इस्लामिक कैलेंडर का महीना जिल-हिज्जा 8 जून से शुरू हो चुका है. इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक इस महीनों को काफी पवित्र महीना माना जाता है. इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक हज भी इस महीने में किया जाता है और ईद-अल-अजहा जिसे भारत में बकरीद के नाम से भी जाना जाता है, वो भी इसी महीने की 10 तारीख को आती है. ईद-अल-अजह के लिए दुनिया भर के मुसलमान के तैयारियां कर रहे हैं. खाड़ी देश UAE ने भी बकरीद के लिए खास प्लान बनाया है.
बकरीद पर मुसलमान हलाल जानवरों की कुर्बानी करते हैं. UAE में दुनिया के कई देशों से कुर्बानी यानी बलि के लिए जानवर आने शुरू हो गए हैं. इन्हीं जानवरों की हेल्थ जांच करने के लिए मिनिस्ट्री ऑफ क्लाइमेट चैंज एंड एनवायरनमेंट ने जानवरों की जांच के लिए खास टीमें तैनात की हैं, देश के अंदर और बंदरगाहों से आने वाले जानवरों बाजार में जाने से पहले सेफ्टी जांच करानी होगी.
विशेषज्ञों को किया गया तैनात
मंत्रालय ने जानकारी दी है कि जानवरों पर निगरानी के लिए जरूरी इक्विपमेंट और संसाधनों से लैस विशेषज्ञ कर्मियों को तैनात किया जाएगा. देश के बंदरगाहों से आने वाले पशुओं पर भी ये नियम लागू होंगे, जिनका सभी को पालन करना होगा. मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि देश के बंदरगाह महामारी, संक्रामक और जेनेटिक बीमारियों के खिलाफ रक्षा की पहली लाइन है. मंत्रालय ने पशु डॉक्टरों और लैब तकनीशियनों की संख्या भी बढ़ाई है, और जांच के लिए लैब में पर्याप्त आपूर्ति भी सुनिश्चित की है.
कुर्बानी के लिए आ रहे जानवर
मंत्रालय ने बताया है कि इस साल की शुरुआत से जून तक करीब 592,577 भेड़, बकरी, गाय और ऊंटों ने अलग अलग बंदरगाहों से UAE में एंट्री की है. यह डेटा पिछले साल 325,524 था. सेफ्टी की पहल देश में पशु कारोबार को सुविधाजनक बनाने और कुर्बानी के लिए स्थानीय बाजार की मांग को पूरा करने के लिए मिनिस्ट्री ऑफ क्लाइमेट चेंज एंड एनवायरनमेंट के प्रयासों का हिस्सा है.