ग्वालियर: रात में शहर की सड़कें सुरक्षित नहीं हैं। इसकी वजह है- अंधेरा होते ही नशे और रफ्तार से सड़क पर गाड़ियां मौत बनकर दौड़ती हैं। हर रोज हादसे होते हैं, आए दिन निर्दोषों की जान जाती है। फिर भी नशे और रफ्तार में फर्राटा भरती गाड़ियों के चालकों पर पुलिस सख्त कार्रवाई करने में नाकाम है। पुलिस दिन में बाजारों से लेकर चौराहों तक पर नजर आती है, जगह-जगह चालान काटते हुए ट्रैफिक पुलिस के जवान नजर आते हैं, लेकिन रात में पुलिस सड़कों से गायब रहती है। इस कारण रात में लगातार सड़क हादसे हो रहे हैं। रात में होने वाले 90 प्रतिशत हादसों की वजह तेज रफ्तार और नशा ही है।
शुक्रवार रात को माधौगंज इलाके में हुए हादसे ने सारी हकीकत खोलकर रख दी है। किस तरह खुलेआम नियमों को तोड़ा जा रहा है और पुलिस ऐसे वाहन चालकों के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम है। नशे और रफ्तार में गाड़ी दौड़ाने वालों पर सबसे कम कार्रवाई: ट्रैफिक पुलिस चौराहों पर चालान काटती नजर आती है। दो पहिया वाहन चालकों के हेलमेट, तीन सवारी और चार पहिया वाहन चालकों के बिना सीट बेल्ट गाड़ी चलाने जैसे नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई की जाती है। नशा कर तेज रफ्तार में गाड़ी रात को दौड़ाते हैं, लेकिन रात में न तो ट्रैफिक पुलिस और न ही थाने की पुलिस कार्रवाई करती है। यह लोग टक्कर मारकर भाग जाते हैं, कई बार तो वाहनों की पहचान तक नहीं हो पाती। पुलिस का इंटरसेप्टर व्हीकल हाइवे पर खड़ा रहता है, जबकि आउटर प्वाइंट और शहर के ऐसे इलाके जहां हादसे अधिक होते हैं, वहां इसे तैनात किया जाना चाहिए। इंटरसेप्टर वाहन तेज रफ्तार में दौड़ रहे वाहनों के चालान बनाता है।
देखिये कप्तान साहब..यह हैं वह इलाके- जहां खुलेआम शराबखोरी के बाद रफ्तार में दौड़ती हैं गाड़ियां
छप्परवाला पुल: यहां होटल के सामने नानवेज के ठेले लगते हैं। ठेलों पर शराबखोरी होती है, लेकिन इन पर कार्रवाई नहीं होती। यहां अक्सर हादसे होते हैं और नशे में झगड़े होते हैं। सिटी सेंटर: सिटी सेंटर के पटेल नगर, कैलाश विहार, आयकर भवन रोड, सचिन तेंदुलकर मार्ग, बाल भवन के पास, रूपसिंह स्टेडियम के पास अंधेरा होते ही कार ओपन बार बन जाती हैं। कंपू: कंपू इलाके में ईदगाह पर रात तक होटल खुले रहते हैं। यहां रात में खुले में नानवेज बिकता है और शराबखोरी होती है। रेसकोर्स रोड: स्टेशन बजरिया के आगे रेसकोर्स रोड, मेला मैदान के अंदर, इंद्रमणि नगर पर नशा करने के बाद तेज रफ्तार में चार पहिया गाड़ियां दौड़ाते हैं। रात में हुए 61 हादसे: जनवरी से अब तक रात में करीब 61 सड़क हादसे शहर में हुए हैं। इनमें लगभग सभी हादसों की वजह तेज रफ्तार और नशे में गाड़ी दौड़ाना ही निकला है।