ड्राय फ्रूट्स जैसी चीजें ही खाई जा सकती हैं.
अब जिस तरह दूध-दही जैसी बेसिक चीजों को खाने पर भी प्रतिबंध रहता है. तो अक्सर यह सवाल उठता है कि ऐसी डाइट को फॉलो करने से पूरा पोषण कहां से मिलेगा. खासकर कैल्शियम और प्रोटीन की कमी कैसे पूरी होगी. वीगन डाइट लेने वाले लोग प्रोटीन के लिए सोया, टोफू, सोया मिल्क, दालों, पीनट बटर, बादाम आदि पर निर्भर रहते हैं. इन्हें कैल्शियम हरी पत्तेदार सब्जियों, टोफू और रागी के आटे इत्यादि से मिलता है.
क्यों वीगन डाइट की तरफ बढ़ रहे हैं लोग?
दुनियाभर में लोगों के मांसाहारी खाना छोड़ने के पीछे सबसे बड़ा कारण है इससे होने वाली स्वास्थय सबंधी समस्याएं. दशकों से, पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट ने लोगों को कम मांस, खासकर गोमांस और सूअर का मांस खाने की सलागह दी है. ज्यादा मांसाहारी खाना खाने से दिल का दौरा, स्ट्रोक, कैंसर जैसी बीमारियां होती है.
दूसरी सबसे बड़ी वजह है – जानवरों के साथ किसी तरह का उत्पीड़न ना हो. यह कई लोगों को शाकाहारी आहार शुरू करने के लिए प्रेरित करता है. कई शाकाहारी लोगों का यह मानना है कि सभी जानवरों को जीने का और स्वतंत्रता का अधिकार है.
अगर आप किसी से पूछते हैं कि उन्होंने वीगन डाइट खाने का फैसला क्यों किया, तो इस बात की पूरी संभावनाएं है कि वे पर्यावरण के बारे में कुछ बताएंगे. बहुत से लोग जो प्लांट बेस्ड डाइट लेते हैं, वे पर्यावरण की रक्षा करने का तर्क देते हुए मांसाहारी खाना छोड़ देते हैं. हालांकि कुछ रिसर्च बताते हैं कि अगर इस धरती पर हर कोई शाकाहारी हो जाए, तो भी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में केवल 2.6 प्रतिशत की गिरावट आएगी.
वीगन डाइट के कई फायदे भी हैं
हर डाइट के अपने फायदे और नुकसान हैं. यही बात वीगन डाइट के साथ भी है. तो पहले जानते इसके फायदे क्या हैं.
वजन कम करने की चाह रखने वाले लोगों के लिए यह डाइट मदद कर सकता है. हेल्थलाइन वेबसाइट के मुताबिक कई अध्ययनों से पता चलता है कि वीगन डायट फॉलो करने वाले लोग नॉन वीगन लोगों की तुलना में पतले होते हैं और उनका बॉडी मास इंडेक्स कम होता है.
दिल की सेहत के लिए भी यह डाइट फायदेमंद होती है. वीगन डाइट को फॉलो करने वाले बैड कोलेस्ट्रॉल से बचे रहते हैं और इस तरह उनका दिल भी हेल्दी बना रहता है. इसके अलावा, यह टाइप 2 डायबिटिज और कुछ कैंसर से आपको बचाता भी है. ब्लड प्रेशर की समस्या भी कम होती है.
कुछ अध्ययनों से यह भी पता चला है कि गठिया के मरीजों को भी वीगन आहार लेने से फायदा होता है. अध्ययन में गठिया से पीड़ित लोगों को या तो अपना मांसाहारी आहार खाना जारी रखने या 6 सप्ताह के लिए वीगन डाइट पर स्विच करने के लिए कहा गया. जिन मरीजों ने वीगन डाइट पर स्विच किया उन्हें गठिया के दर्द से राहत मिला
तो कई नुकसान भी हैं
वीगन डाइट का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि अगर इसे ठीक से फॉलो नहीं किया गया तो इससे शरीर को पर्याप्त पोषण मिलने में दिक्कत हो सकती है. खासकर इससे शरीर को उतना कैल्शियम नहीं मिल पाता, जितना कि जरूरी होता है. जानवरों के फैट में आयरन अच्छी मात्रा में होता है. पर अगर इसे न खाएं तो आयरन की कमी के कारण एनीमिया हो सकता है. विटामिन बी 12 की कमी से भी एनीमिया हो जाता है. नॉन वेज खाने में और दूध से बनी चीज़ों में अच्छी मात्रा में विटामिन बी 12 होता है.जो भी लोग वीगन डाइट फॉलो करें वो विटामिन बी 12, विटामिन डी और कैल्शियम के लेवल का ध्यान रखें. बाकी बेहतर तो आपके सेहत के लिए यही होगा कि आप ट्रेंड को फॉलो कम करें और डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही वीगन डाइट की तरफ बढ़ें.