पंजाब की खडूर साहिब की पंथक सीट पर ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के नेता अमृतपाल सिंह बड़ी जीत की ओर बढ़ रहा है. अमृतपाल सिंह एक लाख 20 हजार से ज्यादा वोटों से आगे चल रहा है. उसे शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) का समर्थन प्राप्त था, जिसका फायदा उसे मिलता नजर आ रहा है. पंजाब के मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने के मकसद से महरूम एक्टर संदीप सिंह उर्फ दीप सिद्धू ने एक संगठन बनाया था, जिसका नाम वारिस पंजाब दे रखा गया. सितंबर 2022 में दीप सिद्धू की मौत के बाद इस संगठन की जिम्मेदारी खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह को मिली.
आपनी सकूली पढाई करने के बाद पंजाब के अन्य युवाओं की तरह अमृतपाल सिंह भी रोजगार की तलाश में अरब देशों में गया. इस दौरान वह ज्यादा लोगों से नहीं मिला, लेकिन इसी दौरान उसकी मुलाकात कुछ ऐसे लोगों से हुई जिन्होंने उसे गुरबानी पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया. विदेश से लौटने के बाद उसने सिख का रूप धारण कर लिया और अमृत छक कर सिंह बन गया. इसके बाद वह पंजाब के अलग-अलग हिस्सों में घूमने लगे. उन्होंने युवाओं को नशे के बुरे पहलू से अवगत कराया.
इसके बाद उन्होंने युवाओं को संगठित किया और पूरे पंजाब में खालसा वहीर निकालने का निर्णय लिया. जिसके बाद पंजाब सरकार को उनकी ऐसी गतीविधियों से कानून-व्यवस्था में व्यवधान नजर आया. अमृतपाल सिंह और उसके साथियों पर अजनाला थाने पर हमला करने का आरोप था, जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी के लिए ऑपरेशन चलाया गया. सरकार ने राज्य में इंटरनेट बंद कर दिया.
भिंडरावाला गांव से की गिरफ्तारी
कई दिनों तक भूमिगत रहने के बाद अमृतपाल ने जरनैल सिंह भिंडरावालिया को गांव रोडे में गिरफ्तार दी. इसके बाद उसे असम की डिब्रूगढ़ जेल भेज दिया गया, जहां ये अभी भी बंद है. उसके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.
पहली बार जेल से जीत जीते थे सिमरजीत मान
1989 के चुनाव में सिमरजीत मान ने जेल में रहते हुए इस सीट से चुनाव लड़ा था. उस समय यह सीट तरनतारण के नाम से जानी जाती थी. 1989 में सिमरजीत सिंह मान पंजाब से सबसे बड़ी लीड से जीते थे. श्री अकाल तख्त साहिब पर हमले के बाद सिमरजीत मान ने आईपीएस अधिकारी पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. वह 1984 से 1989 तक जेल में रहे. अमृतपाल की तरह उन्होंने जेल से चुनाव जीता.
कांग्रेस को नुकसान हुआ
2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से कांग्रेस उम्मीदवार जसबीर सिंह डिंपा जीतकर संसद पहुंचे. लेकिन इस बार कांग्रेस ने खडूर साहिब से अपना उम्मीदवार बदल दिया और डिंपा की जगह कुलबीर सिंह जीरा को उम्मीदवार बना दिया. लेकिन जीरा कांग्रेस की सीट बचाने में नाकाम रहे.