अपनी मांग की वजह से महाराष्ट्र कैडर की प्रशिक्षु आईएएस अफसर पूजा खेडकर इस वक्त सुर्खियों में छाई हैं. यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा पास करने के लिए इन पर फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र लगाने का आरोप है. अन्य पिछड़ा वर्ग प्रमाण पत्र के गलत इस्तेमाल का आरोप है, क्योंकि पूजा क्रीमी लेयर में होने की वजह से ओबीसी को मिलने वाले आरक्षण की हकदार ही नहीं हैं.
ऐसे में सवाल उठता है कि आईएएस का दिव्यांगता (विकलांगता) प्रमाण पत्र अगर निरस्त किया गया तो क्या होगा? आइए जानने की कोशिश करते हैं.
दिव्यांगता प्रमाण पत्र की हो रही जांच
2023 बैच की ट्रेनी आईएएस अफसर पूजा खेडकर पुणे में अपनी तैनाती के दौरान खबरों में आईं, जब उन्होंने कथित तौर पर अपने लिए अलग केबिन, घर और स्टाफ की मांग कर डाली. मामला बढ़ने पर उनका स्थानांतरण वाशिम जिले में कर दिया गया था. अब मीडिया रिपोर्ट्स के जरिए एक और जानकारी सामने आ रही है कि पूजा खेडकर का दिव्यांगता प्रमाण पत्र भी फर्जी हो सकता है, क्योंकि इसके लिए दो बार किया गया उनका आवेदन निरस्त किया जा चुका है. फिर आखिर उन्हें दिव्यांगता प्रमाण पत्र मिला तो कहां से और कैसे? अब इसकी जांच की बात कही गई है.
दो-दो बार प्रमाण पत्र पाने में रहीं असफल
एक टीवी चैनल की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अगस्त 2022 में पूजा खेडकर ने विकलांगता प्रमाण पत्र बनवाने के लिए पुणे में आवेदन किया था. डॉक्टरों ने जांच के बाद उनको दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी करने से इनकार कर दिया था. टीवी चैनल पर दिखाई गई डॉक्टरों की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि पूजा खेडकर का आवेदन खारिज करते हुए मेडिकल बोर्ड की ओर से जो पत्र भेजा गया है, उसमें लिखा है कि आपकी चिकित्सीय जांच की गई. बोर्ड ने पूरे मामले को देखा. इसको देखते हुए विकलांगता प्रमाण पत्र जारी नहीं किया सकता.
बताया जा रहा है कि विकलांगता प्रमाण पत्र हासिल करने का पूजा खेडकर का यह दूसरा प्रयास था. इससे पहले भी उन्होंने इसी तरह से मेडिकल सर्टिफिकेट पाने का प्रयास किया था. मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि पहले पूजा खेडकर ने अहमदनगर से सर्टिफिकेट हासिल करने का प्रयास किया था.
दृष्टिबाधित और ओबीसी कैटेगरी में मिली थी रैंक
पूजा खेडकर ने ओबीसी और दृष्टिबाधित श्रेणी में सिविल सेवा परीक्षा दी थी. उन्होंने दिव्यांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण का लाभ लेने के लिए प्रमाण पत्र जमा किए थे. सिविल सेवा परीक्षा में पूजा खेडकर को 821वीं रैंक मिली थी.
दृष्टिबाधित श्रेणी में आवेदन के कारण उनको मेडिकल टेस्ट के लिए एम्स, दिल्ली बुलाया गया था पर उसमें वह शामिल नहीं हुईं. बताया गया है कि आईएएस पद पर चयन प्रक्रिया के दौरान सबसे पहले उनको अप्रैल 2022 में दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान टेस्ट के लिए बुलाया गया तो कोविड पॉजिटिव होने का दावा किया और टेस्ट में शामिल नहीं हुईं. बाद में मई, जुलाई और अगस्त में भी उन्होंने अनिवार्य मेडिकल टेस्ट से मना कर दिया था. उनके विजन लॉस के टेस्ट के लिए सितंबर में एक एमआरआई टेस्ट होना था, इससे भी उन्होंने मना कर दिया और किसी प्राइवेट मेडिकल सेंटर की एमआरआई रिपोर्ट जमा की थी.
प्रमाण पत्रों में हेराफेरी की आशंका
नाम न उजागर करने की शर्त पर एक वरिष्ठ आईएएस अफसर ने बताया कि सिविल सेवा परीक्षा पास करने वाले सभी अभ्यर्थियों को उनकी पसंद की सेवा के साथ ही साथ कैडर आवंटित करने से पहले आमतौर पर सभी विकलांगता प्रमाण पत्रों का दोहरा सत्यापन डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग (डीओपीटी) के एक अंडर सेक्रेटरी द्वारा किया जाता है.
उनका कहना है कि अगर पूजा खेडकर के प्रमाण पत्रों में इस तरह की कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो इसका मतलब है कि किसी न किसी स्तर पर डीओपीटी में कुछ समझौता हुआ है. अब इस अनियमितता के बारे में डीओपीटी को यूपीसी को लिखित सूचना देनी होगी.
सेवा से बर्खास्तगी और आपराधिक आरोप
पूजा खेडकर के मामले की जांच करने के लिए केंद्र सरकार ने एक सदस्यीय समिति बनाई है, जिसने दोबारा जांच शुरू की है. वरिष्ठ आईएएस अफसर का कहना है कि अगर यह साबित होता है कि पूजा खेडकर का चयन जिन प्रमाण पत्रों के आधार पर हुआ है, उनमें कोई फर्जीवाड़ा है या तथ्यों को गलत ढंग से पेश किया गया है तो उनको सेवा से बर्खास्त किया जा सकता है. इसके अलावा उनके खिलाफ आपराधिक आरोप भी तय किए जा सकते हैं.