लोकसभा चुनाव के पहले चरण की 102 सीटों पर मतदान हो रहा है. ये लोकसभा सीटें 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की हैं. उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल की चुनिंदा सीटों के साथ उत्तराखंड, तमिलनाडु और अरुणाचल प्रदेश की सभी सीटों पर पहले ही फेज में चुनाव पूरी तरह से निपट जाएंगे. इस चरण के मतदान से ही काफी हद तक 2024 की तस्वीर साफ हो जाएगी. पहले फेज में बीजेपी के लिए अपनी सीटें बचाए रखने की चुनौती है तो कांग्रेस को अपनी सीटें बढ़ाने के साथ-साथ सहयोगी दल डीएमके के प्रदर्शन को बरकरार रखना होगा.
पहले फेज में ही बीजेपी के अगुवाई वाले एनडीए और कांग्रेस नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन की परीक्षा होनी है. पहले फेज में की 40 फीसदी सीटें बीजेपी ने पिछले चुनाव में जीती थी जबकि कांग्रेस महज 15 फीसदी सीटें ही जीत सकी थी. हालांकि, गठबंधन के नजरिए से देखें तो इंडिया और एनडीए दोनों कमोबेश बराबर नजर आए थे. इसीलिए इस बार दोनों के समाने बेहतर प्रदर्शन दोहराने का चैलेंज और उन्हें न सिर्फ अपनी पिछली सीटों को बचाने बल्कि सीटों की संख्या बढ़ाने की चुनौती है.
BJP पिछली बार से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ रही
लोकसभा चुनाव के पहले चरण की जिन 102 सीटों पर मतदान हो रहे हैं, उसमें ज्यादा बसपा 86 सीट पर मैदान में है. बीजेपी 77, कांग्रेस 56, AIADMK 36, DMK 22, टीएमसी 5, आरजेडी 4, सपा 7, आरएलडी 1, एलजेपी (आर) के एक और जीतन राम मांझी की पार्टी HAM से एक सीट पर चुनाव लड़ रही. 2019 के चुनाव में इन 102 सीटों में बीजेपी 60 और कांग्रेस 65 सीटों पर चुनावी मैदान में उतरी थी, लेकिन इस बार बदले हुए समीकरण में बीजेपी पिछली बार से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ रही है तो कांग्रेस कम सीटों पर उतरी है.
पिछले लोकसभा चुनाव में पहले फेज की इन 102 सीटों में से बीजेपी 60 सीट पर लड़कर 40 सीटें जीती थी जबकि कांग्रेस 65 सीट पर लड़कर 15 सीटें ही जीत सकी थी. डीएमके 24 सीटों पर लड़कर 24 सीटें जीती थी. इसके अलावा 23 लोकसभा सीटें अन्य ने जीती थी. 2019 के चुनाव में इन सीटों पर जीत का अंतर काफी कम था. 27 सीटों पर जीत-हार का अंतर 10 फीसदी से कम था. 26 सीटों पर जीत का अंतर 10 से 20 फीसदी के बीच था, और 29 सीटों पर जीत का अंतर 20 से 30 फीसदी के बीच था. केवल 15 सीटों पर जीत का अंतर 30 से 40 प्रतिशत के बीच था, और पांच सीटों पर 40 प्रतिशत से अधिक था.
53 लोकसभा सीटें तय करेंगी सत्ता की तस्वीर
बीजेपी ने 2019 में इन 102 सीटों में से 60 पर चुनाव लड़ा, जिसमें 34 सीटों पर 50 फीसदी से अधिक था. 19 सीटों पर 30-50 फीसदी के बीच और सात सीटों पर 30 फीसदी से कम वोट शेयर हासिल किए. वहीं, डीएमके ने पिछले चुनाव में जिन 24 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और सभी पर जीत हासिल किया था. इसमें 19 सीटों पर उसे 50 फीसदी से अधिक वोट मिला था जबकि पांच सीट पर 30 से 50 फीसदी के बीच वोट था. हालांकि, डीएमके जिन सीटों पर जीती थी, उसमें कई सीटें ऐसी हैं, जो स्विंग होती रही हैं.
पहले चरण की 102 लोकसभा सीटों में से 53 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां पर जीत-हार का अंतर 20 फीसदी वोटों से कम रहा था. इनमें से 8 सीटें ऐसी हैं, जहां पर जीत का अंतर दो फीसदी के कम वोटों का था. इसमें लक्षद्वीप,अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, मिजोरम, नागालैंड और तमिलनाडु की दो सीट उत्तर प्रदेश की मुजफ्फरनगर व सहारनपुर सीट थी.
वहीं, पहले चरण की 102 सीटों में से किसी भी सीट पर लगातार तीन चुनाव से जीतने वाली सीटों को मजबूत माना जाता है और सिर्फ एक बार जीतने सीट को अपेक्षाकृत कमजोर. इस लिहाज से देखें तो पहले चरण की 6 सीटों पर बीजेपी और 3 पर कांग्रेस मजबूत है. वहीं, बीजेपी 32 सीटों पर, डीएमके 12 सीटों पर और कांग्रेस 8 सीटों पर अपेक्षाकृत मजबूत है, क्योंकि एक ही सीट पर दो चुनावों में जीत दर्ज की है. इसके अलावा पहले चरण की 21 सीटें स्विंग होती रही है, जहां 2009 और 2019 के चुनावों में विजेता एक ही था, लेकिन 2014 में दूसरी पार्टी ने यहां जीत दर्ज की थी.
पहले चरण की स्विंग होने वाली 21 सीटें
पहले चरण की स्विंग होने वाली 21 सीटों में से 2009 और 2019 के चुनावों में डीएमके ने 13 सीटें जीती थीं. वहीं, इनमें से 12 सीटें ऐसी हैं, जिन पर 2014 में AIADMK ने जीत हासिल की थी और पीएमके ने एक धर्मपुरी सीट जीती थी. ऐसे ही कांग्रेस ने 2009 और 2019 के चुनावों में शिवगंगा, पुडुचेरी, अरानी और विरुधुनगर सीटें जीतीं, लेकिन 2014के चुनाव में एआईएडीएमके और एआईआर कांग्रेस ने उससे ये सीटें छीन लीं थी. इस तरह 2024 के चुनाव में बहुत की इन सीटों पर निर्भर करेगा.
राजस्थान, उत्तराखंड, अरुणांचल प्रदेश में बीजेपी को लगातार दो बार 2014 और 2019 में शत-प्रतिशत सीटें जीतने में कामयाब थी. बीजेपी ने उत्तराखंड की सभी पांचों सीटें जीतने में कामयाब रही थी. राजस्थान की जिन 12 सीटों में से 11 सीट पर बीजेपी का कब्जा है और एक सीट आरएलपी को मिली थी. बंगाल की जिन 3 सीटों पर वोटिंग हो रही है, वो तीनों सीटें बीजेपी 2019 में जीती थी. इसके अलावा मध्य प्रदेश की 6 में से 5, महाराष्ट्र की 5 में से 4 और पूर्वोत्तर की 13 सीटों में से 5 सीटें बीजेपी ने जीती थी. इसके अलावा उत्तर प्रदेश की आठ सीटों में से 3 सीटें ही जीत सकी थी.
वहीं, तमिलनाडु की सभी 39 लोकसभा सीटें, लक्ष्यद्वीप की एक सीट, पुडुचेरी की एक सीट कांग्रेस और उसके सहयोगी जीतने में कामयाब रहे थे. इसके अलावा कांग्रेस ने मध्य प्रदेश की एक और पूर्वोत्तर में चार सीटें जीती थी. इस तरह तमिलनाडु में इंडिया गठबंधन को अपनी सीटों को बचाए रखनी चुनौती होगी तो साथ ही उत्तराखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश में अपनी सीटों को बढ़ाने का चैलेंज है. इसके अलावा पश्चिमी यूपी की 8 और बिहार की चार सीटों पर चुनाव है.
पश्चिमी यूपी में इस बार बदल चुके हैं समीकरण
पश्चिमी यूपी में इस बार समीकरण बदल चुके हैं. पिछली बार सपा के साथ रहने वाला आरएलडी इस बार बीजेपी के साथ है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चुनावी समीकरण 2019 से अलग हैं, लेकिन सपा और बसपा ने जिस तरह का तानाबाना बुना है, उससे बीजेपी के लिए कड़ी चुनौती है. बीजेपी की यूपी की आठ में से कम से कम पांच से छह सीटें जीतने की कोशिश में है तो विपक्षी भी अपने पिछले चुनाव नतीजे को दोहराना चाहता है. बिहार में कांग्रेस, आरजेडी और लेफ्ट एक साथ हैं तो दूसरी तरफ बीजेपी, जेडीयू, एलजेपी (आर), हम और आरएलएम एक साथ मिलकर चुनाव लड़ रही हैं.
पूर्वोत्तर-उत्तर में BJP, दक्षिण में विपक्ष का दबदबा
पूर्वोत्तर और उत्तर भारत में बीजेपी और दक्षिण भारत में विपक्ष का दबदबा था. उत्तर प्रदेश में बीजेपी के लिए सीटों की संख्या बढ़ाने की चुनौती रहेगी. ऐसे में कम वोटों की वाली 53 लोकसभा सीटें और 21 स्विंग होने वाली सीटों पर सारा दारोदमार पहले चरण का टिका हुआ है. 2024 में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस के अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन के सियासी भविष्य का फैसला पहला चरण में होना है, क्योंकि सबसे ज्यादा सीटों पर इसी फेज में चुनाव हो रहा हैं.