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रंजीत डॉन से संजीव मुखिया तक बिहार का नालंदा कैसे बन गया पेपर लीक का हॉटस्पॉट?

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शिक्षा को लेकर नालंदा की पहचान वैश्विक है. इसका जिक्र इतिहास के कई पन्नों में मिलते हैं. हाल के वर्षों में इसकी पहचान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की वजह से भी बनी. नीतीश कुमार नालंदा के कल्याणबिगहा के रहने वाले हैं. इन दोनों बातों को छोड़ दिया जाए, तो नालंदा की एक पहचान और है. यह पहचान है- पेपर लीक के एपिक सेंटर के रूप में.

चाहे 2003 के कैट का एग्जाम हो, चाहे 2024 का नीट एग्जाम. देश में पिछले 25 सालों में जब-जब पेपर लीक का मामला उठा, तब-तब उसका तार बिहार के नालंदा से ही जुड़ा. यहां के मास्टमाइंड की कहानी राष्ट्रीय मीडिया में खूब सुर्खियां बटोरी. वजह इसके मास्टरमाइंड की कहानी भी है. साल 2003 में 33 साल के रंजीत डॉन ने कैट जैसे बड़े एग्जाम के पेपर लीक करवाए, तो अब संजीव मुखिया को नीट पेपर लीक का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है.

इन सबके बीच बड़ा सवाल यही है कि आखिर बिहार का नालंदा जिला पेपर लीक का हॉटस्पॉट कैसे बन गया है? इसी सवाल का जवाब विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं…

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पहले कहानी माफिया रंजीत डॉन की

साल 2003 में भारतीय प्रबंधन संस्थान में दाखिला के लिए कैट ने प्रवेश परीक्षा आयोजित करवाया था. इसके लिए देश के 26 शहरों में 137 केंद्र बनाए गए, लेकिन एग्जाम से एक घंटे पहले ही कैट का पेपर लीक हो गया. पेपर लीक की वजह से कैट को अपना एग्जाम रद्द करना पड़ा. यह पेपर रद्द कैट मामले की जांच उस वक्त सीबीआई को सौंपी गई.

सीबीआई ने जब तहकीकात शुरू की, तो उसे इस पूरे खेल का मास्टर माइंड के बारे में पता चला. वो मास्टरमाइंड था- नालंदा के 33 वर्षीय रंजीत सिंह उर्फ रंजीत डॉन. सीबीआई इसके बाद हरकत में आ गई और उसने रंजीत डॉन को पकड़ने के लिए ताबड़तोड़ छापेमारी शुरू कर दी.

आखिर में रंजीत डॉन दिल्ली के एक होटल से सीबीआई के हत्थे चढ़ा. गिरफ्तारी के बाद रंजीत डॉन ने जो खुलासा किया, उसने देश को सन्नाटे में ला दिया. रंजीत के मुताबिक वो पहले भी कई परीक्षाओं का पेपर लीक करवा चुका है.

आईआईएम के पेपर लीक करवाने के लिए उसने हर अभ्यर्थियों से 10-10 लाख रुपए लिए थे. जांच के दौरान सीबीआई को पता चला कि रंजीत डॉन एमबीबीएस, कैट और बैंक पीओ की परीक्षा में फर्जीवाड़ा करता है. उसने खुद अपनी एमबीबीएस की डिग्री दरभंगा मेडिकल कॉलेज से खरीदी है. रंजीत डॉन इसके बाद कई सालों तक जेल के सलाखों में ही रहा. फिलहाल, वो जमानत पर है और राजनीति में सक्रिय है. रंजीत डॉन नालंदा से विधानसभा और विधानपरिषद का भी चुनाव लड़ चुका है, लेकिन उसे अब तक किसी भी चुनाव में जीत नहीं मिली.

2014 के पीएमटी परीक्षा में भी एसआईटी के रडार में रंजीत डॉन का नाम आया था. उससे पूछताछ भी हुई. हालांकि, उसकी गिरफ्तारी नहीं हुई.

अब संजीव मुखिया के बारे में जानिए

2024 के नीट पेपर लीक का मास्टरमाइंड संजीव मुखिया उर्फ लूटन को बताया जा रहा है. बिहार आर्थिक अपराध शाखा के मुताबिक नीट का पेपर सबसे पहले संजीव के पास ही आया था. संजीव ने इस पेपर को 10-15 अभ्यर्थियों को बांटा था. संजीव नालंदा के नगरनौसा का रहने वाला है और पेपर लीक के जुर्म में 2015 में गिरफ्तार भी हो चुका है. हालांकि, इस बार अब तक वो पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा है. संजीव का नाम 2012 में फूड इंस्पेक्टर के पेपर धांधली में आया था. उसके गैंग के कई सदस्य इस परीक्षा में गिरफ्तार हुए थे.

संजीव का बेटा शिव कुमार डॉक्टर है, जबकि उसकी पत्नी गांव की मुखिया रही हैं. संजीव के बारे में जांच एजेंसी और सबूत जुटा रही है. वहीं आर्थिक अपराध शाखा उसे गिरफ्तार करने के प्रयास में भी लगातार जुटी हुई है.

नालंदा कैसे बन गया पेपर लीक का हॉटस्पॉट?

1. पिछले 25 साल में भारत में पेपर लीक से जुड़े मामले में अब तक जितने भी मास्टरमाइंड का नाम सामने आया है, उसमें 3 (रंजीत डॉन, संजीव मुखिया, दीपक कुमार) नालंदा का ही रहने वाला है. इन तीनों पर कम से कम भर्ती से जुड़े 10 एग्जाम में पेपर लीक कराने के आरोप हैं. दीपक तो अभी रांची पुलिस की गिरफ्त में भी है. आखिर बार उसका नाम झारखंड जूनियर इंजीनियर परीक्षा 2022 के पेपर लीक में आया था.

2. बिहार में इस धंधा को रंजीत डॉन ने ही बढ़ाया था. अपने काम को अंजाम देने के लिए उसने कई गैंग भी बनाए थे. रंजीत जब सीबीआई के हत्थे चढ़ा तो उसने इस काम को छोड़ दिया, लेकिन उसके गैंग के कई सदस्य इससे बाहर नहीं आ पाए.

3. 2020 से अब तक हुए 3 बड़े परीक्षा (झारखंड जूनियर इंजीनियर, बीपीएससी-टीआरई और नीट परीक्षा) के पेपर लीक का ताड़ नालंदा से ही जुड़ा है. जांच एजेंसी के मुताबिक इन परीक्षाओं के पेपर लीक का केंद्र नालंदा ही था.

4. बिहार पुलिस के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक नालंदा से पिछले 5 साल भर्ती एग्जाम के दौरान 50 से ज्यादा मुन्नाभाई को गिरफ्तार किया जा चुका है. सब पर दूसरे के बदले परीक्षा देने का आरोप है. इसी बार नीट परीक्षा के दौरान कटिहार के जवाहर नवोदय केंद्र से 7 मु्न्नाभाई पकड़े गए थे. ये सभी नालंदा के पावापुरी मेडिकल कॉलेज के छात्र थे.

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