आखिर एक हफ्ते बाद दंपत्ति को वापस मिल गया 2 महीने का मासूम, जानिए ट्रेन में बच्चा चोरी की पूरी कहानी
इंदौर: एक सप्ताह पहले ग्वालियर से डबरा के बीच एक दंपति का बच्चा ट्रेन में चोरी हो गया था जिसे 2-3 दिन बाद इंदौर जीआरपी थाने में एक अन्य दंपति ने यह कहकर लौटाया था कि बच्चा उन्हें ट्रेन में मिला था। हालांकि इस पूरे मामले का खुलासा हुआ कि पुलिस को बच्चा सौंपने वाला दंपति ही बच्चा चोर है। इसके बाद बच्चे को बाल कल्याण समिति में रखा गया था। क्योंकि बाल कल्याण समिति नई बनी है जिसके सदस्य अभी पूरे नहीं होने पर पूरा मामला इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह के पास पहुंचा था। नियमानुसार कार्रवाई करते हुए कलेक्टर ने आज बच्चे को उसके माता-पिता को सौंप दिया है।
ये है पूरा मामला
मामला 5-6 अप्रैल की दरमियानी रात मामला एक्सप्रेस का है। ट्रेन में सफर कर रहे छतरपुर निवासी दंपती का दो माह का बेटा कोई उठा ले गया। उन्होंने जीआरपी थाने में मामला दर्ज कराया। दो दिन बाद इंदौर के एक दंपती ने बच्चा जीआरपी को यह कहते हुए सौंप दिया कि इसे कोई ट्रेन में लावारिस छोड़ गया था। आप को बता दें कि छतरपुर के रठखेड़ा गांव निवासी 27 वर्षीय उमेश कुमार अहिरवार, पत्नी सुखवंती और दो माह के बेटे नमन के साथ माता वैष्णो देवी के दर्शन करने गए थे। वापसी में 5 अप्रैल को मालवा एक्सप्रेस के एस-2 कोच में उनका झांसी तक रिजर्वेशन था। बर्थ नंबर 13 और 14 थी। जम्मू के कटड़ा स्टेशन से वे ट्रेन में सवार हुए। रात 11 बजे आगरा पहुंचने पर सुखवंती को पेट में दर्द हुआ।
उमेश ने उसे दवा दे दी और बच्चे को साथ ही सुला दिया। खुद दूसरी बर्थ पर लेट गए। तड़के जब डबरा स्टेशन के पास नींद खुली तो देखा कि पत्नी सो रही है लेकिन बच्चा गायब है। शोर मचाया तो RPF के जवान पहुंचे और बच्चे को तलाशना शुरू किया। नहीं मिलने पर दंपती की तरफ से 7 अप्रैल को ग्वालियर के जीआरपी थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। बच्चे के माता-पिता उमेश अहिरवार और सुखवंती इंदौर पहुंच गए हैं लेकिन उनको बच्चा आज शनिवार को मिला। वहीं दूसरी ओर बच्चे के गायब होने की गुत्थी पुलिस ने सुलझाने के बाद आरोपी दंपति व उसका साथ देने वाली बहन को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। पति 5 दिन की पुलिस रिमांड पर है।