युवक का स्वजन कर चुके थे अंतिम संस्कार, बारहवीं की रस्म के दिन जिंदा लौटा, गांव वाले भूत तो नहीं आ गया
सोंईकलां। जिले लहचोड़ा गांव में अजीबोगरीब मामला सामने आया है। लहचोडा निवासी सुरेंद्र शर्मा की एक्सिडेंट में मौत हो गई थी। उसका शव स्वजन सवाईमाधोपुर से लेकर आए ओर उसका अंतिम संस्कार कर दिया। स्वजन बाहरवें की रस्म निभा रहे थे, तभी सुरेंद्र रविवार को घर वापस लौट आया जिसे देखकर घर वाले और स्वजन हैरान रह गए। हालांकि, मां की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और बेटे को जिंदा देखकर खुशी के आंसू रोक नहीं पाई।
बता दें कि, लहचौड़ा निवासी सुरेंद्र शर्मा बाहर जयपुर मजदूरी करता था। पिछले दिनों सवाई माधोपुर के सरवाड़ गांव के थाने से फोन आया कि सड़क हादसे में एक युवक की मौत हो गई। घटना की जानाकरी मिलने के बाद स्वजन शव की शिनाख्त करने के लिए एसएमएस हास्पीटल पीएम हाउस पहुंचे, स्वजन ने मृतक की पहचान सुरेंद्र के रूप में की। जिसके बाद पुलिस ने पंचनामा बनाकर शव उनको सौंप दिया। स्वजन ने शव को गांव लेकर और गमगीन माहौल में उसका अंतिम संस्कार कर दिया। घर में पिछले 12 दिनों से गमगीन माहौल बना हुआ था। बैठने आने के लिए रिश्तेदरों का का अाना-जाना लगा रहा था।
पहले आया युवक का फोन, स्वजनों को विश्वास नहीं हुआ तो किया वीडियो कॉल
शनिवार की शाम अचानक सुरेंद्र शर्मा के नंबर से उसके भाई के मोबाइल पर फोन आया तो चौक जब बात की तो बोला में सुरेंद्र बोल रहा हूं। इस घरवालों को विश्वास नहीं हुआ और उन्होंने वीडियो काल पर देखा तो वह सुरेंद्र ही था, लेकिन फिर भी घरवालाें को विश्वास नहीं और उन्होंने से सुबह गांव आने के लिए कहा। सुरेंद्र रात की वाली बस से ही जयपुर से गांव के लिए निकल आया और सुबह गांव पहुंच गया। जब घरवालाें ने उसे आंखों के सामने जिंदा देखा तो वह हैरान रह गएवहीं दूसरी तरफ खुशी का ठिकाना नहीं रहा है। सुरेंद्र की मौत से जिस घर में दुख माहौल बना हुआ था व पलभर में खुशी में बदल गया। सुरेंद्र के जिंदा होने की खबर मिलते ही देखने के लिए लोगों की भीड़ जमा हो गई।
क्रियाकर्म से ब्राह्मण भोज की रस्म निभाई
सुरेंद्र के चाचा धर्मराज शर्मा ने बताया कि, जिसका शव हम लेकर आए थी उसकी शक्ल हुबहू सुरेंद्र से मिल रही थी, इसलिए हमे लगा शव सुरेंद्र का ही है। इसलिए उसे बेटा, भाई मानकर अंतिम संस्कार किया। गुजरात के पंडितों द्वारा उसका क्रियाक्रम किया गया। अंतिम संस्कार के बाद तीए की बैठक, नवें दिन नवी का नहान की रस्म की। 12वें दिन बारहवें की रसोई थी, जिसकी सभी तैयारी कर ली थी। बाहरवें में शामिल होने के लिए मेहमान आ गए थे।
स्वजन ने इसलिए समझा सुरेंद्र का शव
चाचा धर्मराज का कहना है कि, सुरेंद्र काफी दिनों से जयपुर में कंपनी में काम करता था, जब उसके एक्सीडेंट की खबर सुनी तो उसके मोबाइल पर फोन लगाया लेकिन उसका माेबाइल बंद था। शव लेने के लिए जब एसएमएस अस्पताल जयपुर पहुंचे तो जिसका शव रखा था उसकी शक्ल सुरेंद्र मिल रही थी इसलिए शव काे लेकर अा गए।
– मैं जयपुर में काम कर रहा था। दो ढाई महीने से मेरो माेबाइल खराब हो गया था, इसलिए घर पर किसी से बात नहीं कर पाया। रात को जब मैने भाई को फोन किया तो उसने बताया कि तुम तो मर गए तो फिर जिंदा कैसे हो गए। मेरे मरने की बात सुनकर में भी हैरान हो गया और रात वाली बस से सुबह गांव आ गया।
सुरेंद्र शर्मा, निवासी लहचोड़ा,
– हमारे गांव के युवक सुरेंद्र शर्मा की एक्सीडेट में मौत हो गई थी, घरवालों ने शव का अंतिम संस्कार कर दिया। आज उसका बाहरवां था तभी युवक जिंदा वापस लौट आया जिसे देखकर हर कोई हैरान रह गया।
भोलाराम शर्मा, सरपंच पति, ग्राम पंचायत लहचोड़ा