कांग्रेस शासित तेलंगाना की हैदराबाद सीट हमेशा से हॉट सीट रही है और असदुद्दीन ओवैसी यहां से सांसद बनते रहे. इस बार के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने ओवैसी के किले में सेंध लगाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. खास बात ये है कि जो असदुद्दीन ओवैसी हमेशा कांग्रेस के खिलाफ कड़े तेवर अपनाते नजर आते थे, और सीएम रेवंत रेड्डी को आरएसएस का एजेंट बताते थे उन्हीं एआईएमआईएम मुखिया ओवैसी के सुर अब बदले-बदले सुनाई पड़ रहे हैं.
सूत्रों के मुताबिक, हैदराबाद में कांग्रेस और ओवैसी की इस बार केमिस्ट्री बदल गई है. हाल ही के दिनों में CM रेवंत रेड्डी और ओवैसी दोनों के बेहतर रिश्ते दिखाते वीडियो और बयान सामने आ ही चुके हैं. विधानसभा चुनाव में अभी 6 महीने भी नहीं बीते हैं, लेकिन अब CM और ओवैसी के दिल बदले बदले से दिख रहे हैं।इसके पीछे है हैदराबाद का चुनावी गणित. जिसे इस बार बीजेपी ने पूरी तरह बदल दिया है.
हैदराबाद में बीजेपी ने फंसा दिया गेम
दरअसल यहां से ओवैसी पांचवीं बार अपनी जीत पक्की मान रहे थे, लेकिन बीजेपी ने अपनी फायरब्रांड नेता माधवी लता को मैदान में उतारकर गेम फंसा दिया. इसी के बाद कांग्रेस और ओवैसी की रणनीति बदलने लगी. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस हैदराबाद सीट से धनाढ्य व्यापारी अली मस्कडी, 2 बार से ओवैसी के सामने ताल ठोक रहे माजिद खान और पार्टी के स्थानीय चेहरे समीरुल्लाह के नामों पर विचार कर रही है.
वैसे भी ओवैसी की बारे में कहा जाता है कि, वो अपने इलाके में दबदबा बनाए रखने के लिए राज्य सरकार से समझ बना कर रखते हैं. पहले टीडीपी, फिर कांग्रेस और बाद में बीआरएस के साथ रहे, ऐसे में अब तेलंगाना सरकार कांग्रेस की है. भले ही कांग्रेस खुलकर ओवैसी के साथ दिखकर देशभर में ध्रुवीकरण का संदेश नहीं देना चाहती. लेकिन अंदरखाने वो भी सियासी खिचड़ी जरूर पका रही है.
कांग्रेस के उम्मीदवार पर टिकी सबकी नजरें
अगर स्थानीय समीकरण को देखें तो नजर आता है कि अगर इस बार कांग्रेस ने कोई मजबूत मुस्लिम चेहरे को उतार दिया तो मुस्लिम वोट कांग्रेस और AIMIM के बीच बंट सकता है. ऐसा हुआ तो बीजेपी को फायदा होगा, जो न कांग्रेस चाहती है और न ओवैसी. वहीं कांग्रेस हिन्दू उम्मीदवार देकर सीधे ओवैसी की मददगार नहीं दिखना चाहती है. कांग्रेस और ओवैसी के बीच गठजोड़ का कोई आधिकारिक ऐलान नहीं है, लेकिन राजनीतिक पंडितों की मानें तो वहां से पार्टी किसी कमजोर प्रत्याशी को उतार सकती है जिससे मुस्लिम वोट आपसे में ना बटें. ऐसे में पैनल में तीसरे नम्बर पर आए समीरुल्लाह रेस में फिलहाल सबसे आगे हैं.
सूत्रों का दावा है कि इसके एवज में ओवैसी बिहार से लेकर UP तक बड़े पैमाने पर चुनाव लड़कर कांग्रेस और विपक्ष को जो नुकसान पहुंचाते थे, अब अगर पत्ते ठीक पड़ गए तो बड़े पैमाने पर ओवैसी ऐसा करते नहीं दिखेंगे.