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भोपाल। शहर की सड़कों पर घूमने वाले आवारा श्वानों की मानीटरिंग के लिए नगर निगम के पास कोई इंतजाम नहीं हैं। वहीं बीते पांच सालों में नगर निगम ने शहर की एक भी कालोनी में जागरूकता कैंप भी नहीं लगाया। नगर निगम के उपायुक्त स्वास्थ्य योगेन्द्र पटेल खुद मानते हैं कि आवारा पशु और स्ट्रीट डाग मानीटरिंग कमेटी में कौन-कौन अधिकारी, कर्मचारी हैं, उसकी जानकारी कार्यालय में नहीं है। ऐसे में कोई आश्चर्य नहीं कि शहर में डाग बाइट की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। एक आरटीआइ की जानकारी में यह बात सामने आई है।

दरअसल बीते दो महीने के दौरान शहर में आवारा श्वानों के लोगों पर हमले सुर्खियों में रहे। इन हमलों में दो बच्चों की जान चली गई। वहीं दर्जनों लोग डाग बाइट की घटनाओं के शिकार हुए। इसके अलावा नसबंदी के लिए कालोनियों में आवारा श्वानों को उठाने पहुंची डाग स्क्वाड की टीम और पशु प्रेमियों में विवाद हुए। इस पर नगर निगम की ओर से पेट लवर्स के खिलाफ विभिन्न थानों में एफआइआर भी दर्ज करवाई गईं। लगातार इस तरह के मामले सामने आने के बाद जागरूक लोगों ने निगम से आरटीआइ के तहत जानकारियां मांगी।

तीन वर्ष पहले घट गई थी नसबंदी, इसलिए बढ़ी श्वानों की संख्या

 

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वर्ष 2019 में नगर निगम ने शहर के 15 हजार 175 आवारा श्वानों की नसबंदी करने का दावा किया। लेकिन अगले ही साल नसबंदी सीधे 4 हजार 269 पर आ गई। इसके अगले साल 2021-22 में 8 हजार 536, साल 2022-23 में 9 हजार 291 आवारा श्वानों की नसबंदी हुई। वहीं बीते साल की बात करें तो साल 2023-24 में 31 जनवरी 2024 तक 16 हजार 76 श्वानों की नसबंदी का दावा किया गया। यह नसबंदी शहर के तीन अलग-अलग एबीसी सेंटरों में हुई।

 

श्वानों को रखने के लिए सिर्फ 272 केज, इसमें आधे खराब

 

 

कोलार के कजलीखेड़ा, अरवलिया और आदमपुर छावनी में बने नगर निगम के एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) सेंटर में 272 केज-पिंजरे हैं, जिसमें श्वानों को रखा जाता है। लेकिन इनमें से आधे खराब हैं। किसी का गेट टूटा है तो किसी की जालियां निकल गईं।

नगर निगम के पास नहीं है रिकार्ड

 

शहर की कालोनियों में बीते पांच वर्षों के दौरान निगम ने आवारा श्वानों के लिए किसी तरह का जागरूकता अभियान नहीं चलाया। भोपाल कलेक्टर और नगर निगम कमिश्नर ने स्ट्रीट डाग के लिए निगम के ही वेटरनरी को किसी तरह के आदेश-निर्देश नहीं दिए और न ही आवारा पशु व आवारा श्वान के लिए किसी तरह की मानीटरिंग कमेटी नहीं है। यह दावा निगम की वेटरनरी शाखा का है।

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