इजराइल के शहर तेल-अवीव में आए दिन युद्धविराम को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं. प्रदर्शन करने वाले बंधकों के परिवारों का कहना है कि जंग का लंबा चलना हमास की कैद में फंसे बंधकों की जान ले लेगा. सोमवार को हमास की मिलिट्री विंग के चीफ अबू उबैदा ने बताया कि पिछले 10 दिनों से राफा में चल रही बारी बमबारी के बाद उनका उस ग्रुप के साथ संपर्क टूट गया है, जिनके पास 4 इजराइली बंधकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी थी.
अपने टेलीग्राम चैनल पर पोस्ट किए गए एक बयान में अबू उबैदा ने कहा, “पिछले 10 दिनों में भारी इजराइली बमबारी की वजह से हमने हर्ष गोल्डबर्ग-पोलिन सहित 4 इजराइली बंदियों की रक्षा करने वाले हमारे लड़ाकों के एक समूह से संपर्क खो दिया है.
कौन हैं हर्ष गोल्डबर्ग-पोलिन?
पिछले महीने अल-कस्सम ब्रिगेड ने गाजा में इजराइली बंदी हिर्श गोल्डबर्ग-पोलिन का एक वीडियो संदेश जारी किया था, जिसमें वह अपने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और मंत्रियों से बंदियों की रिहाई सुनिश्चित करने और अपने पदों से इस्तीफा देने की अपील करते हुए दिख रहे थे.
अपने टेलीग्राम चैनल पर पोस्ट किए गए एक बयान में अबू उबैदा ने कहा, “पिछले 10 दिनों में भारी इजराइली बमबारी की वजह से हमने हर्ष गोल्डबर्ग-पोलिन सहित 4 इजराइली बंदियों की रक्षा करने वाले हमारे लड़ाकों के एक समूह से संपर्क खो दिया है.
कौन हैं हर्ष गोल्डबर्ग-पोलिन?
पिछले महीने अल-कस्सम ब्रिगेड ने गाजा में इजराइली बंदी हिर्श गोल्डबर्ग-पोलिन का एक वीडियो संदेश जारी किया था, जिसमें वह अपने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और मंत्रियों से बंदियों की रिहाई सुनिश्चित करने और अपने पदों से इस्तीफा देने की अपील करते हुए दिख रहे थे.
7 अक्टूबर 2023 को बंदी बनाए गए करीब 250 नागरिकों में इजराइली हर्ष गोल्डबर्ग-पोलिन भी शामिल थे. 220 दिनों से ज्यादा समय से कैद में रहने के बाद उन्होंने पिछले महीने वीडियो संदेश में इजराइल सरकार को एक महत्वपूर्ण संदेश भेजा था. जिसमें गाजा युद्ध रुकवाने की मांग की गई थी.
बंधकों को लाने में नाकामयाब इजराइल सरकार
7 अक्टूबर को हमास के ऑपरेशन अल-अक्सा फ्लड के लॉन्च करने के बाद हमास के लड़ाकों ने करीब 250 इजराइलियों को बंधक बना लिया था. इस ऑपरेशन में लगभग 1200 नागरिकों की मौत हुई थी. फरवरी में हुए रक्षा समझौते में 112 बंधकों को फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई के बदले छोड़ा जा चुका है. हमास का कहना है कि इजराइल के पूर्ण युद्धविराम न करने और गाजा से पूरी तरह अपनी सेना की वापसी पर राजी न होने की जिद की वजह से युद्ध रुक नहीं पाया है.