इस्लाम धर्म में पांच वक्त की नमाज पढ़ना अनिवार्य है. इसलिए मुसलमान हर दिन पांच वक्त की नमाज पढ़ते हैं. अभी रमजान का महीना चल रहा है. ऐसे में पांच वक्त की नमाज के अलावा तरावीह की नमाज अदा की जाती है. इसका इस्लाम धर्म में काफी महत्व है, लेकिन नमाज पढ़ते समय भी लोगों को कई बातों का ध्यान रखना चाहिए. जिनकी अनदेखी करने पर आपकी नमाज अधूरी रह जाती है. नमाज पढ़ते समय छोटी से छोटी बातों का ध्यान रखा जाता है, क्योंकि इसके बिना आपकी नमाज कबूल नहीं होती हैं.
इस्लाम धर्म में अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाने के बाद सभी लोगों के लिए नमाज पढ़ना जरूरी हो जाता है. फिर वो चाहे मर्द हो या फिर औरत, गरीब हो या फिर अमीर सभी लोगों का नमाज पढ़ना जरूरी है.
नमाज को अरबी भाषा में सलाह कहते हैं, जिसमें अल्लाह की इबादत यानि पूजा की जाती है और कुरआन पढ़ा जाता है. बता दें कि नमाज के अंदर कई तरह की पोजिशन होती हैं, जो मन को शांति देने के साथ-साथ कई तरह के शारीरिक लाभ भी देती हैं. इसलिए नमाज को बहुत ही ध्यान से पढ़ा जाता है, क्योंकि यह इबादत दिल से की जाती है.
नमाज पढ़ते समय इधर-उधर न देखें
नमाज में ध्यान लगाना बहुत जरूरी है क्योंकि जब हम सलाह अदा करते हैं, तब हमारा मुंह किबला की तरफ होता है. जब लोग मस्जिद में नमाज अदा करते तो इमाम साहब का रुख किबला की तरफ रहता है. इसलिए मुसलमानों को किबला की तरफ रुख करने में परेशानी नहीं होती है, लेकिन अगर आप अकेले नमाज पढ़ रहे हैं तो किबला की दिशा पता लगाना जरूरी है. इसके अलावा नमाज के दौरान इधर-उधर नहीं देखना चाहिए.
नमाज पढ़ने से पहले इन बातों का रखें ध्यान
जिस तरह आप खुद को पाक रखते हैं, ठीक उसी तरह नमाज पढ़ने की जगह भी पाक होनी चाहिए. आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि नमाज पढ़ने से पहले साफ कपड़े ही पहनें और साफ-सुथरी जगह पर ही नमाज पढ़ें. क्योंकि जिस जगह पर आप नमाज अदा करने जा रहे हैं. उसका पाक होना जरूरी है. वैसे तो जमीन पर आप कहीं भी नमाज पढ़ सकते हैं क्योकि जमीन पाक होती है, लेकिन जिस स्थान पर नमाज पढ़ें. वहां किसी प्रकार की कोई गंदगी नहीं होनी चाहिए.
नमाज के 13 फर्ज
नमाज के दौरान इन 13 फर्ज का अदा किया जानाजरूरीहै.
- वजू या गुस्ल
- पाक कपड़े
- पाक जगह
- सतर छिपाना
- नमाज का वक्त
- किब्ले की तरफ रुख
- नीयत
- नमाज शुरू करते हुए तक्बीरे तहरीमा ‘अल्लाहु अकबर’
- खड़े होना
- किरात यानी कुरआन मजीद में से कुछ पढ़ना
- रुकूअ
- दोनों सज्दे
- नमाज के आखिर में अत्तहीयात पढ़ने के लिए बैठना