कुवैत के मंगाफ शहर की इमारत में बुधवार को लगी आग से 40 भारतीयों समेत 49 विदेशी श्रमिकों की मौत हो गई. 50 घायल हैं. स्थानीय अधिकारियों ने इस अग्निकांड की जांच शुरू कर दी है. 50 लोगों की मौत के बाद अब अब भवन मालिकों और कंपनी मालिकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठ रही है, जो लागत को घटाने के लिए कानून का उल्लंघन करके बड़ी संख्या में असुरक्षित हालातों में विदेशी मजदूरों को रखते हैं.
विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह का कहना है, वह तत्काल कुवैत जा रहे हैं. उन्होंने कहा, कुछ शव इतने जल गए हैं कि उनकी पहचान करना मुश्किल है. जानिए ऐसे शवों की पहचान कैसे की जा सकती है.
क्या है डीएनए टेस्टिंग, कैसे हो जाती है पहचान?
दुनियाभर में पिछले 3 दशकों से डीएनए टेस्टिंग का चलन बढ़ा है. मेडिकल टेस्ट के मामले में इसे काफी आधुनिक जांच माना जाता है. डीएनए को लेकर 19वीं सदी से खोज और रिसर्च शुरू हो गई थी. DNA का मतलब है डीऑक्सीराइबो न्यूक्लिक एसिड. यह हर इंसान और जीवों के जींस में होता है जो पूर्वजों या हमारे वंश के बारे में सटीक जानकारी देता है. डीएनए की संचरना सीढ़ीनुमा होती है.
हर बच्चे का डीएनए उसके पेरेंट्स से बनता है. हर माता-पिता का डीएनए एक नहीं होता है, इसलिए दोनों से मिलकर तैयार हुआ बच्चे का डीएनए यूनीक होता है. पेरेंट्स और बच्चे के DNA मिलान से साबित होता है कि वो बच्चा किस माता-पिता का है. यही वजह है की डीएनए टेस्ट से उसके पेरेंट्स की जानकारी मिलती है. तय हो जाता है कि वो किस परिवार से ताल्लुक रखता है.
कैसे किया जाता है DNA टेस्ट?
डीएनए के लिए सैम्पल कई तरीकों से लिए जाते हैं. जैसे- खून, थूक, लार, दांत, बाल, हड्डियां, नाखून और पेशाब. कुवैत के मामले से समझें तो यहां मृत शरीर में सिर्फ हड्डियां ही बची हैं जहां से नमूने या सैम्पल लिए जा सकते हैं. जांच के लिए फॉरेंसिक एक्सपर्ट सैम्पल लेकर उसमें से डीएनए को अलग करते हैं. लैब में सैम्पल की एनालिसिस की जाती है और तैयार होने वाली रिपोर्ट में उस इंसान के बारे में कई जानकारियां दी जाती हैं.
डीएनए की जांच पूरी होने में एक से दो हफ्ते लग सकते हैं. रिपोर्ट में सामने आने वाली जानकारियों को इनके परिवार के सदस्यों से मिलान करके पहचान की जाती है.
कब-कब हुआ डीएनए टेस्ट का इस्तेमाल?
कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जब डीएनए जांच चर्चा में रही थी. राजीव गांधी और बेअंत सिंह की हत्या के मामलों में डीएनए टेस्ट किया गया था. नैना साहनी तंदूर हत्या कांड में भी यह जांच की गई. स्वामी प्रेमानंद और स्वामी श्रृद्धानंद के मामलों में इस जांच ने मदद की. हत्या की गई बॉडी का डीएनए टेस्ट हुआ, जिससे उसकी पहचान पता चल पाई. प्रियदर्शिनी मट्टू हत्या मामले में भी डीएनए टेस्ट काम कर गया. इसके अलावा कुछ समय पहले आफताब द्वारा कई टुकड़ों में श्रृद्धा की हत्या मामले में डीएनए टेस्ट की मदद ली गई थी.
अब कुवैत में मृतकों की जली हुई बॉडी से सैम्पल लेकर उसकी डीएनए जांच की जाएगी और रिपोर्ट की जाएगी. भारत के विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने इसकी पुष्टि की है.