जबलपुर। ट्रेन की मुख्य आय का जरिए यात्री किराया होता है, लेकिन पिछले कुछ सालाें में इस किराए में इजाफा नहीं हुआ। बावजूद इसके रेलवे की कमाई का ग्राफ गिरने की बजाए उठा। इसकी वजह रेलवे ने अपनी आय को अन्य स्त्रोतों से बढ़ा दिया। इसमें मालगाड़ी से लगेज की ढुलाई का काम अहम था। पश्चिम मध्य रेलवे के जबलपुर, भोपाल आैर कोटा रेल मंडल ने मालगाड़ी से कमाई का ग्राफ बढ़ाया। इतना ही नहीं इसके लिए उन्होंने कई ऐसे कदम उठाए, जिसकी मदद से उनकी माल ढुलाई की कमाई बढ़ गई।
नए उद्योगपति, व्यापारी, किसान और ट्रांसपोर्टस के साथ सीधा संवाद किया
पश्चिम मध्य रेलवे ने जबलपुर, भोपाल आैर कोटा मंडल, तीनों मंडल में मालगाड़ी से ढुलाई बढ़ाने के लिए व्यवसाय विकास इकाई (बीडीयू) बनाई। इसकी मदद से मंडल की सीमा में आने वाले नए उद्योगपति, व्यापारी, किसान और ट्रांसपोर्टस के साथ सीधा संवाद किया। मालगाड़ी से ढुलाई में उन्हें आ रही समस्याओं के बारे में फिर उसे दूर किया। वहीं स्थानीय स्तर के उत्पाद जैसे मटर, गन्ना, पुट्टी, खाद तक की ढुलाई करने के लिए की। इसका असर यह हुआ कि कमाई का ग्राफ बढ़ गया। तीनों मंडल ने इस यूनिट की मदद से 2023-24 में 57 करोड़ 92 लाख रुपये कमाई की,
किसान स्पेशल मालगाड़ी से राहत दी
व्यापारियों के मालगाड़ी से कमाई बढ़ाने के लिए व्यवसाय विकास ईकाई बनाई गई थी, जिसके अब सार्थक परिणाम सामने आए हैं। इस यूनिट में कमर्शियल विभाग की टीटीई से लेकर इंस्पेक्टर काे जोड़ा, जो हर सप्ताह शहर के व्यापारियों से लेकर उद्योगपति और ट्रांसपोर्टर से साथ बैठक की। इस दौरान कई व्यापारियों से संवाद में यह बात सामने आई कि रेलवे की मालगाड़ी से ढुलाई की प्रक्रिया लंबी है, नियम राहत भरे नहीं है, वहीं किराया भी ज्यादा है। इन पर रेलवे ने काम किया और तीनों स्तर पर बदलाव किए। प्रक्रिया का अासान बनाया, ताकि माल रखने और उठाने में दिक्कत न आए। नियम में बदलाव कर किसान और छोटे व्यापारियों का माल भी छोटे रैक से भेजा वहीं ट्रांसपोर्टस का कई नियम में राहत दी। वहीं किसान स्पेशल, मटर स्पेशल और पार्सल स्पेशल समेत अन्य छोटी-छोटी स्पेशल ट्रेन चलाईं।
मटर की ढुलाई करने किसान तैयार नहीं
प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर में मटर का सबसे ज्यादा उत्पादन जबलपुर में होता है, लेकिन हर साल किसानों को लाखों टन मटर खराब होने के डर से आसपास सस्ते दामों में बेंचना पड़ता है। इसकी ढुलाई को लेकर जबलपुर रेल मंडल ने किसानों से बातचीत की, लेकिन ढुलाई की प्रक्रिया और मालगाड़ी के बैगन इसमें परेशानी बने। रेलवे अधिकारी के मुताबिक मटर जल्द सड़ता है और मालगाड़ी के बैगन की बनावट एेसी होती है, जिससे मटर में कम हवा लगती है, जिससे सड़ने की संभावना ज्यादा होती है। इस वजह से मटर को गाड़ी से लंबी दूरी के लिए नहीं भेजा गया। वहीं गोसलपुर से मार्बल की मालगाड़ी से ढुलाई में टूट-फूट ज्यादा होने की वजह से इसकी ढुलाई नहीं की जा रही।