आंध्र प्रदेश में चुनाव बाद हुई हिंसा पर चुनाव आयोग ने कड़ा एक्शन लिया है. चुनाव आयोग ने हिंसा की घटनाओं को रोकने में प्रशासन की विफलता पर “व्यक्तिगत रूप से स्पष्टीकरण” देने के लिए राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को गुरुवार को तलब किया है. आंध्र प्रदेश में गत सोमवार को हुए लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान प्रदेश के कई हिस्सों में हिंसा हुई थी. हिंसा के मद्देनजर चुनाव आयोग ने राज्य के शीर्ष अधिकारियों को 16 मई को दिल्ली कार्यालय तलब किया है.
माना जा रहा है कि वर्ष 2019 के आम चुनावों की तुलना में इस बार चुनावी हिंसा ज्यादा हुई. सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) और विपक्षी दल दोनों ने एक-दूसरे पर हिंसा का सहारा लेने का आरोप लगाया था.
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने राज्य में मतदान के दिन हिंसा की घटनाओं को गंभीरता से लिया है. आयोग शीर्ष अधिकारियों से जवाब-तलब करने और जानकारी जुटाने के बाद इस मामले में आगे कार्रवाई करेगा.
चुनाव आयोग ने अधिकारियों को किया तलब
चुनाव आयोग ने राज्य सरकार को याद दिलाया है कि राज्य में आदर्श आचार संहिता अभी भी लागू है. चुनाव आयोग ने मुख्य सचिव और पुलिस प्रमुख से यह सुनिश्चित करने को कहा कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों.
अधिकारियों ने बताया कि आयोग ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है. लोकसभा चुनावों की घोषणा के बाद से मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार शांतिपूर्ण और हिंसा मुक्त चुनाव सुनिश्चित करने के लिए व्यक्तिगत रूप से चुनाव क्षेत्र की निगरानी कर रहे हैं.
गुरुवार को हाजिर होने का निर्देश
सूत्रों ने कहा कि जब वे गुरुवार को यहां चुनाव आयोग मुख्यालय में उपस्थित होंगे, तो आंध्र प्रदेश के शीर्ष अधिकारियों से चुनाव के बाद की हिंसा को रोकने में प्रशासन की विफलता के कारणों को “व्यक्तिगत रूप से समझाने” के लिए कहा जाएगा.
सूत्रों ने बताया कि उनसे भविष्य में ऐसी किसी भी घटना से बचने के लिए उठाए जाने वाले एहतियाती कदमों के बारे में भी पूछा जाएगा. मंगलवार को आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में चुनाव बाद हिंसा की सूचना मिली, जहां सोमवार को लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हुए थे. सत्तारूढ़ वाईएसआरसीपी और विपक्षी टीडीपी के नेताओं ने घटनाओं के लिए एक-दूसरे पर आरोप लगाए हैं.