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क्या अग्निवीर को नहीं दिया जाता शहीद का दर्जा? राहुल गांधी के सवाल का राजनाथ ने ये दिया जवाब

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लोकसभा में सोमवार को हंगामे के बीच नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने अग्निवीरों की भर्ती करने वाली अग्निपथ योजना पर सवाल उठाए. राहुल गांधी ने कहा, मोदी सरकार अग्निवीर को शहीद का दर्जा नहीं देती. उन्हें मुआवजा भी नहीं दिया जाता. अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो इस योजना को हटाएगी. यह सेना की योजना नहीं, पीएमओ की स्कीम है, जिनके लिए एक अग्निवीर यूज एंड थ्राे मजदूर है. अग्निवीर वो सैनिक होते है जिनकी भर्ती इस योजना के तहत 4 साल की अवधि के लिए की जाती है.

राहुल गांधी के बयान पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने जवाब दिया. उन्होंने कहा, युद्ध के दौरान या सेना की सुरक्षा के दौरान अगर कोई अग्निवीर का जवान शहीद होता है तो उसेएक करोड़ रुपए का मुआवजा दिया जाता है. राहुल गांधी अग्निवीरों पर गलत बयान न दें. वो सदन को गुमराह करने का काम कर रहे हैं.

केंद्रीय रक्षामंत्री ने राहुल गांधी के सवाल का जवाब देने के दौरान ‘शहीद’ शब्द का इस्तेमाल किया. उन्होंने अपने जवाब में कहीं भी यह नहीं कहा कि शहीद होने के बाद अग्निवीर को शहीद का दर्जा नहीं दिया जाता.आइए अब यह भी जान लेते हैं कि अग्निवीर के शहीद होने पर उनके परिवार को कितना मुआवजा मिलता है?

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अग्निवीर के शहीद होने पर परिवार को क्या-क्या मिलता है?

14 जून, 2022 को, मोदी सरकार ने सशस्त्र बलों में सैनिकों की भर्ती के लिए अग्निपथ योजना की घोषणा की और भर्ती के लिए 17.5 से 21 वर्ष की आयु तय की. पहले प्रवेश में, सेना ने दो बैचों में 40,000 अग्निवीरों को शामिल किया. पहला बैच दिसंबर की पहली छमाही तक और शेष को दूसरे बैच में फरवरी 2023 की पहली छमाही तक शामिल किया गया. इसमें शामिल होने वाले युवाओं को अग्निवीर कहा जाता है.

अग्निपथ स्कीम के तहत भारतीय थल सेना, वायु और नौसेना में अग्निवीरों को प्रशिक्षण अवधि सहित चार साल के लिए भर्ती किया जाता है. 4 साल की समय सीमा पूरी होने के बाद 25 फीसदी अग्निवीरों की भारतीय सेना में स्थायी भर्ती की जाती है.

अग्निवीरों को पहले साल करीब 4.76 लाख रुपए का पैकेज मिलता है. इसमें चौथे साल में लगभग 6.92 लाख रुपए का इजाफा होता है. हर अग्निवीर को अपने मासिक वेतन का 30 फीसदी का योगदान सेवा निधि के रूप में देना होता है. इतनी ही राशि का योगदान सरकार भी देती है.

अग्निवीरों की संलग्नता की शर्तों के अनुसार, जंग में शहीद होने पर परिवार को 48 लाख रुपए गैर-अंशदायी बीमा और 44 लाख रुपए बतौर अनुग्रह राशि के तौर पर दिए जाते हैं. इसके अलावा अग्निवीर द्वारा जमा की गई सेवा निधि भी इसमें शामिल की जाती है. हर अग्निवीर को मासिक वेतन का 30 फीसदी का योगदान सेवा निधि के रूप में देता है. इतनी ही राशि सरकार की तरफ से भी जमा की जाती है. शहीद होने के बाद मुआवजे में यह राशि भी शामिल की जाती है.

अपंगता का शिकार होने पर क्या होगा?

अगर सेवा के दौरान को अग्निवीर अपंगता का शिकार हो जाता है तो चिकित्सा अधिकारियों द्वारा निर्धारित दिव्यांगता के प्रतिशत के आधार पर उसे मुआवजा दिया जाएगा.

हंगामे के बीच लोकसभा में राहुल गांधी ने कहा, केंद्र सरकार देश के सैनिकों पर यह योजन थोपने का काम कर रही है. चीन में जवानों को 5 साल का प्रशिक्षण दिया जाता है, वहीं भारत में अग्निवीरों को 6 माह का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. केंद्र सरकार ने अग्निवीरों के मन में डर पैदा कर दिया है.

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