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मोदी-राजनाथ से लेकर मुलायम और गांधी परिवार तक… UP में मायावती का चक्रव्यूह, जानें किसे फायदा-किसे नुकसान

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उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव-2024 को लेकर बसपा (बहुजन समाज पार्टी) प्रमुख मायावती एक अलग ही रणनीति के साथ उतरी हैं. बसपा ने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है. ऐसे में किसी सीट पर बसपा इंडिया गठबंधन के लिए चिंता का सबब बनी हुई है तो कई सीटों पर बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए की टेंशन बढ़ा रखी है. मायावती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर राजनाथ सिंह के खिलाफ सियासी बिसात बिछाई है. साथ ही मुलायम कुनबे के लेकर गांधी परिवार के दुर्ग माने जाने वाली अमेठी-रायबरेली में भी कैंडिडेट उतार दिए हैं. बसपा के चक्रव्यूह से होने वाले विपक्षी दलों के नफा और नुकसान का आकलन किया जा रहा होगा. देखना है कि मायावती के दांव से कौन चित होता है?

दरअसल, बसपा प्रमुख मायावती ने 2019 में गांधी परिवार का गढ़ माने जाने वाली अमेठी और रायबरेली सीट से कैंडिडेट नहीं उतारा था. मगर, इस बार दोनों ही सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं. इसी तरह पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की लखनऊ सीट 2019 में सपा के खाते में चली गई थी.

इसके चलते बसपा चुनावी मैदान में नहीं उतरी थी. इसके अलावा मुलायम परिवार की परंपरागत मानी जाने वाली सीटें भी सपा के खाते में गई थीं, जिसके चलते मायावती कैंडिडेट नहीं उतार सकी थीं. इस बार बसपा अकेले चुनावी मैदान में है. इस वजह से सभी सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए हैं. ऐसे में पीएम मोदी और राजनाथ सिंह से लेकर मुलायम कुनबे और गांधी परिवार के खिलाफ बसपा के उम्मीदवारों से मायावती की सियासी रणनीति को समझा जा सकता है?

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मोदी-राजनाथ के खिलाफ बसपा का दांव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी सीट पर हैट्रिक लगाने के लिए उतरे हैं. उनके खिलाफ इंडिया गठबंधन से कांग्रेस के टिकट पर अजय राय मैदान में हैं. बसपा ने इस सीट पर पहले अतहर जमाल लारी को प्रत्याशी बनाया था लेकिन बाद में उन्हें हटाकर सैयद नियाज अली ‘मंजू’ को उम्मीदवार बनाया.

उधर, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह लखनऊ सीट से एक बार फिर से किस्मत आजमा रहे हैं. वो तीसरी बार लखनऊ सीट से उतरे हैं. उनके खिलाफ इंडिया गठबंधन ने सपा विधायक रविदास मेहरोत्रा पर दांव लगाया है. बसपा ने लखनऊ सीट पर सरवर मलिक को उम्मीदवार बनाया है. बसपा ने पीएम मोदी और राजनाथ सिंह के खिलाफ मुस्लिम कैंडिडेट पर दांव खेला है, जो इंडिया गठबंधन के लिए चिंता का सबब बन सकता है.

दोनों ही सीटों पर बसपा अगर मुस्लिम वोटबैंक में सेंधमारी करने में कामयाब रहती है तो मोदी-राजनाथ की राह और भी आसान हो सकती है.लखनऊ में करीब 4 लाख से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं. वारणसी में भी करीब तीन लाख मुस्लिम वोटर हैं. इस तरह मुस्लिम वोटर दोनों ही लोकसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका अदा कर सकते हैं. मगर बसपा के मुस्लिम कैंडिडेट उतरने से अब उनमें सेंध लगने की संभावना दिख रही है. मायावती ने इन दोनों सीटों पर इंडिया गठबंधन का खेल खराब कर सकती हैं?

सैफई परिवार के खिलाफ बसपा का दांव

सैफई परिवार यानी मुलायम सिंह यादव कुनबे से इस बार पांच सदस्य लोकसभा चुनाव मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं. अखिलेश यादव, उनकी पत्नि डिंपल यादव, चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव, आदित्य यादव और अक्षय यादव मैदान में हैं. इन पांच सीटों में से चार के खिलाफ बसपा ने मुस्लिम दांव चला है. एक सीट पर यादव पर भरोसा जताया है.

यादव और मुस्लिम दोनों ही सपा का कोर वोटबैंक माना जाता है. मगर, बसपा ने अपने दांव से मुलायम परिवार को सियासी टेंशन दे दी है. बसपा ने कन्नौज सीट पर अखिलेश यादव के खिलाफ इमरान बिन जफर को उतारा है. जफर कानपुर की डिफेंस कॉलोनी जाजमऊ के रहने वाले हैं. साल 2014 में कन्नौज सीट पर आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं. फिरोजाबाद सीट से रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव के खिलाफ बसपा ने चौधरी बशीर को उम्मीदवार बनाया है.

बसपा ने बदायूं लोकसभा सीट पर शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव के खिलाफ मुस्लिम खान को प्रत्याशी बनाया है तो आजमगढ़ लोकसभा सीट पर धर्मेंद्र यादव के खिलाफ सबीहा अंसारी को टिकट दी है. इसके अलावा मैनपुरी सीट पर डिंपल यादव के खिलाफ शिव प्रसाद यादव पर भरोसा जताया है.

मैनपुरी सीट पर यादव वोटर निर्णायक

मायावती ने आजमगढ़ सीट पर 2022 में हुए उपचुनाव में मुस्लिम कार्ड खेलकर सपा का गेम बिगाड़ दिया था. अब फिर से उसी फार्मूले को आजमाया है. बसपा के मुस्लिम उम्मीदवारों के पक्ष में अगर मुस्लिमों का 20 से 30 फीसदी वोट भी चला जाता है तो मुलायम परिवार के लिए 2024 में अपनी सीटों को बचाए रखने की चुनौती खड़ी हो जाएगी. कन्नौज, बदायूं, आजमगढ़ और फिरोजाबाद में मुस्लिम मतदाता बड़ी संख्या में हैं, जो बड़ा गेम बदलने की ताकत रखते हैं. मैनपुरी सीट पर यादव वोटर निर्णायक है. इसीलिए सपा के नेता बसपा को बीजेपी की बी-टीम का आरोप लगा रहे हैं, ताकि मुस्लिम वोटों में बिखराव न हो सके.

गांधी परिवार के दुर्ग में मायावती का प्लान

उत्तर प्रदेश की अमेठी और रायबरेली सीट को गांधी परिवार का दुर्ग माना जाता है. रायबरेली से सोनिया गांधी 2019 में सांसद चुनी गई थीं, जबकि अमेठी से राहुल गांधी चुनाव हार गए थे. बसपा ने पिछले चुनाव में इन दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे. इस बार अमेठी सीट पर बसपा ने रवि मौर्य को टिकट दिया है तो रायबरेली सीट पर ठाकुर प्रसाद यादव को उतारा है.

कांग्रेस का इस बार सपा के साथ गठबंधन है, लेकिन बसपा ने रायबरेली सीट पर यादव कैंडिडेट उतारकर इंडिया गठबंधन की चिंता बढ़ी दी है. उधर, अमेठी में रवि मौर्य के उतरने से बीजेपी की भी टेंशन बढ़ सकती है. रायबरेली सीट पर करीब ढाई लाख यादव मतदाता है. अमेठी सीट पर पौने दो लाख मौर्य वोटर हैं. सपा के साथ गठबंधन होने के चलते यादव वोटर्स का झुकाव कांग्रेस की तरफ होने की संभावना थी, लेकिन बसपा ने ठाकुर प्रसाद यादव को उतारकर कांग्रेस का समीकरण बिगाड़ दिया है.

मौर्य वोटर्स अमेठी में किसी भी दल का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखता है. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी स्मृति ईरानी को एकमुश्त मिला था, लेकिन इस बार बसपा ने रवि मौर्य को उतारकर कर टेंशन बढ़ा दी है. ऐसे में मायावती ने अमेठी-रायबरेली का गेम पूरी तरह से बदल दिया है और अब देखना है कि बसपा के ओबीसी कार्ड का काउंटर कैसे कांग्रेस और बीजेपी करती है?

Indore की 531 कालोनियों के रेट जोन बदले, संपत्तिकर और कचरा कर में हुई बढ़ोतरी     |     इंदौर में 169 टेबलों पर कुल 146 राउंड में होगी मतगणना, नेहरू स्टेडियम में होगी काउंटिंग     |     चाइनीज चाकू हवा में लहरा किए किराना व्यापारी के सिर पर 10 वार     |     20 दिन बाद होगी पूरक परीक्षा, लेकिन तैयारियां अब तक अधूरी     |     तीन साल में बनकर तैयार होगा नर्मदा नदी पर तीसरा बड़ा पुल, धार जिले से सीधे जुड़ जाएंगे ये इलाके     |     आगरा जा रहे बेटे को छोड़ने आई मां और छोटे बेटे का पैर फिसला     |     महिला ने दो बच्चाें के साथ जहरीला पदार्थ खाया, महिला की माैत, बच्चे अस्पताल में भर्ती     |     EOW का कारनामा, 6 साल पूर्व ही जुटा ली थी अभय राठौर की संपत्तियों की जानकारी, बाद में दे दी क्लीन चिट     |     उज्‍जैन का पहला पुल..जिस पर लोगाें को धूप-बरसात से बचाने के लिए लगाई जाएगी कैनोपी     |     कैंसर के उपचार के लिए भी धार, झाबुआ, आलीराजपुर से गुजरात पलायन की मजबूरी     |    

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