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कई रहस्यों से घिरी हैं जोगिदण्ड की ऐतिहासिक गुफाएँ, अंदर विराजमान हैं भगवान भोलेनाथ, सांप बिच्छू करते हैं पहरेदारी

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दमोह। दमोह और छतरपुर जिले की सीमा में लुहरपुरा के जंगल मे जोगिदण्ड नामक सिद्ध स्थल लोगों की आस्था का केंद्र तो माना ही जाता है। साथ ही यहां पहाड़ी की रहस्यमयी गुफाएं अपने आप मे अद्भुत और अनोखी हैं। जोगिदण्ड स्थल पर एक विशाल आकार के पत्थरों की पहाड़ी में दो गुफाएं हैं। गुफा के अंदर अत्यंत दुर्गम और संकीर्ण घुमावदार रास्ता से होकर पहाड़ी के करीब एक किलोमीटर अंदर शिवलिंग विराजमान है। एक शिवलिंग पर पहाड़ी की गाय रूपी आकृति से दूधिया जलधारा शिवलिंग पर गिरती है और वही पानी की जलधारा गुफाओं के दुर्गम रास्तों से होकर बाहर की ओर बहती है। जिसके बीच चलकर श्रद्धालु और स्थानीय लोग गुफा के अंदर जाते हैं।

जोगी दंड कि यह गुफाएं बेहद ही रहस्यमय और दुर्गम है। गुफाओं के अंदर तक बहुत कम लोग ही प्रवेश कर पाते हैं। स्थानीय क्षेत्रवासी वर्ष में विभिन्न त्योहारों पर यहां अंदर पहुंचकर भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना भी करते हैं। गुफाओं के अंदर प्रवेश करना सभी के बस की बात नहीं है। क्योंकि यहां अंधेरा बहुत रहता है और ऑक्सीजन का जो लेवल है बहुत भी काम है। साथ ही पानी और चट्टानों में सांप बिच्छू जैसे विभिन्न प्रजातियों के जीव जंतु भी पाए जाते हैं।

पहाड़ी के दूसरे सिरे पर भी एक गुफा मौजूद हैं, इस गुफा का अगला हिस्सा काफी चौड़ाई वाला है लेकिन कुछ अंदर यह गुफा मार्ग संकीर्ण हो जाता।एक सीढ़ी के सहारे लोग ऊपर चढ़ते है। बताया जा रहा आगे जाकर यह दोनों गुफाओ के रास्ते अंदर मिल जाते हैं। 1960 से 70 और 80 के दशकों तक बुंदेलखंड अंचल में दस्यु सरगनाओं का बोलबाला रहा। कहा जाता है लंबे समय तक यह गुफाएं दस्यु सम्राटों की पनाहगार और शरणस्थली भी बनी रही। लोग यंहा आने में ख़ौफ़ खाते थे। लेकिन समय के साथ साथ अब यह ऐतिहासिक और प्रकृति के वरदान स्थल लोगो की आस्था और पिकनिक स्थल के रूप में अपनी पहचान बना रहे हैं।

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