राज्यसभा चुनाव में लगे झटके बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू के 3 दांव ने हिमाचल और कांग्रेस की राजनीति को फिर से बदल दिया है. अभिषेक मनु सिंघवी के हारने के बाद से ही सुखविंदर सुक्खू की कुर्सी को लेकर कई तरह की अटकलें लग रही थी, लेकिन 3 महीने बाद बदले समीकरण और परिस्थिति में अब सुक्खू कांग्रेस और हिमाचल में सबसे मजबूत नेता बनकर उभरे हैं.
उपचुनाव के नतीजे आने के बाद एक तरफ जहां कांग्रेस वापिस 2022 के आंकड़ों पर पहुंच गई है, वहीं दूसरी तरफ इस नतीजे से सुखविंदर सिंह सुक्खू की कुर्सी भी सुरक्षित मानी जा रही है. चुनाव आयोग के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश की 3 सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस को 2 तो बीजेपी को एक सीट पर जीत हासिल हुई है. यह तीनों ही सीट पहले निर्दलीय विधायकों के पास थी.
सुक्खू के 3 दांव से हिमाचल प्रदेश का खेल ही पलट गया
1. 6 विधायकों की सदस्यता रद्द करवाई- राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के 7 विधायक बगावत कर गए थे, लेकिन आखिर में चिंतापूर्णी से विधायक सुदर्शन बबलू वापस आ गए. बाकी के 6 विधायकों ने मुख्यमंत्री का फोन उठाना बंद कर दिया. विधायकों के संपर्क में बाहर जाते ही सुक्खू ने एक्शन का प्लान बनाया.
चूंकि, बजट सत्र चल रहा था, इसलिए इन विधायकों की अनुपस्थिति सरकार के लिए बड़ा मौका मिल गया. संसदीय कार्यमंत्री के सिफारिश पर विधानसभा स्पीकर ने तुरंत ही 6 विधायकों को बर्खास्त कर दिया. जो 6 विधायक बर्खास्त किए गए, उनमें से अधिकांश प्रतिभा सिंह गुट के थे. पार्टी के भीतर इसको लेकर सुगबुगाहट भी हुई, लेकिन हाईकमान के सहारे सुक्खू यह कराने में सफल रहे.
2. निर्दलीय का इस्तीफा चुनाव बाद स्वीकार- कांग्रेस के 6 विधायकों की सदस्यता जाते देख निर्दलीय विधायक ने भी अपना इस्तीफा दे दिया. इस्तीफा देने के पीछे की बड़ी वजह लोकसभा के साथ विधानसभा का उपचुनाव होना था. इन विधायकों को लगा कि अगर वे इस्तीफा देकर बीजेपी सिंबल पर लड़ते हैं, तो लोकसभा के मूड का फायदा उन्हें भी मिल जाएगा.
हालांकि, इन तीनों ही निर्दलीय विधायकों का इस्तीफा स्पीकर ने तुरंत स्वीकार नहीं किया. 1 जून को जब विधानसभा उपचुनाव के लिए मतदान हो गए. तब इन विधायकों का इस्तीफा स्वीकार किया गया. उस वक्त कहा गया कि सुक्खू ने समीकरण दुरुस्त करने के लिए इन इस्तीफा को स्वीकार करवाया.
उपचुनाव के रिजल्ट आने से पहले तक हिमाचल में 62 सीटों में से 34 सीटें कांग्रेस के पास थी. 3 विधायकों के इस्तीफा स्वीकार करने से कांग्रेस की सरकार सेफ साइड में चली गई.
3. देहरा सीट से पत्नी को उम्मीदवार बना दिया- हिमाचल में निर्दलीय विधायकों के इस्तीफा देने से जिन 3 सीटों पर उपचुनाव की घोषणा हुई, उनमें नालागढ़, हमीरपुर और देहरा सीट शामिल थी. कांगरा की देहरा विधानसभा में सुक्खू का ससुराल भी है. उन्होंने यहां भावनात्मक सपोर्ट लेने के लिए अपनी पत्नी कमलेश ठाकुर को मैदान में उतार दिया.
बीजेपी ने होशियार सिंह को ही यहां से उम्मीदवार बनाया. पूरे चुनाव में सुक्खू यहां डटे रहे और इसका लाभ भी उन्हें मिला. सुक्खू की पत्नी देहरा सीट से 9 हजार से ज्यादा वोटों से चुनाव जीत गई हैं.
2027 तक सुरक्षित रहेगी सुक्खू की कुर्सी, 4 पॉइंट्स
1. हिमाचल में विधानसभा की 68 सीटें हैं. 2022 में कांग्रेस को 40 और बीजेपी को 25 सीटों पर जीत मिली थी. 3 सीट पर निर्दलीय जीते थे. अब 2 उपचुनाव के बाद जो समीकरण बन रहे हैं, कांग्रेस के लिए 2022 जैसा ही है. विधानसभा में कांग्रेस का आंकड़ा फिर से 40 को छू गया है, जो कि बहुमत से 5 ज्यादा है.
2. पिछले 2 महीने में हिमाचल में 9 सीटों पर उपचुनाव हुए हैं, उनमें से 6 पर कांग्रेस की जीत हुई है यानी जीत की स्ट्राइक रेट करी 66 प्रतिशत है. जिन सीटों पर कांग्रेस जीती है, उन सभी सीटों पर सुक्खू का ही चेहरा दांव पर लगा था. ऐसे में अब सुक्खू के लिए यह राहत भरी बात मानी जा रही है.
3. उपचुनाव होने के बाद जो नए समीकरण बन रहे हैं, उसके मुताबिक अब कांग्रेस में प्रतिभा गुट के ज्यादा विधायक नहीं बचे हैं. इतना ही नहीं, हाल ही में मंडी लोकसभा सीट पर भी उनके बेटे विक्रमादित्य चुनाव हार गए. ऐसे में अब शायद ही प्रतिभा राजनीतिक दबाव बना पाए.
4. अब तक कांग्रेस में जिन राज्यों में बगावत हुई है, पार्टी ने वहां मुख्यमंत्री नहीं बदले. राजस्थान और कर्नाटक इसका बड़ा उदाहरण रहा है. ऐसे में हिमाचल में भी यह चर्चा है कि अब सुक्खू नहीं बदले जाएंगे.