वॉकी-टॉकी, फेक ID और कैमरा… ट्रक देखते ही पत्रकार बन पहुंच जाते, हाईवे पर करते वसूली; पुलिस ने 9 को दबोचा
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में पुलिस ने 9 फर्जी पत्रकारों के गैंग का भंडाफोड़ किया है. आरोप है कि ये गैंग पिछले 6 महीने से NH (नेशनल हाइवे)-19 पर अपने यूट्यूब चैनल की माइक, आईडी और कैमरा दिखाकर धन उगाही का काम किया करता था. यूट्यूब पत्रकारिता की आड़ में वे ओवरलोड ट्रकों और दूसरी मालवाहक वाहनों को फर्जी तरीके से पुलिस से बचाकर निकालना और उनसे अवैध वसूली करते थे. यही इनका धंधा बन गया था.
स्टिंग ऑपरेशन की धौंस दिखाकर पुलिसकर्मियों और हाईवे पर वाहन चालकों से अवैध वसूली के आरोप में लंका थाने की पुलिस ने इन नौ फर्जी पत्रकारों को गिरफ्तार किया है. आरोपियों के पास से एक कार, तीन वॉकी-टॉकी, मोबाइल सेल्फी स्टिक, 360 डिग्री कैमरा, दो डाटा केबल- 02 अदद, मानवाधिकार आयोग, ह्यूमन राइट व आगाज इंडिया के आठ फर्जी परिचय पत्र, 11 मोबाइल, 11 सिम और 600 रुपये बरामद हुए. आरोपियों को अदालत में पेश कर जेल भेज दिया गया है.
डाफी हाइवे के पास तैनात एक सिपाही ने बताया वे अक्सर रात को 12 बजे लग्जरी गाड़ियों से उतरकर वाकी-टाकी से बातें करते थे. मध्य प्रदेश और दूसरे प्रदेशों से आने वाली गाड़ियों को रोककर पेपर में कमी बताकर पैसे ऐंठते थे. पुलिस की वर्दी में आकर पुलिस को भी धमकाते थे और पैसे की डिमांड करते थे. पुलिस की पूछताछ में पता चला है कि वाराणसी के अलावा, ये लोग चंदौली, भदोही और जौनपुर के इलाकों में एक्टिव रहते थे. बाकी जिलों में भी यदि इनके यूट्यूब चैनल से जुड़कर कोई पत्रकारिता की आड़ में वसूली कर रहा होगा तो पुलिस उन्हें भी गिरफ्तार करेगी.
गैंग के सभी 9 लोग वसूली के अलावा, NH-19 दिल्ली-कोलकाता हाइवे पर ओवरलोडिंग गाड़ियों को पास कराने का भी काम किया करते थे. हाइवे की चौकियों पर फैंटम और पुलिस कर्मियों की लोकेशन आपस में शेयर करते थे. जिसमें हाईटेक वॉकी-टॉकी और फोन भी इस्तेमाल होते थे. पुलिसकर्मियों के आने-जाने का पूरा लोकेशन भी एक-दूसरे से बताते थे. कई बार तो पुलिस की वर्दी में ही ट्रक वालों को परेशान करते थे. पेपर में कमियां निकालकर उनसे पैसे वसूल लेते थे. यहां तक कि पुलिस को भी नहीं छोड़ा। लग्जरी कार से आकर ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों को डराकर बड़े अधिकारियों से शिकायत की धमकियां दे देते थे.
बड़े वाहनों और पुलिस की गाड़ियों को टारगेट करते
DCP काशी प्रमोद कुमार के मुताबिक, नेशनल हाइवे पर बड़े वाहनों और पुलिस की गाड़ियों को टारगेट करते थे. यहां से आसानी से पैसे मिल जाते थे. रात के वक्त मवेशियों और भारी माल लदे ट्रकों को रोकते थे. पेपर मांगने के दौरान चेकिंग करते थे और पैसे मांगते थे. इसमें पुलिस की वर्दी का इस्तेमाल करते थे. इन लोगों के पास किसी चैनल का रजिस्ट्रेशन या RNI नंबर भी नहीं है. 3 दिन पहले लंका थाना के रमना चौकी पहुंचकर वॉकी-टॉकी से बात करते हुए पुलिस की लोकेशन बता रहे थे. रमना चौकी प्रभारी अश्विनी राय ने बताया कि ये लोग सिपाहियों से नेम प्लेट वर्दी और जूते पहनने के बारे में पूछ रहे थे.
पुलिसकर्मियों से पैसा वसूलते
इसके बाद दूसरे वाहनों को रोककर नंबर प्लेट और पेपर के बारे में पूछताछ भी किए. पहले तो पुलिसकर्मी लग्जरी गाड़ी और उनके हाव-भाव से डर गए थे. इसके बाद चौकी प्रभारी की लोकेशन और फैंटम की लोकेशन लेने के बाद वहां से निकल गए. फिर शुक्रवार की देर रात कार से हाइवे पर वाहनों को रोक रहे थे. तभी पुलिस को शक हो गया और सारा भांडाफोड़ हो गया.
पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि उनका एक संगठित गिरोह है. वे लोग हाईवे पर आने-जाने वाले वाहनों को रोककर ओवरलोडिंग की बात कहकर सीज कराने की धमकी देते. फिर पैसे वसूलते. रास्ते में ड्यूटी पर नियुक्त पुलिस कर्मियों को वीडियो रिकॉर्डिंग करने और पत्रकार होने की बात कहकर डराते और पैसा वसूलते.