एक बड़े कदम में, केंद्रीय वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के सार्वजनिक निवेश बोर्ड ने केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) ने DDA के रिठाला-नरेला-कुंडली मेट्रो कॉरिडोर के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इस प्रस्ताव में अब तक विकास की राह में पीछे रह गए, उत्तरी-पश्चिमी दिल्ली के साथ-साथ, दिल्ली के उत्तर में हरियाणा के जिलों के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को भी बदलने की क्षमता है.
दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने केंद्र के सामने कई मौकों पर इस मेट्रो कॉरिडोर के निर्माण का मुद्दा उठाया था, जिससे इन इलाकों का विकास सुनिश्चित हो सके. रिठाला-नरेला-कुंडली मेट्रो कॉरिडोर के निर्माण में कुल 6231 करोड़ रुपये की लागत आएगी. इसमें दिल्ली के अंदर होने वाले निर्माण में कुल 5685.22 करोड़ रुपए और हरियाणा की तरफ यह लागत 547.77 करोड़ रुपये आएगी.
1000 करोड़ DDA देगा
दिल्ली में होने वाले निर्माण की लागत का लगभग 40 प्रतिशत केंद्र की तरफ से वहन किया जाएगा, जिसमें से DDA अकेले 1000 करोड़ रुपये की राशि का वहन करेगा. इसके अलावा 37.5 प्रतिशत की लागत द्विपक्षीय/बहुपक्षीय ऋणों और 20 प्रतिशत का वहन दिल्ली सरकार द्वारा किया जाएगा. हरियाणा के अंतर्गत होने वाले निर्माण के लिए राज्य सरकार 80 प्रतिशतअनुदान देगी जबकि, 20 प्रतिशत की राशि का अनुदान भारत सरकार द्वारा दिया जाएगा.
26.5 किमी. लंबे इस कॉरिडोर पर कुल 21 स्टेशन होंगे, जिसको मंजूरी के बाद 4 साल की अवधि में पूरा किया जाएगा. इस कॉरिडोर के बनने से नरेला-बवाना-अलीपुर के इलाकों की कनेक्टिविटी में सुधार होगा. साथ ही इसके जरिए इन इलाकों के इंफ्रास्ट्रक्चर में भी तेजी आएगी. यह नरेला-बवाना सब-सिटी के विकास को गति प्रदान करेगा और रोहिणी सब-सिटी की काफी समय से लंबित आवश्यकताओं को भी पूरा करेगा.
किन-किन चीजों का हो रहा विकास ?
LG वी.के. सक्सेना के दिशा-निर्देशन में DDA, नरेला सब-सिटी को दिल्ली स्थित विश्वविद्यालयों के 7 कैंपस और संस्थानों, UER-II के साथ मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क, कॉरपोरेट ऑफिस/ IT पार्क, AIIMS और IGTUW मेडिकल कैंपस के साथ एजूकेशन हब के रूप में विकसित कर रहा है. दिल्ली मेट्रो के इस कॉरिडोर के निर्माण से इसमें तेजी आएगी.
इस इलाके में पहले से ही दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, NIT दिल्ली, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ होम्योपैथी, राजा हरीश चंद्र अस्पताल, अनाज मंडी, स्मृति वन और दिल्ली विकास प्राधिकरण की कई परियोजनाएं भी हैं. इस मेट्रो कॉरिडोर के बाद, यह सभी संस्थान और आवासीय परियोजनाएं भी शहर के अन्य हिस्सों से कनेक्ट हो जाएंगी.
किन-किन राज्यों के बीच है कनेक्टिविटी?
इसके साथ ही रोहिणी सब-सिटी में, हेलीपोर्ट सेक्टर 36, राजीव गांधी कैंसर संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र, एंबिएंस मॉल, स्वर्ण जयंती पार्क, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स सेक्टर 14, रोहिणी कोर्ट परिसर और फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री, भी मेट्रो नेटवर्क से जुड़ जाएंगी. यह कॉरिडोर, तीन राज्यों, गाजियाबाद (यूपी), दिल्ली और कुंडली (हरियाणा) के बीच कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेगा. एक अनुमान के मुताबिक साल 2028 में इस परियोजना के पूरा होने पर इससे हर रोज 1.26 लाख लोग सफर कर सकेंगे और 2055 तक 3.8 लाख लोग इससे सफर करेंगे.
इस कॉरिडोर में आने वाले स्टेशनों में- रोहिणी के कुल 7 सेक्टर, बरवाला, सनोठ गांव, न्यू सनोठ गांव, नरेला, जेजे कॉलोनी और बवाना औद्योगिक क्षेत्र के 2 स्टेशन और नरेला क्षेत्र में 5 स्टेशन होंगे, जिसमें अनाज मंडी, नरेला DDA स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, नरेला गांव, डिपो स्टेशन और नरेला सेक्टर 5 शामिल होंगे.