2024 के लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं. जिसको देखते हुए इंडिया एलायंस खुद को और मजबूत करने के लिए पीएजीडी ग्रुप से गठबंधन भी कर चुका है. लेकिन उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के बीच जुबानी जंग के बाद ये गठबंधन वाला दांव कांग्रेस पर उल्टा पड़ता नजर आ रहा है. क्यूँ कि पीएजीडी समेत इंडिया एलायंस के दो दलों में दरार बढ़ती जा रही है. नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी ने कई छोटे दलों के साथ मिलकर 5 साल पहले एक पीएजीडी ग्रुप बनाया था. अब इसमें दो बड़े नेताओं की जुबानी जंग के कारण फूट पड़ती नज़र आ रही है. भाजपा इस मतभेद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कश्मीर दौरा बता रही है.
जम्मू कश्मीर के भाजपा नेताओं की माने तो पीएजीडी ग्रुप पहले से ही टूटने की कगार पर था. लेकिन ये गठबंधन प्रधानमंत्री मोदी के कश्मीर दौरे के बाद ताश के पत्तों की तरह बिखर गया. इनका मानना है कश्मीर के लोग अब नरेंद्र मोदी के विकास मॉडल के साथ हैं. इनकी माने तो कांग्रेस कश्मीर में पहले ही क्लीन बोल्ड हो गयी है. इस चुनाव में कांग्रेस तो कहीं दूर दूर तक नज़र नहीं आ रही है. प्रधानमंत्री मोदी कश्मीरियों के ज़ख्मों पर मरहम लगाना शुरू कर चुके हैं.
सीटों को लेकर पड़ी दरार
इस फूट पर पीएजीडी ग्रुप के सदस्यों का मानना है, कि हमें इस फूट को सुलझाना होगा. दो सीटों को लेकर ये फूट पड़ने नहीं देंगे. हम सब एकजुट होकर चुनाव लड़ेंगे तो हमें एक भी सीट पर खतरा नहीं होगा. लेकिन हम एकजुट नहीं हो पाएं तो हमें हर एक सीट पर खतरा होगा. इस फूट को पीएजीडी के साथ मिलकर और बैठकर सुलझाना होगा, डॉ फारूक अब्दुल्ला से बैठकर बात की जाएगी और हम इस बैठक में कांग्रेस को भी शामिल करेंगे.
बीजेपी को मिलेगा फायदा
राजनेतिक जानकारों का कहना है कि, इस गठबंधन का होना दरिया के दो किनारों जैसी था जिनका मिलना पहले से ही तूफान लाने वाला था. राजनीति में ना कोई पक्का दुश्मन होता हैं और ना ही पक्का दोस्त, जब पीएजीडी बनी थी तब भी यह बात कही गयी थी कि दरिया के दो किनारे जब मिलेंगे तो एक तूफान बरपेगा और आज साबित हुआ कि यह दो अलग अलग किनारे हैं जिसके कारण ये एक साथ नहीं मिल सकते. उनका मानना है जम्मू कश्मीर की स्थिति को लेकर इसका फायदा उन पार्टियों को होगा जो कि जम्मू कश्मीर में अपना सिक्का नहीं जमा पाई थी. इसका मतलब साफ है कश्मीर में इस फूट का सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी को ही होने वाला है.