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फायर अमले में शामिल 50 प्रतिशत वाहन कंडम, घटना स्थल तक पहंचने में फूल रही सांसें

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भोपाल। नगर निगम के फायर अमले में शामिल 50 प्रतिशत से अधिक वाहन कंडम हो चुके हैं। हालांकि 15 से 53 वर्ष पुराने अग्निशमन वाहनों के भरोसे आग की घटनाओं से बचाने का दावा किया जा रहा है। यही कारण है कि आग लगने के बाद मौके पर जब तक दमकलें पहुंचती हैं, तब तक बहुत देर हो जाती है। यह देखकर कहना गलत नहीं होगा कि घटना स्थल तक पहुंचने में इन दमकलों की सांसें फूल जाती हैं। चूंकि अभी हाल ही में वल्लभ भवन में आग लगी थी। इसके बाद से निगम के फायर विभाग पर सवाल उठने लगे हैं। यह बात और है कि नगर निगम ने 15 वर्ष पुराने ऐसे 11 फायर ब्रिगेड और पांच वाटर टैंकरों को स्क्रैप पालिसी के तहत नष्ट करने का निर्णय लिया है, लेकिन फायर अमले को अपग्रेड करने की तरफ कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे।

बता दें, कि शहर का वर्तमान रकबा 412 वर्ग किमी हो चुका है। इसमें करीब 28 लाख की आबादी को फायर सिक्योरिटी देने का जिम्मा निगम के फायर ब्रिगेड का है। इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए उसके पास 32 फायर फाइटर्स (दमकल) का बेड़ा है, जो आबादी और क्षेत्र के हिसाब से काफी कम है। इनमें से 15 से 53 वर्ष पुरानी 16 दमकलें ऐसी हैं कि जिनका दम निकल चुका है। यही हाल रेस्क्यू व्हीकल और एम्बुलेंस का भी है। दो हाइड्रोलिक प्लेटफार्म में से एक करीब 30 वर्ष पुराना है। यानी फायर ब्रिगेड का 50 फीसदी बेड़ा आउटडेटेड हो चुका है।

बीते दो दशक में शहर का दायरा बढ़ने के साथ ही रिहायशी और व्यवसायिक क्षेत्र भी बढ़े हैं, लेकिन फायर ब्रिगेड की क्षमता बढ़ने के बजाए घटती जा रही है। मौजूदा हालात ये हैं कि फायर अमला करीब 50 साल पुराने संसाधनों के भरोसे आग पर काबू पाता है। इसकी बानगी ये है कि निगम फायर अमले की 32 दमकलों में से महज 10 गाड़ियां ऐसी हैं, जो आग बुझाने के लिए फिट हैं।

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हालांकि फायर ब्रिगेड को अपडेट करने के कई बार प्रस्ताव बने, लेकिन कुछ हुआ नहीं। फायर ब्रिगेड में लेटेस्ट माडल दमकलों की बात करें तो दो दमकलें 2014 में खरीदी गई थीं। जबकि इससे पहले तीन दमकलें 2005-09 के बीच खरीदी गईं। नेशनल फायर एडवाइजरी कमेटी के मुताबिक एक दमकल की लाइफ 10 साल होती है। अपनी उम्र पूरी करने वाली दमकलों को फायर ब्रिगेड से हटा दिया जाता है।

जिन गाड़ियों के भरोसे नगर निगम शहर में फायर सेफ्टी का दावा करता है, वह आग्नि दुर्घटना के समय स्टार्ट ही नहीं होंती। ऐसे एक नहीं कई मामले हैं, जब गाड़ियां स्टार्ट ही नहीं हुईं और दूसरे फायर स्टेशनों से गाड़ियां रवाना करनी पडीं। ऐसे में जब तक दमकल मौके पर पहुंचती है, सब कुछ जल कर खास हो चुका होता है।
नई दमकल का एवरेज जहां 15 से 18 किलो मीटर प्रति लीटर होता है। इधर, सूत्रों की माने तो फायर ब्रिगेड की 16 गाड़ियों का एवरेज 2 से 4 किमी प्रति लीटर है। ऐसे में फायर ब्रिगेड में उम्मीद से ज्यादा डीजल की खपत होती है।
ऊंची इमारतों में आग लगने के दौरान जिस हाइड्रोलिक प्लेटफार्म की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। निगम के पास दो हाइड्रोलिक प्लेटफार्म हैं। इनमें से एक 70 फीट ऊंचा हाइड्रोलिक प्लेटफार्म 1988 में खरीदा गया था, जबकि दूसरा 171 फीट ऊंचा प्लेटफार्म पिछले साल खरीदा गया। यह प्लेटफार्म 18 मंजिल तक आग बुझा सकता है। 2012 में जब इस प्लेटफार्म को खरीदने की कवायद शुरू हुई तब शहर में सबसे ऊंची बिल्डिंग 13 मंजिला ही थी, लेकिन अब शहर में 35 मंजिला यानी (350 फीट) ऊंची इमारतें बन चुकी हैं। ऐसे में ये नया आधुनिक हाइड्रोलिक प्लेटफार्म भी बौना साबित हो रहा है।

फैक्ट फाइल

– शहर में फायर स्टेशन- 11 (फतेहगढ़, बैरागढ़, गांधी नगर, माता मंदिर, बोगदापुल, गोविंदपुरा, आईएसबीटी, कोलार, कबाड़खाना, अरेरा हिल्स)
– प्रत्येक में फायर फाइटर-3
– फायर अमला-410
– एक वर्ष में आग लगने की औसत घटनाएं- 1200
– एक माह में आग लगने की औसत घटनाएं- 100

कितना मजबूत है फायर ब्रिगेड

फायर एक्सटिंग्यूशर – 90
जनरेटर – 1
हाइड्रोलिक प्लेटफार्म – 2 (70 और 171 फीट)
फोम टैंडर – 6
फायर फाइटर छोटे-बड़े – 26
फायर ब्रिगेड में संसाधनों की कोई कमी नहीं है। फायर फाइटर्स सहित अन्य संसाधनों को जरूरत के मुताबिक अपग्रेड किया जाता है। हालांकि अमले की कमी है, जिसकी डिमांड की गई है।

– रामेश्वर नील, प्रभारी, अग्निशमन अमला

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