स्वदेशी रूप से विकसित हवा से सतह पर मार करने वाली रुद्रएम-II मिसाइल का बुधवार को ओडिशा तट से Su-30 MK-I से सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया गया. उड़ान परीक्षण ने सभी परीक्षण उद्देश्यों को पूरा किया. इसमें प्रणोदन प्रणाली, नियंत्रण और मार्गदर्शन एल्गोरिदम जैसी सभी सुविधाएं हैं.
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने लगभग 1130 बजे ओडिशा के तट से भारतीय वायु सेना के Su-30 MK-I प्लेटफ़ॉर्म से रुद्रएम-II हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइल का सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया.
एकीकृत परीक्षण रेंज, चांदीपुर द्वारा ऑन-बोर्ड जहाज सहित विभिन्न स्थानों पर तैनात इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सिस्टम, रडार और टेलीमेट्री स्टेशनों जैसे रेंज ट्रैकिंग उपकरणों द्वारा कैप्चर किए गए उड़ान डेटा से मिसाइल के प्रदर्शन को मान्य किया गया है.
एयरफोर्स की बढ़ी ताकत
भारत के पास अब तक दुश्मन के जमीनी रडार और अन्य संचार उपकरणों को बेअसर करने के लिए स्वदेशी एंटी-रेडिएशन मिसाइल नहीं थी. अब इस परीक्षण के बाद यह कमी पूरी हो गयी. रुद्रएम-II एंटी-रेडिएशन मिसाइलों को सुखोई Su-30MKI और मिराज-2000 दोनों लड़ाकू विमानों से दागा जा सकता है. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के प्रमुख डॉ. एसवी कामत ने रुद्रएम-II मिसाइल के सफल परीक्षण की पुष्टि की है.
अक्टूबर 2020 में भारत ने सुखोई Su-30MKI लड़ाकू जेट के लिए विकसित अपनी पहली स्वदेशी रुद्रएम एंटी-रेडिएशन मिसाइल का परीक्षण किया था. रुद्रएम-II को Su-30 और मिराज-2000 दोनों से दागा जा सकता है, जिससे भारतीय वायु सेना की मारक क्षमता में काफी वृद्धि हुई है. इसकी मारक क्षमता 300 किलोमीटर है.
हवाई पट्टी-बंकर को कर देगा तहस-नहस
रुद्रएम-I में केवल पैसिव होमिंग हेड लगा है, ताकि दुश्मन के निगरानी और मार्गदर्शन रडार सिस्टम, संचार टावर, कमांड और कंट्रोल सेंटर और अन्य विकिरण उत्सर्जित करने वाले लक्ष्यों पर अंतिम हमला किया जा सके. वहीं, रुद्रएम-II में इमेजिंग इंफ्रारेड सीकर लगा है, जो पैसिव होमिंग हेड के साथ हवाई पट्टी, बंकर और विमान हैंगर जैसे अन्य लक्ष्यों को बेअसर कर सकता है.
रुद्रएम-II 200 किलोग्राम का पेलोड ले जा सकता है. डीआरडीओ के अनुसार, यह मैक 5.5 की गति प्राप्त कर सकता है और इसे 3 से 15 किलोमीटर की ऊंचाई से लॉन्च किया जा सकता है.