उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई, जिस पर बुधवार को शीर्ष अदालत ने सुनवाई की है. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को जमकर फटकार लगाई है. साथ ही साथ उसकी ओर से उठाए गए कदमों पर भी सवाल उठाए हैं. कोर्ट ने कहा कि ये बहुत दुखद स्थिति है. काम के बजाय सरकार केवल बहाने बना रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि आपने आग से निपटने के लिए 10 करोड़ रुपए की योजनाएं बनाईं और मंजूर कीं, लेकिन सिर्फ 3 करोड़ रुपए ही क्यों खर्च किए, राज्य के जंगलों में आग के बावजूद सरकार ने वहां लगे कर्मचारियों को चुनाव में क्यों लगाया? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपने हमें जो आपने तस्वीर दिखाई है, स्थिति कहीं ज्यादा भयावह दिख रही है. इस पर सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि हम जैव ईंधन के उपयोग को अनिवार्य बना रहे हैं.
हम आग बुझाने में लगे हैं- उत्तराखंड सरकार
याचिकाकर्ता राजीव दत्ता ने कहा कि कुमाऊं रेजिमेंट बिजली उत्पादन के लिए पाइन नीडल का उपयोग कर रही है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से कहा कि कुमाऊं रेजिमेंट से सीख क्यों नहीं लेते? उत्तराखंड सरकार ने कहा कि हमारे आधे कर्मचारी चुनाव ड्यूटी पर हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपने वन अग्नि कर्मचारियों को आग के बीच चुनाव ड्यूटी पर क्यों लगाया? राज्य सरकार ने कहा कि ये पहले चरण में था, अब चुनाव ड्यूटी खत्म हो चुकी है क्योंकि मुख्य सचिव ने हमें निर्देश दिया है कि वन विभाग के किसी भी अधिकारी को चुनाव ड्यूटी पर न लगाया जाए, हम अब से यह आदेश वापस ले रहे हैं.
याचिकाकर्ता व वकील राजीव दत्ता ने कहा कि कुछ लोग जानबूझकर जंगलों में आग लगाकर पेड़ों से निकलने वाला चारकोल बेचते हैं. वहां यह धंधा जोरों पर है और आग लगाने के आरोप में पकड़े गए लोग तो महज गुर्गे ही हैं. उत्तराखंड सरकार ने कहा कि हम आग बुझाने में लगे हैं, जिसमें 9 हजार से ज्यादा कर्मचारी लगे हुए हैं. साथ जंगल में आग लगाने के मामले मे 420 मुकदमे दर्ज किए हैं. मुख्यमंत्री हर दूसरे दिन अधिकारियों के साथ बैठक कर स्थिति का जायजा ले रहे हैं.
‘केंद्र से अब तक फंड रिलीज नहीं हुआ’
उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्र से अब तक फंड रिलीज नहीं हुआ है, जिसका इंतजार कर रहे हैं. कोर्ट की ओर से नियुक्त न्यायमित्र वकील परमेश्वर ने कहा कि इस बाबत राष्ट्रीय स्तर पर एक्शन प्लान बना हुआ है, लेकिन समय पर एक्शन न हो तो सिर्फ प्लान का क्या फायदा? समुचित मानवीय संसाधन चाहिए. जस्टिस संदीप मेहता ने कहा कि सैटलाइट तस्वीरों में भी आग लगी हुई है. उत्तराखंड सरकार ने सुझाव देते हुए कहा कि केंद्र को भी इसमें शामिल करते हुए एक समिति बना दी जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के चीफ सेक्रेटरी को तलब किया है और 17 मई को कोर्ट में पेश होने के लिए कहा है. मामले की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार ने कैंपा फंड के तहत उत्तराखंड सरकार को 9.2 करोड़ दिया गया है, जिसमें से मात्र 2 करोड़ रुपए ही उत्तराखंड सरकार ने खर्च किए हैं.