बनवार दमोह: एमपी में दमोह के जंप जबेरा की ग्राम पंचायत मुड़ारी बस्ती के समीप छोटे तालाब में आंख मिचौली खेल रहा मगरमच्छ में फंस गया। वन विभाग ने मशक्कत से पिंजरे में कैद किया।वन विभाग ने उसे पिंजरे में फंसाने के लिए चारे के तौर पर मुर्गा मांस कर रखा था, लेकिन दोपहर 12 बजे से तालाब में रखे पिंजरे रखे मांस के टुकड़े खाकर मगरमच्छ पिंजरे से बाहर निकल जाता था। मगरमच्छ को रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के सिगोरगढ़ तालाब में छोड़ा गया ।
दो बार भी जब मगरमच्छ पिंजरे में कैद नहीं हुआ तो…
पिंजरे में लगा आटोमेटिक लाक का गेट मगरमच्छ के अंदर जाने के बाद भी नही लगता और मगरमच्छ पिंजरे के अंदर जाकर मांस खाकर बाहर निकल जाता था। ऐसा मगरमच्छ ने दो बार किया लेकिन जब मगरमच्छ पिंजरे में कैद नहीं हुआ तो डिप्टी रेंजर नेक नारायण खरे मैं पिंजरे के गेट पर एक रस्सी बांधकर तालाब से बहुत दूर गुप्त जगह में बैठ गए और जैसे ही मगरमच्छ मुर्गा के मांस के टुकड़े खाने के लिए तीसरी बार पिंजरे के अंदर गया और रस्सी खींचकर पिंजरे का गेट बंद कर दिया गया और आखिरकार मगरमच्छ पिंजरे में कैद हो गया।
पानी पीने गए एक बकरे पर भी हमला किया था
दो-तीन दिन से बस्ती के समीप छोटे तालाब में एक मगरमच्छ आ गया था जिसने पानी पीने गए एक बकरे पर भी हमला किया था इसके बाद लोगों में मगरमच्छ की दहशत बनी हुई थी और इसकी सूचना वन विभाग की टीम को दी गई थी। इसके बाद मगरमच्छ को पकड़ने के लिए वन विभाग की टीम द्वारा रेस्क्यू अभियान के चलते तालाब के पास पिंजरा रखा गया था और छह घंटे चले रेस्क्यू अभियान के बाद आखिरकार मगरमच्छ पिंजरे में कैद हो गया।
तीसरी बार पिंजरा के अंदर घुसा तो रस्सी खींच दी
डिप्टी रेंजर नेक नारायण खरे ने बताया तेजगढ़ रेंज अंतर्गत मुड़ारी ग्राम के समीप एक छोटा तालाब में मगरमच्छ होने की सूचना पर मगरमच्छ को पकड़ने के लिए दोपहर 12 बजे तालाब में पिंजरा रखा गया था लेकिन पिंजरे का आटोमेटिक गेट खराब होने की वजह से मगरमच्छ चारे के तौर पर पिंजरे में रखा मुर्गा का मांस का टुकड़ा खाकर दो बार बाहर निकल गया था। जिसके बाद पिंजरे की गेट में रस्सी बांधकर पुनः पिंजरे के अंदर मुर्गा की मांस के टुकड़े रखे गए और जैसे ही तीसरी बार मगरमच्छ पिंजरा के अंदर घुसा तो गेट में बंधी रस्सी खींच दी गई और मगरमच्छ पिंजरे में कैद हो गया।