लोकसभा चुनाव जीतने के बाद नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी बदले-बदले नजर आ रहे हैं. रायबरेली लोकसभा से सांसद चुने जाने के एक महीने में राहुल गांधी दूसरी बार अपने संसदीय क्षेत्र के दौरे पर पहुंचे हैं और उत्तर प्रदेश का यह उनका तीसरा दौरा है. रायबरेली में वो कांग्रेस कार्यकर्ताओं को साथ सिर्फ बैठक ही नहीं करेंगे बल्कि जिले के विकास की हकीकत जानने की कवायद करते नजर आएंगे. राहुल गांधी 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद से जिस तरह संसद से लेकर सड़क तक एक्टिव हैं और एक महीने में दूसरी बार अपने संसदीय क्षेत्र पहुंचे हैं, उसके सियासी मायने निकाले जाने लगे हैं.
2024 के लोकसभा चुनाव में मिली जीत से कांग्रेस के हौसले बुलंद हैं. एक दशक के बाद दिल्ली की सियासत में कांग्रेस की ताकत बढ़ी है तो उत्तर प्रदेश में छह सीटों पर मिली जीत ने दोबारा से उभरने की उम्मीद जगा दी है. कांग्रेस यूपी में साढ़े तीन दशक से सत्ता का वनवास झेल रही है और 2019 में राहुल गांधी को अमेठी में हार का मुंह तक देखना पड़ा था, जिसके चलते 2024 के चुनाव में राहुल गांधी ने अपनी मां सोनिया गांधी की रायबरेली सीट को अपनी कर्मभूमि बनाया. वायनाड सीट को छोड़कर रायबरेली को अपने पास रखा है ताकि यूपी की सियासत में कांग्रेस को दोबारा से सियासी संजीवनी मिल सके. राहुल गांधी ने रायबरेली के जरिए यूपी को साधने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है.
चुरुवा हनुमान मंदिर में राहुल ने लिया आशीर्वाद
लोकसभा चुनाव जीतने के बाद राहुल गांधी 10 जून को अपने संसदीय क्षेत्र के एक दिवसीर दौरे पर आए थे. अब दूसरी बार मंगलवार को राहुल गांधी रायबरेली पहुंचे हैं. राहुल ने सबसे पहले चुरुवा हनुमान मंदिर में दर्शन-पूजन किया और आशीर्वाद लिया. इसके बाद रायबरेली के भुएमऊ गेस्ट हाऊस पहुंचे, जहां पर राहुल गांधी पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे. कार्यकर्ताओं के साथ बैठक के बाद जिले के विकास कार्यों पर चर्चा करेंगे, ताकि सांसद चुनने के बाद जिले के विकास कार्यों को प्राथमिकता के तौर पर कराया जाए. इस दौरान राहुल के अपनी मां सांसद सोनिया गांधी की सांसद निधि से जो काम हुए हैं, उनके बारे में जानकारी लेंगे.
शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के पिता से मिले राहुल
19 जुलाई 2023 को सियाचिन ग्लेशियर में शहीद हुए कैप्टन अंशुमान सिंह के परिवार से राहुल गांधी भुएमऊ गेस्ट हाउस में मुलाकात करेंगे. शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह को कीर्ति च्रक से सम्मानित किया गया था. राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से शहीद की पत्नी स्मृति ने सम्मान लिया था. शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के पिता रवि प्रताप सिंह और मां मंजू सिंह रायबरेली में राहुल गांधी से मिलने पहुंचे. इसके बाद राहुल गांधी रायबरेली में किसी गांव का भ्रमण करने का भी कार्यकम है, जहां से राहुल गांधी अपने संसदीय क्षेत्र के साथ-साथ सूबे को भी सियासी संदेश देने का दांव चल सकते है. माना जा रहा है कि राहुल गांधी किसी दलित बस्ती में जा सकते हैं.
रायबरेली पर राहुल गांधी का फोकस
रायबरेली के स्थानीय पत्रकार रमेश शुक्ला ने टीवी-9 डिजिटल से बातचीत करते हुए कहा कि रायबरेली राहुल गांधी की सूची में पहले स्थान पर है. इसका जिक्र वह लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान कर चुके हैं. इसीलिए रायबरेली में खुद को एक्टिव बनाए रखना चाहते हैं, क्योंकि 2019 में सोनिया गांधी सांसद का चुनाव जीतने के बाद आश्वस्त होने के चलते पांच साल तक नहीं आईं है. ऐसे में विपक्ष यह आरोप लगाता रहा है कि गांधी परिवार सिर्फ चुनाव लड़ने के लिए आते हैं और उसके बाद से क्षेत्र का दौरा नहीं करते हैं. राहुल गांधी का एक महीने में रायहबरेली का दूसरा दौरा उसी नैरेटिव को तोड़ने की कोशिश के तौर पर है.
रमेश शुक्ला कहते हैं कि राहुल गांधी अब अमेठी जैसी गलती रायबरेली क्षेत्र में नहीं दोहराना चाहते हैं. रायबरेली को वो अपने किसी मैनेजर के भरोसे पर नहीं छोड़ना चाहते हैं बल्कि खुद क्षेत्र का दौरा करके अपनी उपस्थिति को बनाए रखने की स्टैटेजी है. इसीलिए राहुल गांधी एक महीने में दूसरी बार रायबरेली आए हैं. इस दौरान जिला विकास योजना की बैठक में शिरकत करेंगे, जिससे जिले की विकास को सही से आकलन कर सकेंगे. रायबरेली के बहाने राहुल गांधी यूपी पर फोकस कर रहे हैं, क्योंकि कांग्रेस लंबे समय से सूबे में अपनी खोई जमीन तलाश रही है और 2024 के नतीजों ने उसे उम्मीद की किरण जगा दी है.
राहुल गांधी में यह बड़ा बदलाव आया है. अभी तक वह सिर्फ विकास की बात करते थे, लेकिन अपने पूर्वजों का अमेठी-रायबरेली के साथ नाते और किए गए कार्यों को बढ़ाने की बात करते रहे हैं. रायबरेली के साथ अपनापन जताने का प्रयास कर रहे हैं. राहुल गांधी ने चुनाव के दौरान और उसके बाद भी इसी पैटर्न पर रायबरेली में नजर आए हैं. इससे समझा जा सकता है कि राहुल गांधी रायबरेली को परमानेंट सीट बनाए रखना चाहते हैं.
लोकसभा चुनाव में 9 सीटों पर कांग्रेस ने दर्ज की जीत
कांग्रेस उत्तर प्रदेश में 6 लोकसभा सीटें इस बार जीती है और पांच सीटों पर उसे मामूली वोटों से हार का मूंह देखना पड़ा है. 2024 के चुनाव नतीजे से कांग्रेस के लोग उत्साहित हैं. ऐसे में यूपी के लिए कोशिशों का दौर शुरू हो गया हैय कांग्रेस ने इसके लिए प्रेशर पॉलिटिक्स की राह चुनी है. इसका अक्स लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की हाथरस यात्रा और उसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ को लिखी गई चिट्ठी में देखा जा सकता है. अब राहुल मंगलवार को रायबरेली पहुंचें हैं. ऐसे में यूपी को लेकर उनकी सक्रियता एक तरह से बीजेपी और यूपी सरकार पर दबाव का काम करेगी.
यूपी में कांग्रेस का इस बार बेहतर प्रदर्शन
कांग्रेस यूपी में 1989 के बाद से सत्ता का वनवास झेल रही है. साल 2014 में दो जबकि 2019 में केवल एक लोकसभा सीट कांग्रेस के खाते में थी. 2019 में राहुल गांधी अमेठी से चुनाव हार गए थे. इस बार के चुनाव में महज 17 सीटों पर लड़ने के बाद कांग्रेस को छह सीटों पर जीत मिली है. इन छह सीटों में अमेठी, रायबरेली के साथ इलाहाबाद और सहारनपुर की सीट भी है, जहां कांग्रेस 40 साल के बाद जीती है. सपा के साथ गठबंधन और फिर मुस्लिम और दलित वोटरों का कांग्रेस के पक्ष में रुझान दिखाई दिया है, उसके चलते ही कांग्रेस अपने लिए2027 के विधानसभा चुनाव में बड़ा अवसर तलाश रही है. ऐसे में राहुल यूपी में अपनी सक्रियता को बनाए रखने के लिए रायबरेली को सियासी हथियार बनाने का दांव चल रहे.
प्रेशर पॉलिटिक्स की नीति पर काम शुरू
कांग्रेस और राहुल गांधी ने यूपी को लेकर प्रेशर पॉलिटिक्स की नीति पर काम शुरू कर दिया था. चाहे वह नीट का मसला हो या हाथरस कांड. नीट भले राष्ट्रीय मसला है, लेकिन यूपी को पेपर लीक का केंद्र बताकर कांग्रेस ने यहां अपना पक्ष मजबूत करने के लिए आंदोलन का रास्ता चुना. पहले कांग्रेस के मुख्य संगठन ने आंदोलन किया. इसके बाद एनएसयूआई और यूथ कांग्रेस ने मोर्चा संभाला. इस बीच हाथरस कांड हुआ तो राहुल गांधी ने लोगों के बीच पहुंचने में देर नहीं लगाई. राहुल गांधी हाथरस और अलीगढ़ पहुंचकर पीड़ित परिजनों से मुलाकात करके दुख-दर्द बांटने के साथ-साथ सियासी संदेश भी देते नजर आए.
राहुल गांधी ने हाथरस हादसे के लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया और पीड़ित परिजनों को मुआवजा देने की मांग उठायी. इसके फौरन बाद सीएम योगी को पत्र लिखकर राहुल गांधी कहा कि पीड़ितों को दिया गया मुआवजा काफी कम है, जिसे सरकार बढ़ाए और बिना देर लगाए उन्हें समय से दिया जाए. इसके बाद राहुल गांधी अब रायबरेली पहुंचे हैं, जहां पर अपने संसदीय क्षेत्र के विकास का जायजा लेंगे और पार्टी नेताओं के साथ बैठक उनका हौसला बढ़ाएंगे. इस तरह राहुल गांधी के एजेंडे में यूपी सबसे प्रमुख रूप से दिख रहा है.