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इंसुलेटर को वर्षा की बूंदें कर रहीं बर्स्ट, गुल हो रही बिजली

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ग्वालियर। स्मार्ट सिटी ग्वालियर में 24 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति की बात एक बार फिर पुरानी हो गई है। पिछले कुछ माह से शहर की पावर सप्लाई व्यवस्था बेपटरी है। घर की बिजली कब बुझ जाए, इसका कोई निश्चित समय नहीं है। बेहिसाब कटौती के साथ वर्षा की बूंदों से इंसुलेटर बस्ट हो रहे हैं। इससे बिजली की समस्या उपभोक्ताओं को परेशान किए हुए है।

इसका उचित जवाब भले ही विद्युत वितरण कंपनी के अफसर न दे पाएं, लेकिन बिजली आपूर्ति की गड़बड़ाई व्यवस्था के पीछे कमजोर इंसुलेटर बताए जा रहे हैं। इसके चलते आए दिन किसी न किसी क्षेत्र में फाल्ट के कारण लंबी कटौती से उपभोक्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं इंसुलेटर को ठीक करने में बिजली कंपनी के इंजीनियर और कर्मचारियों को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।

इंसुलेटर के कारण वर्षा के दौरान सबसे ज्यादा फाल्ट आ रहे हैं। वहीं उपकेंद्रों से जुड़े फीडर ट्रिप हो रहे हैं। बारिश में नमी के कारण इसमें कार्बन लग जा रहा है। हाई वोल्टेज को झेलने की क्षमता इसमें नहीं है। इस कारण खंभे में करंट उतरने की संभावना भी रहती है। इतना ही नहीं आकाशीय बिजली की चमक और तड़क से इंसुलेटर क्रेक होकर टूट जाते हैं। उसके बाद जब बरसात होती है तो सीपेज के कारण सबसे पहले जंफर टूटता है फिर ट्रांसफार्मर का डीओ फूंक जाता है।

35 से अधिक इंसुलेटर हुए पंचर: वर्षा की वजह से शहर वृत्त के चार डिवीजन में अब तक करीब 35 इंसुलेटर पंचर हो गये। इन इंसुलेटर को ठीक करने में बिजली कंपनी के कर्मचारियों को कई घंटे लग गए। बिजली कंपनी के अधिकारी भी स्वीकारते हैं कि वर्षा के दौरान कमजोर इंसुलेटर बर्स्ट होते हैं। वर्षा में बिजली कंपनी के लिए इंसुलेटर कोडिंग चिंता बन गई है तो वहीं इनके बर्स्ट होने से बिजली चली जाने से लोग भी परेशान हैं।

ऐसे काम करता है इंसुलेटर

वर्षा में इंसुलेटर की परत उतरने और उसमें छेद होने की स्थिति में फाल्ट हो रहे हैं। इस वजह से बिजली गुल होने की समस्या हो रही है। बिजली के पोल पर इंसुलेटर का प्रयोग किया जाता है। चीनी मिट्टी के बने इंसुलेटर बड़े फाल्ट से लाइनों की सुरक्षा करते हैं। चीनी मिट्टी के बने होने की वजह से उनके जल्द खराब होने की भी दिक्कतें आती हैं। धीरे-धीरे इंसुलेटर की परत हटने लगती है। उसमें छेद भी होने की शिकायत रहती है और वर्षा में कमजोर हो चुके इंसुलेटर में फाल्ट हो जाता है।

वर्षा के दौरान इंसुलेटर बर्स्ट होने की शिकायत ज्यादा आती हैं। इसके लिए पेट्रोलिंग बढ़ाई जा रही है। इससे कमजोर इंसुलेटर बदले जा सकें। वर्षा के दौरान सबसे ज्यादा इंसुलेटर ही बस्र्ट हुए फाल्ट की समस्या बढ़ी है।

-नितिन मांगलिक, महाप्रबंधक, शहर वृत्त।

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