मुरैना। भू-माफियाओं ने अधिकारी-कर्मचारियों से जुगलबंदी कर सरकारी भूमि, पट्टे और भू-दान की जमीनों की खरीद-विक्री कर करोड़ों रुपये अपनी तिजोरियों में भर लिए। इन दबंग भू-माफिया के काले कारनामों का खामियाजा वह किसान भुगत रहे हैं, जिनकी जमीन सरकार ने रेल लाइन बिछाने के लिए अधिग्रहित कर ली है।
रेल लाइन के लिए सेमई पटवारी हल्का नंबर 6 के 74 निजी सर्वे नंबरों में से 110 से अधिक किसानों की 18.688 हेक्टेयर जमीन जिला प्रशासन ने अधिग्रहित करके रेलवे काे दी थी। रेलवे ने इन जमीनों पर ट्रैक बनाकर पटरियां बिछाने का काम पूरा कर भी दिया है।
तीन साल पहले मुरैना से लेकर श्योपुर जिले के किसानों को जमीन का मुआवजा मिल चुका है। सेमई के किसानों को भी जमीन के बदले 11 करोड़ 65 लाख 61 हजार 989 रुपये का मुआवजा मिलना था, जिसमें से अब तक एक रुपया किसी को नहीं मिला। तीन साल से किसान मुआवजे के लिए तहसील से लेकर कलेक्टर और संभाग आयुक्त कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं।
कई किसानों को बेटे-बेटी की शादी के लिए कर्ज तक लेना पड़ गया है। किसान वीरवती पत्नी वीरेंद्र सिंह और श्रीकृष्ण सिंह तोमर की दो बीघा से ज्यादा जमीन रेल लाइन में चली गई, उन्हें 33 लाख का मुआवजा मिलना था। श्रीकृष्ण तोमर बताते हैं, कि बेटी की शादी के लिए लाखों रुपये का कर्ज लिया, वह नहीं अदा कर पा रहे।
इसी तरह घमंडी पुत्र किशनू जाटव, चिरोंजी पुत्र मंगलिया कुशवाह, प्रागोबाई पत्नी मुंशीलाल जैसे कई और किसान हैं, जो मुआवजे की आस में खेती व शादी-विवाह के लिए कर्ज ले चुके हैं, जिसका हर महीने ब्याज चुकाना पड़ता है।
ईओडब्ल्यू ने जब्त कर लिया रिकार्ड, इसलिए मुआवजा अटका
रेल लाइन के लिए जमीन देने वाले किसानों का मुआवजा अटकने के पीछे का कारण यह है, कि सेमई हल्के के राजस्व रिकार्ड को ग्वालियर ईओडब्ल्यू ने जब्त कर रखा है। वह इसलिए, क्योंकि सेमई हल्के की सरकारी चरनोई की जमीन के अलावा भूदान व सरकार द्वारा पट्टे पर दी गई जमीनों का बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा हुआ है।
जिन अधिकारियों को विक्रय से वर्जित जमीनों को बिकवाने का अधिकार ही नहीं, उन अफसरों ने गलत आदेश जारी कर पट्टे व भू-दान की जमीनों की रजिस्ट्री करवा दी। सरकारी चरनोई की जमीनों पर कालोनियां कट गई। ईओडब्ल्यू इस फर्जीवाड़े की जांच कर रहा और जांच के लिए सेमई हल्के का राजस्व रिकार्ड जब्त कर रखा है।
बिना राजस्व रिकॉर्ड के कौन सी जमीन किसकी है? इसका पता नहीं लग पा रहा और इसी कारण जिला प्रशासन मुआवजा नहीं बांट पा रहा। मुरैना कलेक्टर बीते सवा साल में दो बार ईओडब्ल्यू को पत्र लिख चुके हैं, लेकिन वहां से रिकार्ड तो क्या उसकी फोटो कांपी तक मुरैना प्रशासन को नहीं दी जा रही।
पीएम किसान सम्मान निधि भी अटकी
सेमई, कोरीपुरा और आसपास के किसान जिनकी जमीन पटवारी हल्का 6 में है, उनमें से अधिकांश किसानाें को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की किश्तें भी नहीं मिल पा रहीं। दरअसल, रेलवे लाइन के लिए जमीन अधिग्रहित होने के बाद जमीनों का पूरा नक्शा व रिकार्ड बदल गया है। इस कारण पीएम किसान सम्मान निधि का वितरण भी सेमई हल्के में ऐसा प्रभावित हुआ, कि शासन ने इस हल्के के अधिकांश किसानाें के खातों में पैसा जमा करना बंद कर दिया है।