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गांधी परिवार के दुर्ग में क्षत्रपों का इम्तिहान, रायबरेली में कौन किसके साथ कर रहा खेला?

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गांधी परिवार की तीसरी पीढ़ी के राहुल गांधी रायबरेली लोकसभा सीट से सियासी रणभूमि में उतरे हैं, जिनका मुकाबला बीजेपी के दिनेश प्रताप सिंह और बसपा के ठाकुर प्रसाद यादव से है. राहुल गांधी के चुनावी अभियान की कमान कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने संभाल रखी है और बुधवार से रायबरेली में जनसंपर्क-नुक्कड़ सभाएं शुरू कर रही हैं. रायबरेली सीट पर नजर सिर्फ उत्तर प्रदेश के लोगों की नहीं बल्कि देशभर की है क्योंकि चुनावी मैदान में राहुल गांधी हैं.

रायबरेली को गांधी परिवार का गढ़ माना जाता है. फिरोज गांधी से लेकर इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी तक सांसद रही हैं. रायबरेली की सियासत में भले ही गांधी परिवार की तूती बोलती रही हो, लेकिन यहां कई सियासी क्षत्रप हैं, जिनका अपना-अपना सियासी असर और रसूख है. रायबरेली में भले ही राहुल गांधी बनाम दिनेश प्रताप सिंह के बीच मुकाबला हो, लेकिन नजर जिले के सियासी मठाधीशों पर भी है. दिनेश प्रताप सिंह के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपनों की भितरघात की है, तो कांग्रेस के लिए सहयोगी दल सपा के नेताओं का विश्वास जीतने की है.

बाहुबली अखिलेश सिंह भले ही अब दुनिया में नहीं रहे, लेकिन उनकी बेटी अदिति सिंह से लेकर उनके भतीजे मनीष सिंह तक सियासत में सक्रिय हैं. अदिति सिंह बीजेपी से विधायक हैं. इसके अलावा राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले सपा के विधायक मनोज पांडेय बीजेपी खेमे में खड़े हैं, लेकिन क्या दिल से काम कर रहे. रायबरेली में पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य का अपना सियासी जनाधार है, तो पूर्व विधायक धीरेंद्र सिंह और पूर्व एमएलसी राजा राकेश प्रताप सिंह भी एक ताकत रखते हैं. अब राहुल गांधी के उतरने के बाद ये सभी क्या सियासी गुल खिलाते हुए नजर आ रहे हैं?

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मनोज पांडेय

रायबरेली की सियासत में सपा विधायक मनोज पांडेय ब्राह्मण चेहरे के तौर पर उभरे हैं. रायबरेली के ऊंचाहार सीट से लगातार तीन बार से मनोज पांडेय विधायक हैं और सपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं. राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने के साथ ही बागी रुख अपना रखा है. मनोज पांडेय भले ही बीजेपी में नहीं शामिल हुए हैं, लेकिन उनके बेटे और भाई ने बीजेपी की सदस्यता ले ली है. दिनेश प्रताप सिंह शुक्रवार को नामांकन करने के बाद डिप्टी सीएम बृजेश पाठक को लेकर मनोज पांडेय के घर गए थे, जहां दोनों ही नेताओं ने गले मिलकर आपसी गिले-शिकवे मिटाने की कोशिश की. मनोज पांडेय और दिनेश प्रताप सिंह की निजी अदावत नहीं रही है, लेकिन दोनों में सियासी वर्चस्व रहा है.

मनोज पांडेय अभी तक दिनेश प्रताप सिंह के लिए खुलकर प्रचार करते नजर नहीं आए हैं, क्योंकि सपा से विधायक हैं. मनोज पांडेय के ज्यादातर समर्थक नेता दिनेश प्रताप सिंह के बजाय राहुल गांधी को जिताने की मुहिम में जुटे हुए हैं. मनोज पांडेय के समर्थकों के सोशल मीडिया से उसे बखूबी समझा जा सकता है. मनोज पांडेय के कांग्रेस के साथ अच्छे रिश्ते रहे हैं. उनके गृह प्रवेश में सोनिया गांधी भी पहुंची थीं.

2019 के लोकसभा चुनाव में मनोज पांडेय कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के साथ ऊंचाहार इलाके में रैली करते नजर आ रहे थे, लेकिन इस बार खामोशी अख्तियार कर रखी है, जबकि उनके समर्थक कांग्रेस के पिच पर खड़े नजर आ रहे हैं. स्थानीय लोगों का भी कहना है कि मनोज पांडेय किसी भी सूरत में दिनेश प्रताप सिंह के लिए मदद नहीं करेंगे.

अदिति सिंह

रायबरेली सदर सीट से बीजेपी की विधायक अदिति सिंह पूरी तरह से साइलेंट मोड में नजर आ रही हैं. अदिति सिंह बाहुबली अखिलेश सिंह के बेटी हैं और दिनेश प्रताप सिंह के साथ उनके रिश्ते जगजाहिर हैं. नामांकन के दिन भी अदिति सिंह रायबरेली में थीं, लेकिन दिनेश प्रताप सिंह के साथ नजर नहीं आई थीं. अदिति सिंह ने बीजेपी में अपना एक अलग गुट बना रखा है, जिसमें वो तमाम नेता शामिल हैं, जिनकी दिनेश प्रताप सिंह के साथ नहीं पटती है. दिनेश प्रताप सिंह से अदिति की अदावत उनके पिता के रहते हुए चली आ रही है.

एक स्थानीय पत्रकार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अदिति सिंह भले ही बीजेपी की विधायक हों, लेकिन रायबरेली में बीजेपी के प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह के साथ नहीं हैं. न ही वो दिनेश सिंह के लिए अभी तक प्रचार करती नजर आईं हैं और न ही किसी जनसभा में एक साथ मंच शेयर किया है.

वह कहते हैं कि दिनेश प्रताप सिंह को हराने के लिए कांग्रेस के राहुल गांधी के लिए भी अंदरखाने मदद कर सकती हैं. अदिति सिंह के एक मजबूत समर्थक ने बताया कि बैकडोर से कांग्रेस की मदद करेंगी, क्योंकि दिनेश सिंह को टिकट देने से खुश नहीं हैं. इतना ही नहीं अदिति के समर्थक भी कांग्रेस के लिए प्रचार करते नजर आ रहे हैं, जिसके चलते कयास लगाया जा रहा है.

स्वामी प्रसाद मौर्य

पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य का रायबरेली की सियासत में अपना एक सियासी मुकाम है क्योंकि वह अपने शुरुआती दौर की राजनीति यहीं से करते थे. रायबरेली जिले की डलमऊ (ऊंचाहार) विधानसभा सीट से दो बार विधायक रहे हैं और उनके बेटे अशोक मौर्य भी ऊंचाहार सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं. इसके चलते रायबरेली में मौर्य समाज के बीच उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है.

स्वामी प्रसाद मौर्य ने अभी तक कोई फरमान जारी नहीं किया है, लेकिन नगर पालिका के चुनाव में उन्होंने सपा में रहते हुए कांग्रेस की मदद की थी. कांग्रेस नेता इलियास मन्नी और नगर पालिका अध्यक्ष शत्रुघ्न सोनकर ने रायबरेली में स्वामी प्रसाद मौर्य की टीम से मुलाकात कर कांग्रेस के लिए मदद मांगी है, जिस पर उन्होंने एक-दो दिन में फैसला लेने की बात कही है. हालांकि, स्वामी प्रसाद के संबंध दिनेश सिंह के साथ भी बहुत अच्छे रहे हैं. इसके बावजूद रायबरेली में मौर्य समुदाय का बड़ा तबका कांग्रेस के साथ खड़ी नजर आ रही है.

धीरेंद्र सिंह और राजा राकेश सिंह

रायबरेली जिले की सरेनी विधानसभा सीट से बीजेपी के पूर्व विधायक धीरेंद्र सिंह अभी तक पार्टी प्रत्याशी दिनेश सिंह के साथ नजर नहीं आए हैं. धीरेंद्र सिंह पूरी तरह साइलेंट मोड में दिख रहे हैं. इसके अलावा पूर्व एमएलसी राजा राकेश प्रताप सिंह भी अभी तक दिनेश प्रताप सिंह के लिए वोट मांगते हुए नजर नहीं आए हैं. राजा राकेश की शिवगढ़ के इलाके में मजबूत पकड़ मानी जाती है. बीजेपी के दोनों ही नेता अभी तक साइलेंट मोड में हैं. राजा राकेश सिंह के दिनेश प्रताप सिंह से रिश्ते अच्छे नहीं है.

दिनेश सिंह से पहले राजा राकेश सिंह रायबरेली के एमएलसी हुआ करते थे और इसी के चलते उनके बीच छत्तीस के आंकड़े रहे. ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में शिवगढ़ के ब्लॉक प्रमुख के लिए राजा राकेश सिंह अपने बेटे को चुनाव लड़ा रहे थे, जिनके खिलाफ दिनेश प्रताप सिंह के एक करीबी नेता लड़ रहे थे. इसके चलते दोनों को बराबर वोट मिले थे और फैसला टॉस के जरिए हुआ था. इससे दोनों ही नेताओं के बीच दरार पड़ गई थी. रायबरेली में अदिति सिंह, धीरेंद्र सिंह और राजा राकेश सिंह की तिकड़ी को दिनेश विरोधी गुट में माना जाता था. बीजेपी ने दिनेश सिंह को प्रत्याशी बना दिया है, तो तीनों ही नेताओं ने चुप्पी साध रखी है और किसी तरह की एक्टिविटी नहीं दिख रही है.

अशोक सिंह और राजा देवेंद्र

सरेनी से कांग्रेस के पूर्व विधायक अशोक सिंह भी पूरी तरह से खामोश हैं. राहुल गांधी के नामांकन से लेकर चुनाव प्रचार तक में कहीं भी अशोक सिंह नजर नहीं आए. 2022 में अशोक सिंह ने विधानसभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया था और राहुल के टिकट मिलने से तीन दिन पहले कांग्रेस छोड़ने का लगभग मन बना लिया था, लेकिन फैसला नहीं कर सके. वहीं, सरेनी से सपा विधायक राजा देवेंद्र प्रताप सिंह भी लोकसभा चुनाव में सक्रिय नजर नहीं आ रहे हैं, जबकि कांग्रेस के साथ गठबंधन है. सपा के दूसरे नेता राहुल के नामांकन में शिरकत किए थे और प्रियंका गांधी के साथ उनकी मुलाकात भी कर चुके हैं, लेकिन राजा देवेंद्र प्रताप सिंह अभी तक साइलेंट मोड में हैं. ऐसे में अशोक सिंह और देवेंद्र सिंह रायबरेली में किसी तरह का सियासी खेला करने का तो मन नहीं बना रहे हैं?

अजय पाल सिंह और आरपी यादव

ऊंचाहार से कांग्रेस के पूर्व विधायक अजय पाल सिंह बहुत दिनों बाद फिर से सक्रिय नजर आ रहे हैं. 2022 के चुनाव में अजय पाल सिंह ने बीजेपी की मदद की थी, लेकिन 2024 में राहुल गांधी के प्रस्तावक हैं और चुनावी कमान पूरी तरह से संभाल रखी है. अजय पाल सिंह की नाराजगी केएल शर्मा के साथ थी, लेकिन अब उनके रायबरेली से हटते ही वो एक्टिव हो गए हैं. इसी तरह से रायबरेली सदर से सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ने वाले आरपी यादव भी खुलकर कांग्रेस के साथ खड़े नजर आ रहे हैं. रायबरेली में राहुल गांधी के नामांकन से लेकर चुनाव प्रचार में पूरा दमखम लगा रहे हैं. इसके अलावा हरचंद्रपुर से सपा विधायक राहुल लोधी खुलकर कांग्रेस के साथ खड़े हैं. पूर्व सांसद अशोक सिंह के बेटे मनीष सिंह कांग्रेस के लिए पूरी तरह लगे हुए हैं.

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